जिन परिवारों को उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन मिले थे, उनकी खुशी महीने भर में ही हवा हो गई है. आलम ये है कि इन परिवारों को अब फिर से चूल्हे पर खाना पकाना पड रहा है. ये सामने आया है एक सर्वे में. महाराष्ट्र के मराठवाड़ा रीजन में एक सर्वे किया गया.
वहां ये पाया गया कि जिन-जिन लोगों को उज्ज्वला के तहत गैस कनेक्शन मिले थे, वे लोग फिर चूल्हे पर खाना बना रहे हैं. क्योंकि नया सिलेंडर लेने के लिए 650 रुपए का जुगाड़ वो नहीं कर पा रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्र में 650 रुपए एक बड़ी रकम है. अब इन लोगों के घर में शासन द्वारा दिए गए गैस के चूल्हे और सिलेंडर शो-पीस बनकर शोभा बढ़ा रहे हैं.
मराठवाड़ा में कुल 205 गैस एजेंसी हैं, जहां से 5,91,576 गैस कनेक्शन उज्ज्वला के तहत दिए गए. आश्चर्य की बात है कि इनमें से कोई भी फिर से सेकेंड सिलेंडर लेने के लिए नहीं आया.
हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उज्ज्वला योजना को गेम चेंजर योजना बोलते हैं. प्रधानमंत्री के अनुसार, उज्ज्वला योजना के तहत जब गैस कनेक्शन दिए गए, तो परिवार में रहन-सहन में काफी सुधार आया. महिलाओं की हेल्थ में खासकर अच्छा सुधार पाया गया, ऐसा सरकार दावा करती है.
सरकार ने मराठवाड़ा में जब ये गैस कनेक्शन बांटे, तब वहां स्थानीय निकायों के चुनाव होने थे. इसका लाभ सरकार को ये मिला कि पूरे मराठवाड़ा में भारतीय जनता पार्टी को स्थानीय निकायों में अच्छी सफलता मिली. लेकिन तब लोगों को ये पता नहीं था कि दूसरा गैस सिलेंडर जब लेना पड़ेगा, तब उन्हें सही मायने में बहुत तकलीफ होगी.
अब आने वाले समय में ये जो गेम चेंजर प्लान था, वह शायद पार्टी का गेम बजा सकता है. क्योंकि लोग 650 का सिलेंडर सोच भी नहीं सकते.