बिहार का सवाल इसलिए पेचीदा है, क्योंकि वहां नीतीश कुमार ने नए साथी चुने हैं. चुनावों में राजनीति के अलावा अन्य तत्व भी असर डालते हैं, जिनमें सबसे प्रमुख ज्योतिष है. राजनीति से जुड़े 99 प्रतिशत से ज्यादा लोग ज्योतिषियों की शरण में जाते हैं, उनसे अपना भविष्य पूछते हैं और तांत्रिक उपाय करते हैं. यह अलग बात है कि वे सार्वजनिक तौर पर इससे इन्कार करते हैं. हम डॉ. कुमार गणेश का लेख छाप रहे हैं. वह भी इसलिए, क्योंकि डॉ. गणेश की ज्योतिषिय गणना सौ प्रतिशत सही साबित हुई है. स्वयं नीतीश कुमार को लेकर उनकी भविष्यवाणियां सौ प्रतिशत सही साबित हुई हैं, जो घटना से छह महीने पहले ही की गई थीं. हम ऐसे व्यक्तियों को जानते हैं, जो आज जहां हैं, वहां पहुंचने से पहले समान्य व्यक्ति थे. उनके यहां पहुंचने से पहले, उन्हें ही अपने बारे में कोई आशा नहीं थी. देश के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति से लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल और राज्य मंत्रिमंडल के बहुत से नेताओं के बारे में हमारे पास जानकारी है. बिहार पर हमारा यह पहला ज्योतिषिय लेख है. हमारे पास राजनीतिक घटनाओं के घटने से पहले जो जानकारियां सामने आ रही हैं, वो चौंकाने वाली हैं. क्या 20 दिसम्बर के आस-पास बिहार में कोई राजनैतिक समीकरण बदलने वाला है? नीतीश कुमार को सुशासन बाबू से कुशासन बाबू में बदलने के पीछे कहीं उन्हीं की सहयोगी शक्तियों की तो भूमिका नहीं है? स्वयं नीतीश के साथ जो लोग जुड़े हैं, उनकी राजनीति क्या है और वे नीतीश को फायदा पहुंचा रहे हैं या नुकसान? सवाल बहुत हैं, जिनका उत्तर दिसम्बर में मिलेगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि नीतीश कुमार अचानक इतने अशक्त क्यों हो गए हैं?
साल 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं, यानि यह चुनावी वर्ष है. 2019 का चुनावी वर्षांक है, तीन (2+0+1+9=12, 1+2=3). इसी प्रकार, इस चुनाव के बाद गठित होने वाली 17वीं लोकसभा का अंक है, आठ. चुनावी चलित अंक की बात करें, तो मेरे हिसाब से 21 अप्रैल से 20 मई के बीच लोकसभा चुनाव का परिणाम आ जाना चाहिए. उस समय जो चलित अंक होगा, वो होगा छह. यह शुक्र का अंक है.
हमलोग अपनी गणना मतगणना वाले दिन को लेकर करते हैं, न कि मतदान के चरणों को लेकर. कौन-कौन से चरण में वोटिंग होती है, उसकी गणना से तो सिर्फ यह पता चल सकता है कि उस चरण में किस दल को कितनी सीटें मिल सकती हैं, या वे कितना आगे-पीछे रहेंगे. अंतिम परिणाम के लिए मतगणना के दिनांक को ही काम में लिया जाता है. 21 अप्रैल से 20 मई के बीच को अगर मतगणना का संभावित दिनांक मानें, तो चलित का अंक बना छह.
एक बात और है कि ये सारी चुनावी प्रक्रिया है और इसमें अगर मतगणना का दिन मई महीने में आता है, तो इसका अंक बनता है, पांच. लेकिन ये सबसे कम गौण प्रभावी है. मूलतः तीन प्रभावी अंक माने जाएंगे, जबतक मतगणना की तारीख घोषित नहीं हो. दिनांक घोषित होने के बाद उस दिन का मूलांक, भाग्यांक और दिनांक भी माना जाएगा. फिलहाल तीन चीजें हम इस गणना में ले रहे हैं. एक, चुनावी वर्षांक जो तीन है, दूसरा, लोकसभा अंक, जो आठ है और तीसरा है, चुनावी चलित अंक जो छह है.
और नीचे जाएगी भाजपा
हम यहां बिहार के संदर्भ में बात करें, तो मूल रूप से हम इस गणना में छह दलों को शामिल कर रहे हैं. ये छह दल हैं- भाजपा, जद (यू), कांग्रेस, राजद, लोजपा और रालोसपा. भारतीय जनता पार्टी की सबसे पहले बात करते हैं, क्योंकि यह एक प्रमुख पार्टी है, अभी इसके पास सबसे ज्यादा सीटें हैं. छह अप्रैल 1980 को बनी हुई भाजपा का मूलांक छह है और भाग्यांक एक है. चूंकि उस समय 40वां वर्ष चल रहा होगा, तो उसके अनुसार, इसका आयु अंक है चार. भाजपा का नामांक दो है.
