भोपाल। वक्फ संपत्तियों से होने वाली आमदनी बेशक अल्लाह की अमानत है और इस पर गरीब, जरूरतमंद लोगों का हक है, लेकिन नीयत में खोट रखने वाले वाले कुछ लोग अपनी जरूरतों और आराईश को पूरा करने के लिए इस जायदाद पर नजरें गड़ाए बैठे हैं। अपने किए गए गलत कामों को सच साबित करने के लिए लगातार झूठी शिकायतों का सहारा भी ले रहे हैं।
मामला राजगढ़ स्थित वक्फ जायदाद से जुड़ा हुआ है। वक़्फ़ अंजुमन इस्लाम कमेटी में सदर रहे राशीद अली पिता गफूर अली
इन दिनों महज दूसरों की शिकायतों से खुद को पाक साफ दिखाने की कोशिश में लगे दिखाई देते हैं। वक्फ दफ्तर से लेकर नेताओं की चौखट तक फर्जी शिकायतें करना इनका अहम शगल बन गया है। सूत्रों का कहना है कि शिकायतों के इस मिजाज़ के पीछे उनका मकसद खुद के काले कारनामों पर पर्दा डालना भर है। सूत्रों का कहना है कि राशिद अली 2001 से 2011 तक वक़्फ़ अंजुमन इस्लाम कमेटी, राजगढ़ का सदर रहा है। बताया जाता है कि अंजुमन की लाखों रुपए की आमद है और बेशकीमती प्रॉपर्टी भी है। लेकिन अंजुमन सदर रहते हुए राशीद अली ने 10 साल में एक बार भी मप्र वक्फ बोर्ड को चंदा निगरानी जमा नहीं किया। इस दौरान उन्होंने न कभी आय व्यय पत्रक जमा किए और न ही कभी वक़्फ़ के हिसबात के ऑडिट करवाया।
घोटालों की नई कहानी
सूत्रों का कहना है कि बच्चों के लिए मदरसा संचालन के लिए सरदार खां ने एक जमीन वक्फ की थी। लेकिन इस ज़मीन को निजी साबित करने के लिए भी राशिद अली ने साजिश रच डाली है। सूत्रों का कहना है कि अपने अध्यक्ष कार्यकाल में राशीद अली द्वारा खुद के नाम के निजी नाम से एग्रीमेंट कर लिया गया और उक्त जमीन को अपबे नाम रजिस्ट्री करवाने की साज़िश भी की, जिसका पर्दाफाश होने पर मामले की शिकायत भी हुई है। राशिद की बदनीयत का किस्सा यहीं पर नहीं रुका और उन्होंने
मदरसा के बच्चों के लिए मिलने वाले मध्यान्ह भोजन में गड़बड़ियां करने में भी कोताही नहीं बरती है।
आधार पूरी तरह निराधार
खुद को वक्फ का खैरख्वाह और कौम का पैरोकार कहने वाले राशिद अली की सामाजिक जमीन पूरी तरह से आधारहीन है। सूत्रों का कहना है कि राशीद अली सदर रहते हुए अंजुमन चुनाव लड़ा, जिसमे इन्हें मात्र 3 वोट हासिल हुए। उनके सदर रहते हुए भी उन्हें डॉ शेख से शिकस्त का सामना करना पड़ा था। लेकिन बताया जाता है कि वक़्फ़ की आमदनी का इन्हें ऐसा चस्का है कि हर बार अंजुमन का चुनाव इनके लिए हार का सबब बनकर ही सामने आता है। हद ये है कि स्थानीय स्तर पर कोई वजूद नहीं होने के बाद भी राशिद ने मप्र वक्फ बोर्ड के चुनाव लडने की ख्वाहिश भी नहीं रोक पाए और वहां भी शिकस्त का सामना करना पड़ा है।
अब कानूनी शिकंजे में राशिद
अपनी बदनीयत का खेल खेलने राशिद अली ने वक्फ किरायदारों से अवैध वसूली करने के लिए भी खेला। लेकिन किरायदारों की सजगता और सक्रियता ने उनके मंसूबे कामयाब नही होने दिया और मामला थाने से होते हुए अदालत की दहलीज तक पहुंच गया है। अवैध वसूली को लेकर राशिद के खिलाफ इस्तगासा क्रमांक 863/2020 लगाया गया है। सूत्रों का कहना है कि अपने अनैतिक कामों को बचाने के लिए राशिद पुलिस की मुखबिरी और दलाली में भी सक्रिय रहते हैं। बावजूद उनके अनैतिक कामों को ठौर नहीं मिल रहा है। सूत्रों का कहना है कि हाल ही में अनैतिक और मामलों में पुलिस द्वारा बुला कर पूछताछ की है। इसके अलावा राशीद अली के जीजा ने वक़्फ़ की ज़मीन की रजिस्ट्री अपने दोनों लडकों के नाम करवा दी है, जिसकी जांच फिलहाल जारी है।
चांडाल चौकड़ी कर रही काम
सूत्रों का कहना है कि राशिद अली को उनके अनैतिक कामों में शरण और वृहद हस्त देने के लिए लिए वक्फ के कुछ और दागदार भी जुड़े हुए हैं। इनमें वक्फ के पुराने दागदार सैयद मुश्ताक अली रिजवी जैसे पुराने घाघ शामिल हैं। वर्षों वक्फ संपत्तियों से अपनी जेबें भरने और वक्फ का नुक़सान करने वाले रिजवी और उनकी टीम अब उन लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी करने में सतत लगे रहते हैं, जो वक्फ हित के कामों में आगे आना चाहते हैं। अपनी मंशा को पूरा करने के लिए झूठी शिकायत, फर्जी प्रकरणों और सामाजिक विद्वेष फैलाने की इनकी कोशिशें जारी रहती हैं। जबकि इस चांडाल चौकड़ी में शामिल लोगों का न तो कोई सामाजिक दायरा है और न ही समाज में इनकी कोई मकबुलियात और रसूख ही है।
ख़ानआशु, रिपोर्ट