बीएसएससी घोटाले के सूत्रधारों में उच्चाधिकारी से लेकर राजनेता भी शामिल जांच की आंच नेताओं तक

bsscजब कानून के रक्षक ही गुनहगारों में शामिल हो जाएं, तो फिर कानून-व्यवस्था की मर्यादा तो तार-तार होती ही है, साथ ही जनता का विश्वास भी खो देती है. बिहार कर्मचारी चयन आयोग के परीक्षा घोटाले में गिरफ्तार आयोग के सचिव परमेश्वर राम ने खुलासा किया है कि इसमें 36 राजनेताओं के साथ-साथ 9 आईएएस अधिकारी भी शामिल हैं. छपरा जिले के निवासी और अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले अधिकारी परमेश्वर राम को अपने आकाओं पर भरोसा था.

पहले तो उन्होंने पुलिस पर रौब डालने का प्रयास किया, लेकिन उनके कड़े रुख को भांपकर पूछताछ में सहयोग करने पर राजी हुए. परमेश्वर के खुलासे ने सबको चौंका दिया. उन्होंने बताया कि आयोग ने विगत पांच साल  में हुई नियुक्तियों में भयंकर गड़बड़ियां की हैं. राजनेताओं और अधिकारियों के रिश्तेदारों व नजदीकी लोगों की बहाली के लिए लाखों रुपए वसूले गए. परमेश्वर राम ने पुलिस अधिकारियों से कहा, ‘मैं तो इस स्कैम का एक अदना सा खिलाड़ी हूं. हिम्मत है तो किंगपिन को पकड़िए, जिसके इशारे पर ये सब हो रहा है.’

चार चरणों में आयोजित होने वाली बिहार कर्मचारी चयन आयोग के क्लर्क संवर्ग के दूसरे चरण की परीक्षा 5 फरवरी को आयोजित की गई थी, जिसका प्रश्न पत्र लीक हो गया था. इस परीक्षा का प्रथम चरण 29 जनवरी को आयोजित किया गया था. पेपर लीक होने की सूचना मिलने पर भड़के परीक्षार्थियों ने आयोग के सचिव की पिटाई कर दी. सैकड़ों छात्रों ने 6 फरवरी को बीएसएससी के दफ्तर पर हमला बोल दिया.

छात्रों के गुस्से को देखते हुए आयोग के दफ्तर के पास पुलिस बल का इंतजाम किया गया था, लेकिन छात्रों ने पुलिस के साथ झड़प होने के बाद आयोग का गेट तोड़ दिया. झड़प में छात्रों को मामूली चोटें भी आईं. इसके बाद छात्रों ने एसएससी के सचिव परमेश्वर राम की जमकर पिटाई कर दी. आयोग के बाहर बहुत देर तक छात्र नारेबाजी करते रहे. इससे पहले एसएससी की परीक्षा का पेपर लीक होने पर आयोग के अधिकारियों ने लीपापोती का प्रयास किया था.

उन्होंने इसे अफवाह बताकर पेपर लीक होने से ही इंकार कर दिया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भनक लगते ही मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को पूरे मामलेे की जांच करने का निर्देश दिया था. इसके बाद पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनु महाराज के नेतृत्व में जांच दल का गठन किया गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 8 फरवरी को इस परीक्षा के रद्द किए जाने की घोषणा कर दी थी. इस मामले में एसआईटी ने परमेश्वर राम समेत 7 लोगों को हिरासत में लिया है. सचिव के आवास पर 7 फरवरी की देर रात एसआईटी की टीम ने छापेमारी की.