अब सीधे तौर पर भाजपा के इन अंकों को चुनावी वर्षांक, लोकसभा अंक और चुनावी चलित अंक के साथ में देखते हैं. अमित शाह की बात करें, तो इनका जन्मदिन हैं, 22 अक्टूबर 1964. इनका मूलांक चार है, भाग्यांक सात और आयु अंक एक है, चुनाव के समय इनका 55वां वर्ष चल रहा होगा, तो उसका नामांक बनता है, छह. इन दोनों के अनुसार देखें, तो चुनावी वर्षांक के साथ हमें एक प्लस मिलता है और लोकसभा अंक के साथ में आठ माइनस मिलते हैं, वहीं चुनावी चलित अंक के साथ हमें पांच प्लस मिलते हैं.
कुल मिलाकर छह प्लस और आठ माइनस यानि कि दो माइनस. इस दो माइनस का मतलब यह है कि इस लोकसभा चुनाव में भाजपा की जो स्थिति है, जो वर्तमान अवस्था है, उससे वो बहुत नीचे जाएगी. अभी 22 सीटें लेकर यह आगे है, लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव में इस संख्या से बहुत नीचे जाएगी. सीटों की संख्या कितनी होगी, यह एक अलग विषय है, लेकिन भाजपा के लिए दो माइनस की स्थिति बेहद हानिकारक और निराशाजनक है.
अकेले लड़ना जद (यू) के लिए फायदेमंद
अब हम बात करते हैं, जद (यू) यानि जनता दल यूनाइटेड की. जनता दल यूनाइटेड का गठन हुआ 30 अक्टूबर 2003 को. इसके अनुसार इसका मूलांक तीन, भाग्यांक नौ, आयु अंक सात और नामांक एक है. मोटे तौर पर देखा जाए तो चुनावी वर्ष इस दल के लिए बहुत अच्छा रहेगा, क्योंकि वो इसके मूलांक के वर्ष और भाग्यांक का परम मित्र है. इसलिए आयु अंक का मित्र भी है और साथ का भी मित्र है. इस दल के मुखिया नीतीश कुमार का जन्मदिन है, एक मार्च 1951. हालांकि हमारी नजर में उनके जन्म की यह तारीख विश्वसनीय नहीं है. लेकिन अगर इसी को सही मानकर बात करें, तो इनका मूलांक एक, भाग्यांक दो और आयु अंक छह है, 69वें वर्ष के कारण और नामांक सात है.
इनको लेकर अगर हम देखें, तो जो चुनावी वर्षांक तीन है, उसके साथ में ये बनाते हैं, आठ प्लस. यह प्लस का बहुत बड़ा आंकड़ा है, जो सकारात्मक है. लोकसभा अंक जो आठ है, उसके साथ में अगर देखें तो जद (यू) और नीतीश के अंक तीन माइनस यानि कि बुरी अवस्था बताते हैं. चुनावी चलित अंक छह के साथ में जद (यू) और नीतीश कुमार का अंक बनता है, तीन प्लस. यहां पर जद (यू) के लिए आठ और तीन मिलकर बनते हैं, ग्यारह प्लस और तीन माइनस, यानि कुल मिलाकर आठ प्लस. यह बहुत अच्छी अवस्था मानी जाती है. हमने यहां केवल जद (यू) का आकलन किया है. यह स्थिति तभी होगी, अगर जद (यू) अकेले लड़े.
ठीक स्थिति में रहेगी कांग्रेस
अब आते हैं कांग्रेस पर. कांग्रेस का पूरा नाम है, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस. यह नाम चुनाव आयोग में पंजीकृत हुआ, दो जनवरी 1978 को. इसका मूलांक दो, भाग्यांक एक और आयु अंक छह है, 42वें वर्ष के कारण और इसका नामांक तीन है. राहुल गांधी इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. उनका जन्मदिन है, 19 जून 1970. इनका मूलांक एक, भाग्यांक छह और आयु अंक चार है, 49वें वर्ष के कारण और नामांक नौ है. यहां गौर करने वाली बात है कि इनका मूलांक एक और भाग्यांक छह परस्पर विरोधी हैं. एक आयु अंक चार का विरोधी है, वहीं भाग्यांक छह भी आयु अंक चार का विरोधी है और इनका भाग्यांक छह नामांक नौ का विरोधी है. तो कुल मिलाकर, कांग्रेस और राहुल गांधी, दोनों के अंक को अगर हम देखें तो चुनावी वर्षांक तीन के साथ में ये बनाते हैं दो प्लस का आंकड़ा.
अब लोकसभा के अंक के साथ अगर हम बात करें, जो आठ है, तो उसके साथ में यह बनता है, पांच माइनस. राहुल गांधी और कांग्रेस के अंकों को चुनावी चलित के अंक छह के साथ देखें, तो यह बनता है, पांच प्लस. कुल मिलाकर, पांच प्लस और दो प्लस, यानि सात प्लस और पांच माइनस. सात प्लस में से पांच माइनस घटाएंगे, तो हमारे पास बचेंगे दो प्लस. इसे ठीक माना जा सकता है, लेकिन यह कोई बहुत बड़ी अवस्था नहीं कही जा सकती. सीटों में इसे ढालने के लिए हम बाद में बात करेंगे.
राजद के सितारे बुलंद
अब हम बात करते हैं, राजद यानि राष्ट्रीय जनता दल की. इस पार्टी की स्थापना हुई थी, पांच जुलाई 1997 को. इसका मूलांक पांच, भाग्यांक दो और आयु अंक चार है, 22वें वर्ष के कारण और नामांक पांच है. लालू प्रसाद यादव का जन्मदिन 11 जून 1948 को मनाया जाता है. उनका अब तक का यही एकलौता उपल्ब्ध जन्मदिन है, तो हम इसी आधार पर बात करेंगे. उनका मूलांक दो, भाग्यांक तीन, आयु अंक आठ है, 71वें वर्ष के कारण और नामांक नौ है.
