दागी माननीयों पर लंबित मामले निपटाने की दिशा में सुप्रीम कोर्ट ने एक कदम और बढ़ा दिया है. इसे लेकर एक याचिका दायर की गई थी, मांग की गई है कि नेताओं के मुकदमों के लिए हर जिले में विशेष अदालत बने. कोर्ट ने कहा कि यह उचित नहीं है, क्योंकि हो सकता है कि एक जिले में केस ज्यादा हों और दूसरे में कोई केस हो ही न. वहीं सभी मुकदमे सेशन जिले के सेशन कोर्ट में एकत्र करना भी ठीक नहीं है. हो सकता है कि मुकदमे मजिस्ट्रेट ट्रायल स्तर के हों.
शुरुआत बिहार और केरल से
इसलिए कोर्ट ने कहा है कि बेहतर होगा कि यह मामला हाईकोर्ट पर छोड़ दिया जाए और वह स्थानीय जरूरत के हिसाब से जिलों में सेशन और मजिस्ट्रेट कोर्ट को विशेष अदालत चिह्नित करे. कोर्ट ने इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट के तैार पर पटना और केरल हाईकोर्ट को चुना और कहा कि इनके नतीजे देखकर आगे इस पर विचार किया जाएगा. इसे लेकर शीर्ष अदालत ने पटना और केरल हाईकोर्ट से कहा है कि वे पूर्व और मौजूदा सांसदों-विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का त्वरित निपटारा करने के लिए जिलों में जरूरत के हिसाब से मजिस्ट्रेट और सेशन कोर्ट को विशेष अदालतों में तब्दील करें.
14 तक मांगी रिपोर्ट
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, एसके कौल और केएम जोसफ की पीठ ने इन दोनों राज्यों, बिहार और केरल के हाईकोर्ट से 14 दिसंबर तक इस आदेश की अनुपालन रिपोर्ट भी मांगी है. शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालयों से कहा है कि पहले से गठित विशेष अदालतों से मामलों को लेकर जिला अदालतों में भेज दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि यह पूरा काम तेजी से होना चाहिए.