इस दौरान एसआईटी को कई महत्वपूर्ण कागजात हाथ लगे, जिसकी जांच जारी है. परमेश्वर समेत सभी लोगों से एसआईटी ने पूछताछ की. परमेश्वर राम की नियुक्ति पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने की थी. राज्य के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं. अशोक चौधरी ने छात्रों को भरोसा दिलाया है कि उनके भविष्य के साथ किसी तरह का खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि जांच के बाद दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

आयोग के अध्यक्ष सुधीर कुमार ने भी पूछताछ में परीक्षा एवं नियुक्ति में धांधली की बात स्वीकार की है. उन्होंने बताया कि उनसे कई मंत्रियों व अधिकारियों ने पैरवी के लिए संपर्क किया था. बहरहाल, एसआईटी ने अबतक 30 लोगों को इस घोटाले में पकड़ा है, जिसमें एवीएन स्कूल के संस्थापक रामाशीष सिंह यादव भी शामिल हैं. पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का आरोप है कि यादव के तार लालू प्रसाद यादव से जुड़े हैं. लालू प्रसाद यादव ने मोदी के आरोपों को चुनौती दी है.

जानकारी के मुताबिक रामाशीष सिंह यादव की नियुक्ति साइंस और टेक्नोलॉजी विभाग में तीन दशक पहले तत्कालीन मंत्री डॉ. विजय सिंह की सिफारिश पर हुई थी. फिर वे लालू प्रसाद यादव के छोटे साले के संपर्क में आकर शराब के धंधे से जुड़े और करोड़ों की संपत्ति अर्जित की.

सूत्र बताते हैं कि आयोग में अपने उम्मीदवारों को सफल कराने की लंबी लिस्ट एक बड़े अधिकारी ने थमाई थी. मामले में कुख्यात रंजीत डॉन की संलिप्तता भी बताई जा रही है. पुलिस सूत्रों की मानें तो इस घोटाले के तार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा से जुड़े होने की आशंका है. मैरिट घोटाले में गिरफ्तार लालकेश्वर प्रसाद सिंह और उनकी पत्नी उषा सिन्हा भी मुख्यमंत्री के गृह जिले नालंदा से संबंध रखते हैं. उषा सिन्हा नालंदा के हिलसा से जनता दल यू की विधायक रह चुकी हैं.

उन पर कटाक्ष करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने पिछले दिनों एक सभा में कहा था, ‘मुझे अपने लोगों को समझने में बड़ी दिक्कत हो रही है कि कौन चोर है और कौन साधु. सूत्रों की मानें तो, ‘साहब को जानकारी थी कि कई घोटालों का मास्टरमाइंड रंजीत डॉन, 3 राजनेता और एक रिटायर्ड पुलिस अफसर एक साथ मिले हुए हैं.’

तीसरे दर्जे के कर्मचारियों की बहाली के लिए बनाया गया बिहार कर्मचारी चयन आयोग अपनी घोर लापरवाही की वजह से हमेशा विवादों में घिरा रहा है. आंकड़ों पर अगर गौर करें तो ऐसी शायद ही कोई परीक्षा हुई हो, जिसको कोर्ट में चुनौती नहीं दी गई हो. सितंबर 2014 से अभी तक बिहार कर्मचारी चयन आयोग की जितनी परीक्षाएं हुई हैं, सभी से जुड़े मामले कोर्ट में चल रहे हैं. बात चाहे  एएनएम परीक्षा, जीएनएम, स्टेनोग्राफर, सीनियर साइंटिस्ट, जेल वार्डेन और सीआई की हो, सभी परीक्षाओं का मामला कोर्ट तक पहुंचा है. यही वजह है कि राज्य में नियुक्ति प्रक्रिया समय पर शुरू नहीं हो पाती है.

इन सब में सबसे ज्यादा परीक्षार्थियों को परेशानी झेलनी पड़ती है. अभी तक बिहार कर्मचारी चयन आयोग की लापरवाही से पीटी का रिजल्ट, मुख्य परीक्षा, आरक्षण में गड़बड़ी, मेधा सूची में हेराफेरी जैसी शिकायतें कोर्ट पहुंची हैं. हाल में बीएसएससी की परीक्षा के पर्चा लीक मामले में एक बीएसएससी के कर्मी की संलिप्तता देखी गई है. इस मामले में आयोग के सचिव परमेश्वर राम ने कहा है कि उन्हें जिला प्रशासन या किसी अन्य एजेंसी से ऐसी रिपोर्ट नहीं मिली है, जिसके आधार पर जांच की जाए. मीडिया में छपी खबरों पर जांच नहीं हो सकती है.

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