गौतमबुद्ध नगर उपभोक्ता फोरम ने सुपरटेक के निदेशकों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. गौतमबुद्ध नगर ज़िला उपभोक्ता फोेरम ने अपने आदेश में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को आदेश दिया है कि वह 27 जून को सुपरटेक के निदेशकों को पेश करे. यह गिरफ्तारी वारंट सुपरटेक द्वारा फोरम के आदेश की अनदेखी करते हुए बकाए रकम को जमा न करने पर जारी किया गया है. कंपनी के कानूनी प्रतिनिधि पिछले एक महीने से फोरम में राशि जमा करने का वादा कर रहे थे, लेकिन उन्होंने कोई राशि जमा नहीं की. नतीजतन गिरफ्तारी वारंट जारी करना पड़ा. उपभोक्ता फोरम ने सम्यक मिश्र पुत्र सतीश मिश्र के शिकायत पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. सम्यक मिश्र ने सुपरटेक से दो बेडरूम वाला एक फ्लैट लिया था उसमें यह था कि अगर फ्लैट टाइम पर नहीं मिलता है तो 18% ब्याज का भुगतान करना होगा, लेकिन सुपरटेक ने पैसे वापस नहीं दिए और उन्होंने गौतमबुद्ध नगर उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई थी. सम्यक मिश्र ने 24 दिसंबर 2006 को इंदिरापुरम, गाजियाबाद में सुपरटेक के द मीडिया पैराडाइज एवं फ्रेंड्स सहकारी आवास समिति में दो बेडरूम सेट वाला एक फ्लैट बुक कराया था और सुपरटेक ने 31 दिसंबर 2006 को आवंटन पत्र दे दिया था. सतीश मिश्र का कहना है कि उन्होंने 18 जनवरी 2007 को 25.80 लाख पूरी राशि दे दी थी. उन्होंने सुपरटेक को कई बार पत्र लिखकर फ्लैट निर्माण की देरी के बारे में पूछा, लेकिन सुपरटेक की तरफ से कोई जवाब नहीं आया. उसके बाद उन्होंने सुपरटेक के मुख्य प्रबंधक निदेशक को पत्र लिखकर जानकारी मांगी और यहां तक कि उनको उसकी रसीद भी नहीं मिली. सम्यक मिश्र को फ्लैट मिलने के लिए 15 फरवरी 2010 की जो तारीख दी गई थी उससे 13 महीने की देरी हो चुकी थी. जब उन्होंने पैसे के बारे में पूछा तो सुपरटेक ने कहा कि वह उनकी इस मांग को पूरा करने में असमर्थ हैं. उन्होंने सुपरटेक की तरफ से जवाब मिलने का तीन महीने तक इंतजार किया उसके बाद उन्होंेने निर्णय लिया कि वह गौतमबुद्ध नगर जिला उपभोक्ता फोरम जाएंगे. सम्यक बताते है कि हमें फ्लैट पर कब्जा मिल सकता है, लेकिन सुपरटेक ने यह कहकर हमारे आग्रह को मानने से इंकार कर दिया कि मामला न्यायालय के विचाराधीन है. वो कहते है कि 3 अक्टूबर, 2011 को गौतमबुद्ध नगर ज़िला उपभोक्ता फोरम द्वारा हमारे पक्ष में ़फैसले के बाद और 16 मई, 2012 को क्रियान्वयन आदेश के बाद फिर हमने सुपरटेक लिमिटेड से फ्लैट के कब्जे को लेकर बात की, लेकिन कंपनी ने सकारात्मक जवाब को लेकर तब तक लटकाए रखा, जब एक दिन उनके वकील ने फोन पर कहा कि एमएस सुपरटेक ने राज्य आयोग में अपील करने का फैसला किया है. सम्यक के मुताबिक राज्य आयोग ने सुपरटेक 250 दिनों के बाद की गई उनकी अपील को स्वीकार किया, जबकि प्रावधान यह है कि अपील 90 दिनों के भीतर ही की जा सकती है. गौरतलब है कि राज्य आयोग के नवंबर, 2012 के ़फैसले के बाद अप्रैल 2014 में सम्यक को फ्लैट का कब्जा मिल गया. राज्य आयोग ने 22 अगस्त, 2013 को जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा दिए गए ़फैसले को बरकरार रखा, जिसमें ़फैसला हमारे पक्ष में दिया गया था. सम्यक बताते है कि उन्होंने नेशनल कमीशन में एक कैवियट दाख़िल किया और उसके बाद ज़िला उपभोक्ता फोरम में एक आवेदन दाखिल कर उससे हमारी शिकायत संख्या 411 / 10 में दिए गिए आदेश के अनुपालन की मांग की. दर्जनों सुनवाई और फोरम के सामने पेशी के बाद एवं सुपरटेक लिमिटेड के कानूनी प्रतिनिधि के लगातार आश्वासनों के बाद ज़िला उपभोक्ता फोरम ने अपने आदेश संख्या 96 / 13 में सुपरटेक के निदेशकों की गिरफ्तारी का आदेश जारी किया और उसे गौतमबुद्ध नगर के एसएसपी के पास भेजा गया और कहा गया कि सुपरटेक के निदेशकों को 27 जून 2014 को पेश किया जाए.
साथ ही यह भी कहा है कि निदेशक 10,000 रुपए की जमानत राशि जमा करने के बाद जमानत ले सकते हैं.
सुपरटेक के निदेशकों के ख़िलाफ़ गिरफ्तारी वारंट
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