राजद और लालू यादव के अंकों को देखें, तो चुनावी वर्षांक तीन के साथ इनके गणन की अंतिम योग की स्थिति आती है, पांच प्लस और लोकसभा अंक के साथ में लालू यादव और राजद का अंक आता है, प्लस. चुनावी चलित के अंक छह के साथ में गणना से जो अंक आता है, एक प्लस और एक माइनस यानि शून्य. ऐसी अवस्थाओं में राजद के खाते में छह प्लस गए हैं और यह एक अच्छी संख्या मानी जा सकती है, राजद के वर्तमान स्वरूप को देखते हुए. हालांकि लालू जी की जन्म तारीख पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं है.
जहां जाएंगे उसे डुबोएंगे पासवान
अब आते हैं, लोजपा अर्थात लोक जनशक्ति पार्टी पर, जिसके मुखिया रामविलास पासवान हैं. लोजपा 28 नवंबर 2000 को बनी. इसका मूलांक एक, भाग्यांक पांच, आयु अंक एक, 19वें वर्ष के कारण और नामांक छह है. रामविलास पासवान की बात करें, तो उनका जन्मदिन है, पांच जुलाई 1946. यहां मूलांक और भाग्यांक दोनों पांच हैं, आयु अंक एक है, 73वें वर्ष के कारण और नामांक नौ है. अब ये देखने वाली बात है कि इनके मूलांक और भाग्यांक दोनों पांच हैं, ये दोनों नामांक नौ के परम विरोधी हैं.
उसी तरह से, इनकी पार्टी के मूलांक और आयु अंक दोनों एक हैं और ये दोनों नामांक छह के परम विरोधी हैं. लोजपा और पासवान के अंक चुनावी वर्षांक तीन के साथ में लाते हैं, छह माइनस और लोकसभा अंक आठ के साथ में फिर लाते हैं छह माइनस. उसके बाद, चुनावी चलित अंक जो है, उसके साथ में लाते हैं, एक प्लस. तो बारह माइनस और एक प्लस यानी कि ग्यारह माइनस. यह अत्यंत हानिकारक अवस्था लोजपा की आती है. आज की तारीख में लोजपा के पास जो सीटें हैं, उतनी संख्या तो छोड़िए, हो सकता है कि लोजपा को एक सीट पाने के लिए भी आकाश-पाताल एक करना पड़े.
कुशवाहा करेंगे कमाल
अब बात करते हैं, आखिरी दल रालोसपा यानि राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की, जो वैसे तो आकार-प्रकार में छोटी है, लेकिन फिर भी यह प्रमुख धड़ा है. इसके अध्यक्ष हैं उपेन्द्र कुशवाहा. यह पार्टी बनी थी, तीन मार्च 2013 को. इसका मूलांक तीन, भाग्यांक तीन, आयु अंक 7 और नामांक सात है. यह गजब की बात है कि इसके अंक आपस में बहुत अच्छी मित्रता रख रहे हैं. उपेन्द्र कुशवाहा का जन्मदिन है, दो जून 1960. इनका मूलांक दो, भाग्यांक छह, आयु अंक पांच है, 59वें वर्ष के कारण और नामांक छह है.
अब खास बात यह है कि पार्टी के जो अंक हैं, वो उपेन्द्र कुशवाहा के अंकों के विपरीत हैं. रालोसपा और उपेन्द्र कुशवाहा के अंक चुनावी वर्षांक तीन के साथ में बनाते हैं, चार प्लस और लोकसभा अंक आठ के साथ में बनाते हैं, दो प्लस. चलित का जो अंक है, चुनाव का छह, उसके साथ में बनाते हैं छह प्लस, तो कुल मिलाकर बारह प्लस बनता है. यह बहुत ही अच्छी अवस्था है. इसका मतलब यह है कि इस पार्टी के कोटे में जितनी भी सीटें अलॉट होंगी, उसमें से हो सकता है कि यह बॉस की एक सीट हारे, या हो सकता है कि वो भी न हारे. बारह प्लस यह बताता है कि इसे तीन, चार या पांच जितनी भी सीटें अलॉट होंगी, वो सभी सीटें पार्टी जीत सकती है.
एनडीए से आगे महागठबंधन
यह तो हमने बात की, इन दलों के अलग-अलग साथ लड़ने की अवस्था की. लेकिन अगर ये साथ मिलकर लड़ें, तो क्या होगा? सबसे पहले हम बात करते हैं, एनडीए की. एनडीए के नाम पर जो लोग इकट्ठा हैं, उनकी बात करें, तो भाजपा का दो माइनस, जद (यू) का आठ प्लस, लोजपा का ग्यारह माइनस और रालोसपा का बारह प्लस है. ऐसी अवस्था में यह बन जाता है, छह प्लस और एक प्लस, यानि टोटल बनता है सात प्लस.
