सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनावाई के दौरान 7 रोहिंग्याओ को म्यांमार भेजने का रास्ता साफ कर दिया है. वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इन्हें भारत में ही रहने की इजाजत देने की अपील की थी.
प्रशांत भूषण ने अपने याचिका में इस बात का जिक्र किया था कि म्यांमार में इन रोहिंग्याओ के साथ दुर्व्यवहार होता है. इन्हें टॉर्चर किया जाता है और सताया जाता है, जिसके कारण कई रोहिंग्या म्यांमार छोड़कर भारत और बांग्लादेश आए हुए हैं. इसके साथ ही याचिका में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र ने भी इन्हें शरणार्थी घोषित कर रखा है.
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने भूषण कि याचिका पर सुनवाई के दौरान इसे खारिज कर दिया है और इसके साथ ही 7 म्यंमार नागरिकों को उनके देश भेजने का निर्देश दिया है.
बता दें कि 2013 में रोहिंग्या नागरिकों को फोरन एक्ट का उल्लघंन करने के आरोप में गिरफ्तार किया था और अब इन नागरिकों ने अपनी सजा पूरी कर ली है. सजा पूरी करने के बाद इन्हें असम के सिलचर सेंटर में ऱखा गया था. इसके साथ ही बीते दिनों विदेश मंत्रालय ने इस मामले को म्यांमार के राजदूत के साथ भी साझा किया, तब म्यांमार के राजदूत ने इन्हें अपनी नागरिक के रूप में स्वीकार कर लिया था.
हालांकि म्यांमार ने जब इन्हें अपने नागरिक के तौर पर स्वीकार कर लिया था, तब भारतीय विदेश मंत्रालय ने इन्हें म्यांमार भेजने की कवायद शुरु कर दी थी. लेकिन फिर इस मसले को लेकर प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी थी, जिसमें थोड़ी देरी हो गई थी, लेकिन अब कोर्ट ने इन रोहिंग्याओं को म्यांमार भेजने का रास्ता साफ कर दिया है.