गुजरात में जगह जगह पर समुद्र के किनारे प्रोजेक्ट लग चुके हैं या लगने की तैयारी में हें। यह सारे प्रोजेक्ट स्थानिक पर्यावरण, जीवसृष्टि और साथ साथ लोगों की आजीविका के साधनों और उनके जीवन को भी कुचल रहे हैं या नष्ट कर रहे हैं।


गुजरात में गीर सोमनाथ जिले के सूत्रापाडा तहसील के वडोदरा झाला गांव का गौचर (चरागाह) एक बड़ी निजी कम्पनी को सरकार ने आर.ओ प्लांट या डिसेलिनेशन प्लांट लगाने के लिए दे दिया है। यह जमीन न सिर्फ चरागाह है बल्कि इस विस्तार में गाँव के लोगों के कई कुएं हैं जिसमें मीठा पानी है जो पीने और खेती दोनों के ही काम आता है। समुद्र के किनारे की जमीन होने के बावजूद इन कुवों में मीठा और अच्छा पानी है। बारिश भी यहाँ काफी मात्रा में होती है इसलिये अगर और पानी की जरुरत हो तो बारिश के पानी का भी संग्रहण किया जा सकता है, इसके अनेक तरीके इजाद हो चुके हैं और कारगर भी हैं। फिर भी जहाँ भरपुर मीठा पानी वैसे ही उप्लब्ध है वहां समुद्र के खारे पानी को मीठा बनाने का प्लांट डलने जा रहा है। ग्रामसभा की मंजूरी लेनी भी जरुरी नहीं समझी गई । इस जमीन के पीछे के हिस्से में बडे विस्तार में बबूल के पेड़ों की घनी झाडी है जो खारे पानी को अन्दर की जमीन में आने से रोकती है। इस प्रोजेक्ट के लगने से इस नैसर्गिक सुरक्षा दिवार को भी हटा दिया जाएगा। चरागाह की जमीन पर सरकार द्वारा बोर्ड लगा दिया गया है कि यहाँ पर प्रवेश वर्जित है। सारे कुएँ अब इसके अंदर चले गये हैं और अपने कुएं के पास लोग जा नहीं सकते।


यह वही गाँव है जहाँ 2008 में चुनीकाका के नेतृत्व में एल एन्ड टी कम्पनी को इसी चरागाह पर आने से रोका गया था। तब से वडोदरा झाला गाँव से हमारा एक रिश्ता बना है। जब इस समस्या के बारे में पता चला तो सबके पास पहुंचे बिना रह नहीं पाये। चुनीकाका के अस्थि भी यहाँ समुद्र में विसर्जित किये गये थे।
बाकी काफी कुछ कहना है वह अग्ली पोस्ट में।

Courtesy : Nita Mahadev (Facebook Post)

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