वाल्मीकिनगर में चिंतन मनन कर रहे उपेंद्र कुशवाहा के लिए तेजस्वी यादव से हाथ मिलाना आसान सौदा नहीं है. समय जैसे-जैसे बीतता जा रहा है, वैसे वैसे उपेंद्र कुशवाहा के लिए विकल्प कम होते जा रहे हैं. एनडीए और महागठबंधन दोनों में उनका वजन घट रहा है. नीतीश कुमार के साथ उनकी तल्खी इतनी बढ़ चुकी है कि अब लगता नहीं सामान्य हालात में कुशवाहा को एनडीए में ढंग की सीटें मिल जाए. चूंकि यह जाहिर है कि भाजपा नीतीश कुमार से दूरी बनाने के पक्ष में नहीं है, इसलिए नरेंद्र मोदी ही कुछ हस्तक्षेप करें तो कुछ संभव है. यह अलग बात होगी कि खुद किसी वजह से जदयू भाजपा से दूरी बना ले, लेकिन फिलहाल ऐसा कोई सीन नहीं है.
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उपेंद्र कुशवाहा को भी इन सच्चाइयों का अहसास है, इसलिए उन्होंने तेजस्वी यादव से हाथ मिलाने का विकल्प खुला रखा है. इस मुहिम में पिछले कई महीने से छगन भुजबल से लेकर शरद यादव, नागमणि और वे स्वयं भी लगे हैं, लेकिन बात है कि बनती ही नहीं. दो महीने पहले राजद दोनों हाथों से उपेंद्र कुशवाहा का स्वागत करने के लिए बेकरार था. बताया जाता है कि उस समय बिहार की पांच और झारखंड की एक सीट पर मोटे तौर पर सहमति भी बन गई थी. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए मोह से दुविधा की स्थिति पैदा हो गई और यह सौदा जम नहीं पाया. अब जबकि एनडीए में भी उपेंद्र कुशवाहा के लिए जगह कम पड़ रही है वैसे में राजद भी कुशवाहा के साथ टाइट वारगेनिंग के मूड में है.
सूत्र बताते हैं कि राजद के रणनीतिकार यह मान कर चल रहे हैं कि जो हालात बने हैं, उनमें उपेंद्र कुशवाहा का एनडीए में बना रहना संभव नहीं है. इसलिए तेजस्वी से हाथ मिलाना कुशवाहा की मजबूरी है, नहीं तो उन्हें अकेले चुनावी अखाड़े में उतरना होगा. अकेले उतरने का रिजल्ट सबको मालूम है, इसलिए कुशवाहा की कोशिश होगी कि एनडीए छोड़ने से पहले वे तेजस्वी से बात फाइनल कर लें. राजद कुशवाहा की इसी मजबूरी का अब फायदा उठाना चाहता है. राजद कुशवाहा का साथ तो चाहता है लेकिन अब अपनी शर्तों पर. पहले कुशवाहा अपनी शर्तों पर तेजस्वी से बात कर रहे थे, लेकिन अब खेल उल्टा हो गया है. राजद का एक खेमा तो यह मानता है कि पार्टी को कुशवाहा से हाथ मिलाने से फायदा कम होगा, बेहतर होगा उन्हें अकेले चुनाव लड़ने दिया जाय.
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इससे नुकसान एनडीए का होगा और लाभ राजद को मिलेगा. लेकिन राजद का बड़ा तबक चाहता है कि कुशवाहा के वोट बैंक को महागठबंधन के साथ जोड़ा जाए पर अपनी शर्तों पर. सूत्र बताते हैं कि राजद चाहता है कि कुशवाहा को उतनी ही सीटें दी जाए जितनी एनडीए में मिली थी यानि की तीन. बहुत लगे तो चार सीट पर समझौते को लॉक कर दिया जाए. इससे ज्यादा देने का मतलब बनता नहीं चूंकि कुशवाहा के पास विकल्प नहीं है. चिंतन शिविर में भी कुछ भी फैसला करने के लिए उपेंद्र कुशवाहा को अधिकृत करने की उम्मीद है. इसके बाद तो उन्हें कोई न कोई फैसला लेना ही होगा नहीं तो बहुत देर हो जाएगी.