जाने-माने वकील और भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने देश की अर्थ व्यवस्था में छायी सुस्ती पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने एक दो मामलों का हवाला दे कर कहा है कि आर्थिक सुस्ती के लिए सुप्रीम कोर्ट भी जिम्मेदार है. हालांकि वह मानते हैं कि 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस देने के लिए संबंधित लोग जिम्मेदार हैं.
अचानक सभी लाइसेंस रद्द हो गए. जब कोई विदेशी निवेश करता है तो नियम है कि एक भारतीय पार्टनर होना चाहिए. लेकिन विदेशी निवेशकों को ये नहीं मालूम था कि उनके भारतीय पार्टनर को लाइसेंस कैसे मिला. विदेशी निवेशकों ने करोड़ों रुपये निवेश किए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक झटके में लाइसेंस रद्द कर दिया. आर्थिक मंदी की शुरुआत यहीं से हुई.
बता दें कि साल 2010 में कैग की एक रिपोर्ट के बाद फरवरी 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने 122 लाइसेंस रद्द कर दिए थे. साल्वे ने टेलीकॉम कंपनियों की ओर से केस लड़ा था. सीबीआइ अदालत ने दिसंबर 2017 में पूर्व केंद्रीय मंत्रियों और मुख्य आरोपी ए. राजा और कनिमोझी के अलावा 15 अन्य को बरी कर दिया.
साल्वे के मुताबिक कोयले की खदानों के आवंटन में भी ऐसा ही हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2014 में 1993 से लेकर 2011 तक आवंटित सभी कोयला खदानों के लाइसेंस रद्द कर दिए थे. कहा गया कि देश को इससे हर महीने 1500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. साल्वे ने कहा कि लाखों लोग देश में बेरोजगार हैं और भारत की कोयला खदानें बंद हो रही हैं, जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा.
कहा कि कोर्ट ने प्रत्येक केस के गुण-दोष पर गौर नहीं किया. एक फैसले से कोयला उद्योग में आया विदेशी निवेश बर्बाद हो गया. इसका असर ये हुआ कि इंडोनेशिया और अन्य देशों में कोयले की कीमत भारत से कम हो गईं और आयात सस्ता पड़ने लगा. कोयले के आयात से अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ने लगे और बेरोजगारी बढ़ गई.
बता दें कि हरीश साल्वे जाने माने वकील हैं. 2जी स्पेक्ट्रम मामले में ये टेलीकॉम कंपनियों की तरफ से लड़ रहे थे. इनकी गिनती भारत ही नहीं बल्कि विश्व के सबसे महंगे वकीलों में होती है. वे 1999 से 2002 के बीच भारत के सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी काम कर चुके हैं. हाल ही ये तब चर्चा में आए थे जब इंटरनेशनल कोर्ट में (कुलभूषण यादव मामला) भारत के लिए सिर्फ एक रुपये में केस लड़ा था. उनके जोरदार दलीलों के आगे पाकिस्तान की हार हुई थी.