ताजमहल को हमेशा भारत, उत्तर प्रदेश और आगरा की पहचान से जोड़ कर देखा जाता रहा है, पर उसी पर अब राजनीति के मायने क्या हैं? कही यह 2019 के चुनावों से पहले राज्य को धार्मिक आधार पर बांटने की रणनीति का हिस्सा तो नहीं. आखिर क्या है ताजा विवाद यह जानने से पहले नजर डालते हैं उस ताज महल पर, जो केवल एक इमारत भर नहीं है.
उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में यमुना नदी के किनारे बनी सफेद संगमरमर की अद्भुत इमारत ताजमहल भारतीय पर्यटन का प्रमुख केन्द्र है. यह मुग़ल बादशाह शाहजहां और बेगम मुमताज महल के अमर प्रेम की निशानी है. कहते हैं जीवन के आख़िरी दिनों में जब मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने आगरा के लालकिले में अपने पिता शाहजहां को नजरबंद कर दिया, तब वह उसके झरोखे से ताजमहल की तामीर को निहारते थे, जिसे उन्होंने अपनी महबूबा मुमताज महल की याद में बनवाया था.
ताजमहल मुग़ल वास्तुकला का वह बेजोड़ नूमना है, जिसे देखने दुनियाभर से तमाम आम और ख़ास दर्शक पूरे साल जुटते हैं. ताजमहल का आकर्षण भारत पहुंचने वाले हर विदेशी राजनयिक को अपनी खींचता है. इनमें अमरीकी राष्ट्रपति रहे बराक ओबामा, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतीन, ब्रिटेन की राजकुमारी लेडी डायना और उनके बेटे प्रिंस विलियम और उनकी पत्नी तो शामिल हैं ही, हालीवुड सेलिब्रिटी ओपरा विनफ्रे से लेकर अर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर, टॉम क्रुज जैसी शख्सियतें भी शामिल हैं. भारत का तो शायद ही कोई ऐसा सेलीब्रिटी होगा, जिसने ताज न देखा हो…चाहे वह मिस वर्ल्ड ऐश्वर्या राय हों या धक-धक गर्ल माधुरी दीक्षित, या फिर बालीवुड से हालीवुड तक धमाल मचाने वाली प्रियंका चोपड़ा हों या राखी सावंत, ताज जैसे सबके दिलों पर राज करता है.
यह कम अचरज की बात नहीं कि जिस ताजमहल को कभी दुनिया के सात आश्चर्यों में शुमार किया जाता था, वही ताजमहल अब राज्य में शासन कर रही योगी सरकार को खटकने लगा है. ताज महल की उपेक्षा की शुरुआत खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई में हुई. इस साल सबसे पहले योगी आदित्यनाथ ने ताज महल को भारतीय संस्कृति का हिस्सा मानने से इनकार कर दिया और कहा कि ताजमहल एक इमारत के सिवा कुछ नहीं है. इसके बाद जब उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने राज्य की ऐतिहासिक धरोहरों और स्थलों की पर्यटन सूची जारी की, तो उसमें आगरा के ताजमहल का नाम नहीं था, जबकि सीएम योगी आदित्यनाथ के पीठ गोरखधाम मंदिर को जगह दी गई थी. बाद में विवाद बढा तो सफाई दी गई कि गलती से ताजमहल का नाम छूट गया. पर यह गलती नहीं थी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही ताजमहल की अहमियत घटाने के संकेत दे दिए थे. 15 जून को बिहार के दरभंगा में एक जनसभा में बोलते हुए उन्होंने कहा था कि पहले जब देश में विदेशी गणमान्य व्यक्ति आते थे तो उन्हें ताजमहल और अन्य मीनारों की प्रतिकृतियां भेंट की जाती थीं, जो कि गलत था. ये इमारतें भारतीय संस्कृति को प्रतिबिंबित नहीं करतीं. इसीलिए अब मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से जब भी कोई विदेशी गणमान्य भारत आता है तो प्रधानमंत्री मोदी उन्हें भगवदगीता और रामायण की प्रति भेंट करते हैं.
पीएम मोदी या सीएम योगी देश के मेहमानों को क्या भेंट करते हैं, इससे जनता को कोई ख़ास मतलब नहीं, न ही इससे ताजमहल की हैसियत कम हो जाती है. पर हां, जिस तरह से इस भव्य इमारत को लेकर सियासत बेहद निचले स्तर पर उतरती जा रही है, वह अफसोसजनक है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद सरधना से भाजपा विधायक संगीत सोम ने अब ताज महल पर फिर एक विवादित और गैरजिम्मेदाराना बयान दिया है.
संगीत सोम ने कहा है कि ताज महल भारतीय संस्कृति पर धब्बा है. उनका तर्क है कि ये कैसा इतिहास, किस काम का इतिहास है, जिस में अपने पिता को ही कैद कर डाला गया. उनका कहना है कि इन भवनों के निर्माताओं ने हिंदुस्तान में हिन्दुओं का सर्वनाश किया था. संगीत सोम का दावा है कि अब भाजपा सरकार देश के इतिहास से बाबर, अकबर और औरंगजेब की कलंक कथा को निकाल कर देश के बिगड़े इतिहास को सुधारने का काम कर रही है.
कई मुस्लिम संगठनों ने संगीत सोम के ताजमहल पर दिए गए बयान कड़ी नाराजगी जताई है. असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार में कहा है कि लाल किले को भी गद्दारों ने बनाया था, तो क्या पीएम मोदी लालकिले से तिरंगा फहराना बंद कर देंगे. क्या मोदी-योगी देशी-विदेशी सैलानियों को ताजमहल जाने से मना करेंगे. ओवैसी का व्यंग्य है कि हैदराबाद हाउस भी गद्दारों के द्वारा ही बनाया गया है, तो क्या पीएम मोदी वहां पर विदेशी मेहमानों को रिसीव करना बंद कर देंगे. चौथी दुनिया का विचार है कि दोनों ही पक्षों को इस तरह की गलतबयानी से बचना चाहिए. ताजमहल हो, या लालकिला, क़ुतुब मीनार हो या इंडिया गेट ये सब भारतीय हैं और हमें उनकी उसी तरह क़द्र करनी चाहिए.
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