महागठबंधन में हम फिलहाल राजद और कांग्रेस को मानकर चलते हैं. ये दोनों मिलकर बना लेते हैं, आठ प्लस. इसका मतलब यह है कि भाजपा, जेडी (यू), लोजपा और रालोसपा यानि ये चारों मिलकर एनडीए में एकसाथ लड़ें तो इनकी गणना सात प्लस है. इधर, राजद और कांग्रेस के महागठबंधन की गणना है, आठ प्लस. यानि महागठबंधन एनडीए से एक प्लस ज्यादा है. इसका मतलब, यह पक्ष भारी रह सकता है. इन दोनों का जो वर्तमान स्वरूप है, उसमें अगर ये लड़ें, तो एनडीए के मुकाबले महागठबंधन को ज्यादा सीटें मिलेंगी.
इसमें एक चीज जो हम देख रहे हैं कि उपेन्द्र कुशवाहा महागठबंधन में शामिल होंगे. यह तय है और यह बहुत जल्दी होने वाला है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम चुनाव के उपरांत, दिसंबर के बाद यह कभी भी हो सकता है. ऐसा होने की अवस्था में फिर कांग्रेस दो प्लस, राजद छह प्लस और रालोसपा के बारह प्लस मिलकर हो जाएंगे 20 प्लस. यह बहुत मजबूत स्थिति बन जाएगी. वहीं, यदि पासवान एनडीए में रहते हैं, तो यह एनडीए के लिए बहुत घातक स्थिति है. पासवान के ग्यारह माइनस एनडीए के लिए गले की घंटी बन जाएंगे और उसे जगह-जगह नुकसान उठाना पड़ेगा. एनडीए के लिए अच्छा यही रहेगा कि एनडीए से पासवान को निकाल दिया जाए.
भाजपा से दोस्ती में जद (यू) का नुकसान
अब बात कर लेते हैं भाजपा और जद (यू) की. भाजपा दो माइनस में है और जद (यू) आठ प्लस में है. अगर भाजपा और जद (यू) मिलकर चुनाव लड़ते हैं, तो नुकसान जद (यू) को ही होना है, भाजपा को तो फायदा होना है. जद (यू) के आठ प्लस के कारण भाजपा के दो माइनस को सपोर्ट मिलता है और इस तरह से उसे फायदा होता है. लेकिन भाजपा के दो माइनस से जद (यू) के आठ प्लस को घाटा होना है. वो आठ में से दो घटकर छह प्लस हो जाएगा.
इसका मतलब यह है कि अगर भाजपा और जद (यू) साथ में चुनाव लड़ते हैं, तो जद (यू) को घाटा उठाना पड़ेगा. इसे मांगी हुई या अनुमानित सीटों की संख्या से कम सीटें मिलेंगी और सीटें आएंगी भी कम. भाजपा और जद (यू) दोनों पार्टियां मिलकर भी अच्छी संख्या में सीटें नहीं जीत पाएंगी. इनकी तुलना में महागठबंधन ज्यादा सीटें जीतेगा. इसप्रकार, जद (यू) के लिए कल्याणकारी और श्रेयस्कर होगा कि वो एक बार सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए ही सही, एनडीए से अलग हो जाए और सभी 40 सीटों पर अकेले लोकसभा चुनाव लड़े.
जद (यू) को महागठबंधन में भी नहीं जाना चाहिए, क्योंकि महागठबंधन में जाने के बाद, इसका जो आठ प्लस है, वो कांग्रेस और राजद के आठ प्लस के बराबर हो जाएगा और वो दोनों मिलकर इसे 20 से ज्यादा सीटें देंगी ही नहीं. क्योंकि इनके भी आठ प्लस हैं और कांग्रेस तथा राजद के भी आठ प्लस हैं. तो 20 अधिकतम सीटें मिलनी हैं. इसलिए अच्छा रहेगा कि जद (यू) अकेला 40 सीटों पर चुनाव लड़े. ऐसी अवस्था में 40 सीटों का अगर हम हिसाब किताब देखें, तो यह आठ प्लस, टोटल 15 प्लस के आधे से ज्यादा है. इसका मतलब यह है कि जद (यू) लगभग 12, 13 से 15 के बीच में सीटें जीत सकती है.
त्रिशंकु होगी अगली लोकसभा
ज्योतिषीय गणना में एक आभास आया है कि अगली लोकसभा त्रिशंकु होगी. इसमें न तो एनडीए को पूर्णरूप से बहुमत मिलेगा, न यूपीए को पूर्ण बहुमत मिलेगा और न ही किसी तीसरे मोर्चे को. लेकिन एनडीए सबसे बड़ा गठबंधन बनकर उभरेगा. इसलिए उसे सरकार बनाने के लिए जद (यू) की सीटों की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में जद (यू) को मिली 12, 13 सीटें, जो इससे ज्यादा भी हो सकती हैं, इनके लिए बहुत महत्वपूर्ण होगी. जद (यू) के लिए सुखद यह होगा कि वो केन्द्र में भी सरकार का हिस्सा बनेगी.
हमने 2010 के विधानसभा चुनाव के समय एक भविष्यवाणी की थी कि अगले 18 साल यानि 2028 तक जद (यू), भाजपा ही राज करेंगे, चाहे वो मिलकर करें या अलग-अलग करें. इसीलिए जद (यू) और नीतीश कुमार को अभी सरकार चलाने की चिंता छोड़ देनी चाहिए. अगर वो अकेले होकर चुनाव लड़ते हैं, तो अच्छी-खासी संख्या में सीटें आएंगी. वे केन्द्र में सत्ता में भागीदार होंगे और उनकी सरकार जो है, वो भाजपा अपनी जिम्मेदारी से चिंता रखकर चलाएगी.
