डाॅ सुरेश खैरनार

असल मे स्वामी दयानंद सरस्वती,डॉ बाबा साहब आंम्बेडकरजी के और ज्योतिबा फुले जी के साथ तुलना करते हुए हमारे चालिस सालो से भी पुराने मित्र श्री सुभाष निन्बलकरजी ने हालहिमे इस विषय पर एक छोटी सी पुस्तिका छपवाकर मुझे भेजी है सो आज पढने के बाद लगा कि इसपर कुछ लिखा जाये तो यह मेरा उस 30 पन्नों की उनकी अपनी लेखनीसे और स्वामी अग्निवेश,डॉ सूर्यनारायण रणसुभे तथा अन्य लोगों की 50 पन्नों की किताब के बारे में लेख मिलाकर कुल 80 पन्नो की किताबके बारेमे मैने वर्तमान समय का ध्यान रखकर कुछ लिखा है!

सुभाष मुझे नहीं मालूम कि आर्य समाज के अंदर रहकर किसिने स्वामी दयानंद जी के विचारों को लेकर इस तरह के चिकित्सक होकर विश्लेशण किया है ? इस लिये आपका सर्व प्रथम अभिनंदन !

ज्योतिबा और स्वामी दयानंद जी समकालीन थे और उनसे संबंधित पुणे के उदहारण देकर बहुत ही सार्थक बहस की है ! दुसरी बात बाबा साहब आंम्बेडकरजी के जात पात तोडक मंडल में का ना हुआ भाषण जो उन्होनें अन्हलिशंंन ऑफ दि कास्ट उनके जिवन के सर्वश्रेष्ठ लेखन से एक है और वह भी आर्य समाज के मंच से नाकारे जानेके कारण विशेष रूप से !
सुभाष काल सापेक्षता का सिद्धांत के अनुसार स्वामी दयानंद जी ने हिन्दु धर्म की सडांध के बिचमे थोडी-सी सुगंध फैलानेका प्रयास किया है! इसलिये उन्हे कुछ तो श्रेय जाता है ! लेकिन रणसभेजीने सही विश्लेशण कीया है की 1940 के बाद और उस्मेभी भारत विभाजन की मांग शूरू होने के कारण तत्कालीन अखंड पंजाब जहा आर्य समाज का काम काफी था शायद इसीलिए संघ परिवार के साथ नजदीक हुये होंगे और वह नजदीकी बढते बढते मुर्ति पूजा के विरोध में पैदा हुआ आर्य समाज के उस समय के अनुयाइयों ने एतिहासिक भुल की है और वह खमियाजा समाज को आज भी भुगतना पड़ रहा है ! एक स्वामी अग्निवेश जी और तुम्हारे जैसे कुछ इने-गिने लोग होंगे लेकिन यह गत सिर्फ आर्य समाज की ही हुई है ऐसा नहीं है ! 11वी शताब्दिमे निकला हुआ लिन्गायत आज किनके साथ है ? उसीके आसपास निकला हुआ नाथ संप्रदाय! आदीत्यनाथ उसका जिता जागता उदाहरण है ! और हमारे महान महाराष्ट्र के उसी समय निकला हुआ वारकरी संप्रदाय का भी नजदीक से देखा जाए तो वह भी हिन्दुत्व के जन्जाल में फस गया है !


और सबसे पीडा की बात जिस बाबा साहब आंम्बेडकरजी ने 1936 के अक्तूबर महीनमे मै हिन्दु के रूप में पैदा जरुर हुआ लेकिन मैं हिन्दु के रूप में नहीं मरूँगा यह एतिहासिक घोषणा की और अपने मृत्यके चंद दिनों पहले हिन्दु धर्म का त्याग कर के बौद्ध धर्म को अपनाये है ! लेकिन उनका नाम लेकर रजनिति कर रहे उनकेही अनुयाइयों को देखकर लगता नहीं कि यह लोग बाबा साहब आंम्बेडकरजी के शिष्य है !


मैने गत 30 साल सिर्फ सांप्रदाईक समस्या के खिलाफ काम करने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर आया हूँ कि ब्राह्मणो से ज्यादा गर्व से कहो कि हम हिन्दु हैं के सबसे बड़े वाहकों में मुझे भागलपुर से लेकर गुजरात दंगों के दंगाई सबसे बड़ी संख्या में तथाकथित बहुजन,दलित और आदिवासी समुदाय के लोगों को मुसलमानों के खिलाफ सिधे मार काट करने वाले हाथ इन्ही समज के लोगों के है ! और हिन्दु रुदय सम्राट से लेकर,विनय कटियार,उमा भारती,तोग्डीया,कल्याण सिंह,शिवराज सिंह,राज नाथ,येदुरप्पा,और सबसे धक्कादायक बात गुजरात दंगों के और एन्कौटर करने वाले सरकारी अधिकारी मेजोरिटी ओबिसी और दलित समाज के है !

