कोरोना योद्धाओं के सम्मान में सजी मुशायरे की महफिल
भोपाल। कोरोना काल गुजर गया, उसकी छाया भी दिन ब दिन धुंधली होने लगी हैं, लेकिन इस विकट दौर की कई कड़वी यादें अब भी लोगों के दिमाग पर चस्पा हैं। याद वे लोग भी हैं, जो इस मुश्किल वक्त में लोगों की मदद के लिए खड़े रहे। इन कड़वी यादों से मिली सीख और सबक को याद करने और अपनी फिक्र छोड़ जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आए लोगों की हौसला अफजाई के लिए राजधानी में एक आयोजन किया गया। एपीजे अब्दुल कलाम फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में एक संक्षिप्त लेकिन यादगार मुशायरा आयोजित किया गया। साथ कोरोना योद्धाओं को सम्मानित भी किया गया।
सोमवार की शाम राजधानी भोपाल के रोशनपुरा चौराहा पर श्री शिवम शोरूम पर आयोजित कार्यक्रम में शहर के नामवर शायरों को जोड़ा गया था। फिल्म पाकीजा के लिए “चलो दिलदार चलो, चांद के पार चलो…” की कल्पना करने वाले मशहूर शायर कैफ भोपाली की साहबजादी डॉ परवीन कैफ ने अपने खास मजाहिया लहजे से महफिल को ताजगी बख्श दी। उन्होंने अपनी खास गजलों के पिटारे से एक खास गजल महफिल के नज़र करते हुए कहा, चांद खिड़की से झांके तो मुझसे रोटी नहीं बेली जाती…! पत्रकारिता में अपना खास मुकाम रखने वाले डॉ मेहताब आलम ने कोरोना दौर को याद करते हुए कहा, हम अकेले हैं, तुम्हारे होते, काश तुम साथ हमारे होते…! देश दुनिया में अपने कलाम से पहचान रखने वाले डॉ अंजुम बाराबंकी ने महफिल लूटने वाले अंदाज में ये शेर श्रोताओं के सामने रखा, लहजे की उदासी कम होगी, बातों में खनक आ जायेगी, दो रोज हमारे साथ रहो, चेहरे पे चमक आ जाएगी…!
कार्यक्रम आयोजक मिर्जा जावेद बेग और उनकी टीम ने कोरोना के मुश्किल दौर में विभिन्न तरह से लोगों की मदद करने वाले अलग अलग क्षेत्रों के लोगों को चूना था। इसमें प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता समेत अनेक लोग शामिल थे। इस दौरान डीएपी आईबी तनवीर खान, सीएसपी बिट्टू शर्मा, पत्रकार डॉ मेहताब आलम, मुशाहिद सईद खान, जफर आलम खान, मोहम्मद जावेद खान, जाहिद मीर, खान आशु, फरहान खान, सामाजिक कार्यकर्ता सैयद फैज अली, शाहिद मीर, मिर्जा इकबाल बेग, सुनील दुबे, शाहवेज सिकंदर, सीनियर कांस्टेबल आशीष श्रीवास आदि को शील्ड और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में श्री शिवम शोरूम के संचालक श्री मंत्री भी मौजूद थे।
खान आशु