नीतीश कुमार और जद (यू) को इतना ध्यान रखना है कि वे एनडीए से सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए अस्थाई रूप से अलग हों, 17वें लोकसभा चुनाव के लिए महागठबंधन में नहीं जाएं. वहां जाने से राजद के छह प्लस और कांग्रेस के दो प्लस, ये आठ प्लस, बल्कि वहां कुशवाहा भी मिल जाएंगे, तो वो बीस प्लस हो जाएगा. तो जद (यू) को 20 से भी कम सीटें मिलेंगी, जो इनके लिए हानिकारक रहेगा.
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए बिहार के प्रमुख दलों की यह तस्वीर हो सकती है. इसमें कम्यूनिस्ट पार्टियों का कोई भी आकलन नहीं किया गया है. कम्यूनिस्ट पार्टी जाहिर है, महागठबंधन को ही सपोर्ट देंगी, तो इससे पूरे आकलन में कहीं कोई एक-दो सीट का या अधिकतम तीन सीट का अंतर आ सकता है. लगभग यही आकलन लोकसभा चुनाव का रहेगा.
निष्कर्ष के रूप में यह माना जा सकता है कि एक तरफ जहां जद (यू) को अलग होकर लड़ना चाहिए और चुनाव के बाद फिर एनडीए के साथ आ जाना चाहिए, वहीं भाजपा के लिए भी खतरे की घंटी है यह चुनाव कि वो बहुत संभलकर और बहुत बुद्धिमता से कदम बढ़ाए, चाहे किसी के साथ मिलकर लड़े या अकेले लड़े. अपने पार्टनर बहुत ध्यान से चुने. साथ ही, रामविलास पासवान के लिए यह चुनाव बहुत बड़े खतरे की घंटी है.
नीतीश कुमार की जद (यू) और रामविलास पासवान की लोजपा के मिलकर लड़ने की संभावना पर बात करें, तो ऐसी अवस्था में पासवान की पार्टी के अंक हैं, ग्यारह माइनस और नीतीश कुमार की पार्टी के अंक हैं, आठ प्लस. तो पासवान की पार्टी के कारण नीतीश कुमार की पार्टी को हानि ही पहुंचेगी, लाभ नहीं मिलेगा. जद (यू) के कारण पासवान की पार्टी को लाभ अवश्य मिलेगा.
इसीलिए जद (यू) को चाहिए कि वो किसी भी दल के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़े. भाजपा के माइनस में अंक हैं और लोजपा के तो बहुत ज्यादा माइनस में अंक हैं. इधर, कांग्रेस और राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे, तो उनको सीटें ही कम मिलेंगी. इसलिए जद (यू) के लिए एकमात्र श्रेयष्कर है कि वे अकेले लड़ें. पासवान के अंक तो इतने खराब हैं कि लोजपा की खुद की कोई एकाध सीट निकल आए, वो भी बहुत बड़ी बात होगी.
सुशासन के लिए उप-मुख्यमंत्री का बदलना जरूरी है
नीतीश कुमार की उपलब्ध जन्म तारीख है और जैसा उनका अंग ज्योतिष यानि बॉडी लैंग्वेज एनालिसिस है, इन दोनों के आधार पर दो-तीन चीजें खास तौर पर उभर कर आती हैं. ये चीजें पार्टियों की सीमाओं से परे भी हैं और पार्टी की सीमाओं का अतिक्रमण करती भी दिखाई देती हैं. अंग ज्योतिष और अंक ज्योतिष, अगर दोनों को मिलाकर देखें तो नीतीश कुमार जी को सबसे पहले ये करना चाहिए कि बिहार विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित करवाकर बिहार की अंग्रेजी वर्तनी को सुधारना चाहिए, उसमें इखकअअठ करवाना चाहिए. जितनी चीजें, जो खास बातें नीतीश कुमार जी के लिए नुकसानदायक हैं, उनके कार्य को, उनके मार्ग को दुरुह बना रही हैं, उनके मार्ग में बाधाएं पैदा कर रही हैं, उनको सुशासन बाबू की जगह कुशासन बाबू की तरफ ले जा रही हैं, उसमें बदलाव आएगा.
पहली महत्वपूर्ण बात ये है कि वर्ष 2015 के बाद बिहार का नामांक नीतीश बाबू के बहुत विपरीत है. ऐसे अंक वाले व्यक्ति के लिए सुशासन तो छोड़िए, शासन करना भी कठिन हो जाता है, गले की हड्डी बन जाता है शासन करना. सर्वसम्मति से या बहुमत से, जो भी कानूनी प्रक्रिया है, उसके हिसाब से, बिहार विधानसभा में और विधान परिषद में एक प्रस्ताव पारित करवाएं और बिहार की अंग्रेजी वर्तनी इखकअअठ की जाए. क्योंकि अभी ऐसा नहीं होने से उन्हें नुकसान पहुंच रहा है. अब बात करें नीतीश जी के व्यक्ति वाचक स्वरूप की.
नीतीश कुमार जी का जो अंग ज्योतिषीय विश्लेषण यानी बॉडी लैंग्वेज एनालिसिस है, वो कहता है कि उनका मुंह कम खुलता है. यानी उनके मुंह का स्पेस भी कम है मुंह खुलने में, क्षेत्रफल भी कम है और उसकी जो गहराई है खुलने में, वो भी बहुत कम है. ऐसे जैसे मानो वे अपने मुंह में कोई मसाला या कोई पान या कोई सुपारी या कोई इलायची दबाए हुए हों. उनके मुंह के अंदर का विन्यास कम है.
