एक दौर था जब उदय नारायण चौधरी बिहार में नीतीश कुमार के सबसे भरोसे के साथी के तौर पर जाने जाते थे, लेकिन समय बदला तो संबंधों की गर्माहट भी ठंडी पड़ने लगी. विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर विजय कुमार चौधरी की ताजपोशी ने उदय नारायण चौधरी को नीतीश कुमार से कुछ दूर कर दिया. इसके बाद जब मंत्रिमंडल गठन की बारी आई तो उसमें भी श्री चौधरी पीछे छूट गए तो यह संदेश साफ चला गया कि रिश्तों में अब पहले जैसी बात नहीं है.
उदय नारायण चौधरी ने इसके बाद भी इंतजार किया, पर जब बात नहीं बनी तो उन्होंने दलित आरक्षण के सवाल पर संघर्ष का रास्ता चुनने का मन बना लिया. हालांकि वे आज भी कहते हैं कि वे जो कुछ भी कर रहे हैं, उसकी जानकारी उन्होंने नीतीश कुमार को दे दी है. श्री चौधरी का कहना है कि जदयू उनकी पार्टी है और वे जो कुछ भी कर रहे हैं उसका फायदा पार्टी को ही मिलना है.
सवाल : क्या आउटसोर्सिंग में आरक्षण का फैसला सरकार ने आपके बयानों के दबाव में लिया है.
जवाब : मैंने वंचित वर्ग मोर्चा के तहत जो आवाज उठाई थी, उसे बिहार सरकार ने कैबिनेट में पारित कर सकारात्मक पहल की है. लेकिन मैं यहीं रुकने वाला नहीं हूं राष्ट्रीय स्तर पर ये नीति लागूू हो इसके लिए मैं लड़ाई जारी रखूंगा. मैं बिहार सरकार को धन्यवाद देता हूं कि मेरी मांग मान ली गई.
सवाल : बिहार में महादलित और दलित छात्रों के समक्ष नई चुनौतियां हैं. उनकी छात्रवृत्ति अधर में है और नामांकन को लेकर कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
जवाब : छात्रवृत्ति को बंद करना पूरे तौर पर गलत फैसला है. छात्रवृत्ति अगर नहीं मिलती तो आज उदय नारायण चौधरी भी यहां तक नहीं पहुंच पाता. सरकार को स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना को फौरन बंद कर छात्रवृत्ति को चालू करना चाहिए और साथ ही साथ नामांकन में आरक्षण को शीघ्र लागू किया जाना चाहिए. शिक्षा में समानता लागू करने की भी जरूरत है.
सवाल: भाजपा नेता सीपी ठाकुर ने आउटसोर्सिंग में आरक्षण की मुखालफत की है.
जवाब : मैं सीपी ठाकुर को धन्यवाद देता हूं, वे विद्वान आदमी हैं और मैं चाहूंगा कि वे ऐसा करते रहें.
सवाल : भाजपा के कई नेता आरक्षण व्यवस्था को रिव्यू करने की वकालत कर रहे हैं.
जवाब : आरक्षण व्यवस्था को रिव्यू करने की बात जो कह रहे हैं, पहले उन्हें इस बात का जवाब देना चाहिए कि क्या देश के अंदर सही रूप में आरक्षण की व्यवस्था लागू हो पाई है. 70 साल बीत जाने के बाद भी लोगों को अपने हक के लिए लड़ना पड़ रहा है. आज तक न तो न्यायपालिका में, न निजी क्षेत्र में, न उच्च शिक्षा में आरक्षण व्यवस्था लागू हो पाई है और न बैकलॉग को सरकार लागू कर पाई है. प्रमोशन में आरक्षण को बंद करना भी दुर्भाग्यपूर्ण है.
सवाल : आप अपने एजेंडे पर कैसे काम करेंगे? क्या पार्टी लाइन के खिलाफ भी आप जा सकते हैं?
जवाब : मैं दलितों के हक के लिए वंचित वर्ग मोर्चा के बैनर तले लड़ाई जारी रखूंगा. पार्टी अगर इसे ग्रहण करती है तो धन्यवाद है और उसे नहीं भी स्वीकार करती है तो मैं पार्टी लाइन की चिंता किए बगैर प्रखंड पंचायत और जिला स्तर पर आंदोलन चला लूंगा.
सवाल : आप पर यह आरोप लग रहे हैं कि आप पद पाने के लिए ऐसा कर रहे हैं?
जवाब : जो लोग मेरे पर पद पाने का आरोप मढ़ रहे हैं, उनसे मैं पूछना चाहता हूं कि क्या वे साधु हैं? ऐसे लोगों को यह भी जान लेना चाहिए, चूंकि मंत्रिमंडल का आकार बड़ा होने के चलते सरकार का खर्च बढ़ रहा था. इसी वजह से मैंने मंत्री पद छोड़ा था. मैं पद की राजनीति नहीं करता.
सवाल : शरद यादव और लालू प्रसाद अगर आपको समर्थन देते हैं तो क्या आप उसे स्वीकार करेंगे?
जवाब : शरद यादव से मेरे 25 साल पुराने संबंध हैं. शरद यादव और लालू प्रसाद अगर मुझे समर्थन देते हैं तो उन्हें धन्यवाद है. शरद यादव के साथ मेरे किसी तरह के राजनैतिक संबंध नहीं हैं. मै जदयू में हूं और जदयू में रहूंगा.
सवाल: क्या आपको इस बात की चिंता नहीं है कि आप के विरोध की वजह से नीतीश कुमार का एक निश्चय स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना अधर में पड़ सकता है.
जवाब : मैं नीतीश कुमार का बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन नीतीश कुमार के साथ मेरा नीतिगत विरोध जारी रहेगा. वंचित वर्ग मोर्चा के तहत मैंने 15 सूत्री मांगों को सामने रखा है और जब तक उसे सही स्वरूप में स्वीकार नहीं कर लिया जाएगा, तब तक हमारा मुद्दा मरेगा नहीं. मेरा आंदोलन भी जारी रहेगा.