सन्घके नेतृत्व जरुर ब्राह्मणोके हाथमे है लेकिन उनका हरावल दस्ते के रूप अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के ऊपर हमलावर कौन लोग है ?
1989के भागलपुर दंगेके बाद लालूप्रसाद यादव मुख्यमंत्री बने थे और मैने उनसे कहा कि दंगेके समय कोन्ग्रेस के मुख्यमंत्री थे अब आप उसके बाद बने हो तो दंगाईयो पर कारवाई किजीये तो वह तपाक से बोले कि बिल्कुल भी नहीं करूंगा तो मैंने पूछा क्यो नही ? तो उन्होने जवाब दिया था कि सबके सब पिछड़े वर्ग के लोगों है और मुझे अपनी रजनितिके लिए यह कारवाई करने के लिए सम्भव नहीं है ! हा लेकिन मै एक गारन्टी जरुर देता हूँ कि मेरे मुख्यमंत्री रहते हुए अगर आप को कोई दंगा दिखा तो आप मुझे अकेले को जिम्मेदार ठहराकर मै कारवाई की गारंटी देता हूँ ! और सही भी है कि लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल के दौरान एक भी दंगा बिहार में नहीं हुआ उल्टा लाल कृष्ण आडवाणी के रथ को बिहार में लालू प्रसाद यादव ने ही रोककर उन्हें जेल में डाला था !

तुमने आतंकवाद के बारे में भी लिखा है ! तुह्मे मालुम है कि मैने नांदेड़ 6 एप्रिल 2006 के दिन पाटबंधारे नगर के राजकोन्डवार के नृसिंह भवन नामके घर में हुये बम विस्फोट की जाँच की है वैसेही नागपुर सन्घके मुख्यालय में 1जून 2006 नांदेड़ धमाकेसे ध्यान बाटने के लिए किया गया तथाकथित फिदायीन हमला और मालेगाँव विस्फोट दोनो,मक्का मस्जिद हैदराबाद,बाटला हाऊस दिल्ली,आझमगढ,समझौता एक्सप्रेस में हुए बम विस्फोट की जाँच की है ! और आसीमनंद के गढ डांग मे भी गया हूँ 2004 में ही ! और इन सब रिपोर्ट को लेकर तुम्हारेही सरनेम के भारत के गृहमंत्री पदपर बैठे हुए व्यक्ति को दीया हूँ ! लेकिन उसने कुछ भी नहीं किया ! अन्यथा आज देश में नरेंद्र मोदी की सरकार नहीं होती मैने जितनेका उल्लेख किया है वह सभी घटनाये कोन्ग्रेस के राज में हुई है और उसके बावजूद महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक तुह्मरे ही क्षेत्र के लोगों के हाथों में सत्ता थी लेकिन इन लोगों ने एक तरह से मोदी के लिए रास्ता बनाने का काम किया है और अब मोदी के खिलाफ बोलनेका नाटक कर रहे हैं ! यह सिलसिला शुरू से जारी है 1949 मे बाबरी मस्जिद मे राम की मूर्ति रखने से लेकर 1985-86 में शाहबानो के मामले को संसद में पलट कर कोन्ग्रेस ने अपनी कब्र खोदने का काम किया है और ऊपर से 1949 से लगे हुए बाबरी मस्जिद के ताले को खोल कर संघ परिवार की बाखे खिली है ! इसलिये संघ परिवार के लोग कोन्ग्रेस में प्रथम से ही है बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय का संस्थापक मदन मोहन मालवीय ने उस विश्वविद्यालयके नीव रखते हुए संघ को दो एकड जमीन देकर रखी है और उस समय गोलवलकर वही थे ! कोन्ग्रेस में हमेशा से ही सन्घके प्रती सहानूभूति रखने वाले लोग रहे हैं और आज भी है ! हालाकि कम अधिक प्रमाणमे यह बात इस देश के सभी दल और संघटनाओ को गौर से देखें तो सभी में यह तत्व नजर आएंगे और इसिकेलिये सन्घके लोगों का दावा है कि हमारे नजदीक या दूर की पार्टी कोई नहीं है सभी हमारे लिए एक जैसे है !

अब आखिरी बात जिसके प्रोडक्ट आप और मैं हूँ वह जेपी आंदोलन में संघ को नई ऊर्जा प्राप्त करने के लिए कम आधिक प्रमाण में हम लोग भी जिम्मेदार है ! गाँधी हत्या के बाद मुह छुपाकर चलनेवाले लोग जेपीजी के अगर संघ फासिस्ट है तो मैं भी हूँ के सर्टीफिकेट ने गंगा जल से पवित्र करने का काम किया है और आज यह नौबत आ गई है !

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