लेकिन उनका शुक्र और बुध दोनों ठीक हैं. इस वजह से पॉजिटिव होने से उनकी मानसिक स्थिरता बहुत रहती है. जैसे ममता बनर्जी का बुध अस्थिर है तो उस वजह से वो मानसिक रूप से बहुत अस्थिर रहती हैं. ऐसा नीतीश बाबू के यहां नहीं है. लेकिन नीतीश बाबू से जो विपरीत बॉडी लैंग्वेज या अंग ज्योतिषीय लोग हैं, वे उनके लिए हानिकारक हैं.
इसमें दो तरह के लोग हैं. एक तो जो उनसे ज्यादा कमजोर बॉडी लैंग्वेज वाले हैं, जो पतले हैं और दूसरे उनसे ज्यादा कमजोर बॉडी लैंग्वेज वाले हैं, लेकिन वो मोटे आकार के हैं. सबसे पहले एक नंबर पर आएं. वो लोग, जिनकी आवाज पूरी नॉर्मल वॉयस नहीं है, ऐसे लगता है कि दमे के मरीज की तरह बोल रहे हैं, दबे हुए या दबे गले से बोल रहे हैं, जिनकी नाक तीखी हो, चेहरा मोहरा दबा कुचला हो, जिनकी बॉडी दुबली-पतली हो या एवरेज से बहुत पतली हो और जिनको सुनकर या देखकर ऐसा लगता है कि ये आदमी तो स्त्रीवाचक व्यक्ति है.
यानी इसमें पुरुषोचित के बजाय स्त्रीयोचित लक्षण भी अधिक हैं, ऐसे लोग, भले ही किसी भी क्षेत्र में हों, खासकर ऐसे लोग उनके गठबंधन के साथी होते हैं तो बहुत बड़ा नुकसान होता है. नीतीश बाबू के साथ दुर्भाग्य दो तरह से है. एक तो ऐसे कि स्त्री अंग जिन लोगों के खराब हैं, अभी वो भाजपा पर काबिज हैं प्रदेश नेतृत्व में और भाजपा के साथ ही उनका गठबंधन है. ऊपर से उनके जो नायब हैं, यानी दो नंबर, मतलब उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, अभी जो लक्षण मैंने बताए वो सारे के सारे लक्षण सुशील कुमार मोदी के साथ लगते हैं. ऐसे में जो होता है, अच्छा नहीं होता.
एक कहावत है कि वही कप्तान सर्वाधिक सफल होता है, जिसका उपकप्तान बढ़िया होता है. नीतीश बाबू के यहां उल्टा है. सुशील कुमार मोदी की जितनी भी बॉडी लैंग्वेज हैं, वो नीतीश बाबू के लिए सौ फीसदी ही नहीं, बल्कि दो सौ फीसदी हानिकारक हैं. लाभकारी तो बिल्कुल भी नहीं हैं. यानी कि वे उनके उपमुख्यमंत्री के रूप में सहायक होने के बजाय उनके लिए मुसीबतों के कारक, संकट के केन्द्र या फिर एक बोझ ही साबित हुए हैं, हो रहे हैं और अगर ऐसा रहा तो आइंदा भी यही रहेगा. नीतीश बाबू को ऐसे लोगों से पिंड छुड़ाना चाहिए.
दूसरी बात यह है कि नीतीश कुमार जी के बारे में जैसा मैंने लिखा कि उनका बुध व शुक्र ठीक है. इसलिए नीतीश बाबू आर्थिक रूप से भ्रष्ट लोगों में कभी शुमार नहीं होंगे. नेताओं में जिन्हें भ्रष्टाचारी बोलते हैं, वो भ्रष्टाचार उनके साथ कभी जुड़ेगा नहीं और कभी आरोप लगेगा नहीं. ये बिल्कुल पाक-साफ रहेंगे. इनके साथियों को देखें और इनके नाक को ध्यान से देखें अंग ज्योतिष के हिसाब से, इनकी नाक ने कभी भी अपना स्वरूप परिवर्तन नहीं किया. मैंने इनके 40 चालीस साल पुराने फोटो भी देखे हैं और इन दिनों वाले फोटो पर भी गौर किया है.
ऐसे में, इस तरह के लोग, जिनके कंधे चौड़े हों, शरीर चौड़ा हो, भारी हो, जो कद में नाटे से दिखते हों, जिनके कंधे की चौड़ाई की तरह उनके नाक के नथुने चौड़े हों, नाक की नोक हो और जिनकी मुस्कुराहट से ऐसा लगता है कि इसके अंदर कई राज छुपे हैं, ऐसी बॉडी लैंग्वेज जिन-जिन लोगों की बैठती है, नीतीश बाबू के लिए ऐसे लोग भी घोर हानिकारक होंगे. ऐसे लोगों में हम कई नाम ले सकते हैं. जिनमें सबसे अधिक नाम तो वो लेना पड़ेगा कि जिस नाम के खाते में कहा जाता है कि उन्होंने 2015 में नीतीश बाबू को सबसे बड़ी विजय दिलवाई, हालांंकि उसके पीछे और भी बातें हो सकती हैं, यानी प्रशांत किशोर.
अभी जो मैंने लक्षण बताए हैं अंग लक्षण के, वो सारे लक्षण वहां मिलते हैं. उनके कंधे चौड़े हैं, शरीर चौड़ाई में भी मोटा है और गोलाई में भी मोटा है, कद उनका नाटा है, नथुने उनके कंधे की तरह ही चौड़े होकर कट में ऊपर की तरफ निकलते हैं और नाक की नोक नीची है. वो जब मुस्कुराते हैं तो उनकी आंखे बंद हो जाती हैं, ठीक चीनियों की तरह. हमेशा कहा जाता है कि मंगोल जाति वाले जब मुस्कुराते हैं और आंखें बंद होती हैं तो वही धूर्तता होती है. मैं ज्योतिष विश्लेषण की बात कर रहा हूं, यह व्यक्तिगत विद्वेष की बात नहीं है. प्रशांत किशोर जब मुस्कुराते हैं तो नाक के नथुने ऊपर कट में जाते हैं त्रिकोण में और साथ में आंखें बंद होती दिखती हैं, बल्कि काफी कुछ बंद हो जाती हैं. ये जो चीज है, यही अंदर के भाव हैं, वे कम से कम नीतीश बाबू के भविष्य के लिए तो अनुकूल नहीं हैं. इसीलिए मैंने जैसे लक्षण बताए हैं, उनमें ये दोनों लोग आते हैं.
इसके अलावा कुछ और लोग भी हो सकते हैं, जो इसी परिभाषा में आते हैं. नीतीश बाबू को चाहिए कि तत्काल ऐसे लोगों से किनारा करें. यानी पहला काम यह करें कि भाजपा से कह कर अपने उपमुख्यमंत्री को बदलें और एक ऐसा उपमुख्यमंत्री लाएं, जिसके जन्मांक यानी जन्म दिनांक के अंक तो नीतीश बाबू के अनुकूल हो ही, साथ ही साथ उसकी बॉडी लैंग्वेज भी नीतीश बाबू से मैच करती हो न कि सुशील कुमार मोदी से मैच करती हो. मेरी बात कड़वी लग सकती है, क्योंकि नीतीश बाबू ने अभी-अभी प्रशांत किशोर को पार्टी में भी शामिल कर लिया है और जैसा सुनने में आता है कि कल उन्हें मंत्री भी बना सकते हैं. अगर ऐसा होता है, तो विनाशकाले विपरीत बुद्धि.
मैं स्पष्ट शब्दों में कह रहा हूं, पूरी ज्योतिषीय जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं, कोई स्लिप ऑफ टंंग नहीं है यहां पर, कि प्रशांत किशोर नीतीश बाबू के लिए हानिकारक ही रहेंगे. 2015 का श्रेय प्रशांत किशोर के खाते में डालना निहायत मूर्खता होगी, क्योंकि उसमें और भी कई लोगों का हाथ था. उसमें मुत्युंजय झा साहब जैसे अघोरी और महान तांत्रिक का भी आशीर्वाद था.
मृत्युंजय झा जी के साथ नीतीश बाबू की फोटो वायरल हुई थी और लोगों ने बुरा-भला भी कहा था. इसलिए प्रशांत किशोर के खाते में 2015 की सारी सफलता डालना एक मूर्खता होगी और नीतीश बाबू को चाहिए कि इन दोनों लोगों से जितनी जल्दी हो सके पिंड छुड़ाएं, दूरी बनाएं और अपने उपयुक्त अंकों वाले लोगों से मार्गदर्शन लें, अपने उपयुक्त अंकों वाले लोगों को साथ जोड़ें. तब न सिर्फ नीतीश बाबू अगली बार फिर विधानसभा चुनाव जीतेंगे बल्कि लोकसभा चुनाव में भी इतना बढ़िया प्रदर्शन कर ही लेंगे कि एनडीए को या सरकार बनाने वाले गठबंधन को उनकी जरूरत पड़ेगी.
डॉक्टर कुमार गणेश की पूर्व में सच साबित हुई भविष्यवाणियां
8 दिसंबर 2015
राम नाथ कोविन्द : (बिहार के राज्यपाल)
जन्म दिनांक : 05-09-1946/ मूलांकः- 5, भाग्यांकः- 7
आयु अंकः- (70वां वर्ष), नामांक :- 2
- राज्यपाल के रूप में राज्य-परिवर्तन सम्भव है.
- राष्ट्रपति/उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में आ सकते हैं.
- स्वास्थ्य झटका दे सकता है. सन्तान सम्बन्धी विशेष गतिविधि सम्भव है.
6 मार्च, 2013
नीतीश कुमार (बिहार के मुख्यमंत्री)
जन्म दिनांक 01-03-1951/ मूलांकः- 1, भाग्यांकः- 2
आयु अंकः- 9 (63वां वर्ष), नामांकः- 7
- साथी दलों/दल के साथियों से उलझाव बढ़ सकता है.
- भाजपा का साथ छोड़ने की हद तक जा सकते हैं.
- लोकसभा चुनाव होने की स्थिति में सीटें अभी की तुलना में कम हो सकती हैं.
मंगलवार, 2 जून, 2015
लोकसभा चुनाव 2014 : हमारी भविष्यवाणी सही साबित भाग-36
भारतीय जनता पार्टी : सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन व केन्द्र में सरकार बनाई
भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा की 282 सीटें लाकर अपनी सरकार बनाई. हमने इसकी भविष्यवाणी कर दी थी. अपने ब्लॉग पर दिनांक 04 अप्रैल के सन्दर्भ में चर्चा करते हुए हमने साफ-साफ कहा था- खोई साख फिर से पा सकती है. केन्द्र में फिर सत्ता में आ सकती है. इसके अलावा यही बात हमने और जगहों पर भी कही है. अपने ब्लॉग पर दिनांक 22 अप्रैल, 2014 की पोस्ट ‘लोकसभा चुनाव 2014 ः भाग 15, भारतीय जनता पार्टी ः सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की ओर’ में हमने कहा है- ‘ये युक्तियां इस बार भाजपा को अच्छा लाभ दे सकती हैं. अतः इन लोकसभा चुनावों में भाजपा की सीटें बहुत अच्छी संख्या में बढ़ सकती हैं.’ आप स्वयं ही देख लीजिए कि यह बात कितनी सही साबित हुई.
शुक्रवार, 22 मई 2015
लोकसभा चुनाव 2014
हमारी भविष्यवाणी सही साबित भाग 16
समाजवादी पार्टीः खराब प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय दल समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन बहुत बुरा रहा. हमने इसकी भविष्यवाणी कर दी थी और वह भी एक जगह नहीं, बल्कि चार जगहों पर. अपने ब्लॉग पर अक्टूबर, 2013 को ‘आज की हस्ती’ स्तम्भ के अन्तर्गत समाजवादी पार्टी के स्थापना-दिवस 04 अक्टूबर के सन्दर्भ में चर्चा करते हुए हमने साफ-साफ कहा था- ‘लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन कोई बहुत बढ़ा-चढ़ा नहीं रहेगा.’ यही बात हमने अपने ब्लॉग पर नवम्बर, 2013 को ‘आज की हस्ती’ स्तम्भ के अन्तर्गत इस दल के मुखिया मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन 22 नवम्बर के सन्दर्भ में चर्चा करते हुए साफ-साफ कहा था- ‘लोकसभा चुनाव में पार्टी को बहुत बड़ी सफलता मिल पाना कठिन है.’
सोमवार, 22 जून 2015
लोकसभा चुनाव 2014 : हमारी भविष्यवाणी सही साबित भाग- 51
राष्ट्रीय जनता दल : बुरा प्रदर्शन
बिहार के क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय जनता दल का प्रदर्शन बुरा रहा. इसे मात्र 04 सीटें मिलीं. हमने इसकी भविष्यवाणी कर दी थी. अपने ब्लॉग पर दिनांक 13 जून, 2013 को ‘आज की हस्ती’ स्तम्भ के अंतर्गत इस दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन 11 जून के सन्दर्भ में चर्चा करते हुए हमने साफ साफ कहा था- वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव होने पर प्रदर्शन बुरा रह सकता है. आप स्वयं ही देख लीजिए कि यह बात कितनी सही साबित हुई.
रविवार, 6 सितंबर 2015
किरण बेदी (पूर्व आईपीएस व भाजपा नेता) जन्म दिनांक :- 09-06-1949/ मूलांकः- 9, भाग्यांकः- 2, आयु अंकः- 4 (67वां वर्ष), नामांकः- 5
- पार्टी सम्बन्धी विवाद में उलझ सकती हैं.
- पुरानी बातें परेशान कर सकती हैं.
- राजनीति छोड़ सकती हैं. विशिष्ट नियुक्ति/मनोनयन सम्भव है.
रविवार, 6 सितंबर 2015
लालू प्रसाद यादव (बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री)
जन्म दिनांकः- 11-06-1948/ मूलांकः- 2, भाग्यांकः- 3
आयु अंकः- 5 (68वां वर्ष), नामांकः- 9
- विधानसभा चुनाव में दल का प्रदर्शन अच्छा रह सकता है.
- विधानसभा चुनाव में परिजनों को सफलता मिल सकती है.
- विधानसभा चुनाव के बाद उठापटक सम्भव है.
गुरुवार, 17 सितंबर 2015
अहमद पटेल (कांग्रेस नेता)
जन्म दिनांकः- 21-08-1949/ मूलांकः- 3, भाग्यांकः- 7
आयु अंकः- 4 (67वां वर्ष), नामांकः- 4
- पार्टी को झटके लगने से नहीं बचा पाएंगे.
- पार्टीगत विवाद में उलझ सकते हैं.
- सांसद वाला स्वरूप बरकरार रह सकता है.
13 मई, 2012
अखिलेश यादव : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री.
जन्म दिनांकः- 01-07-1973, मूलांकः- 1, भाग्यांकः- 1, आयु अंकः- 3 (39वां वर्ष), नामांकः- 2/ शपथ ग्रहणः- 15-03-2012 / मूलांकः- 6, भाग्यांकः- 5, दिन अंकः- 3, चलित अंकः- 3+
- पार्टी/परिवार में विषमता बढ़ सकती है.
- वर्ष 2014 से वर्ष 2018 के बीच पार्टी को संभाले रखना बहुत कठिन हो जाएगा.
- शपथ ग्रहण का भाग्यांक 5 नामांक 2 का विरोधी है. इसलिए यदि वर्ष 2017 में अगले विधानसभा चुनाव होते हैं, तो खुद को मुख्यमंत्री के रूप में दोहरा नहीं पाएंगे.