नेपाल से सटा बिहार का जिला पश्चिम चम्पारण चोरी के वाहनों का हब नता जा रहा है. हाल में पुलिस ने एक ऐसे वाहन चोर गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो हर माह लगभग दस चारपहिया वाहनों को अपना निशाना बनाता है. फर्जी कागजात तैयार कर चोरी की गई इन गाड़ियों की भारत-नेपाल सीमा से सटे पश्चिम चम्पारण के ग्रामीण इलाकों में बिक्री कर दी जाती है. एसपी जयंतकांत ने बताया कि पुलिस को लगातार सूचना मिल रही थी कि जिले के सीमाावर्ती इलाके में एक अंतर प्रांतीय चोरों का गिरोह सक्रिय है, जो अन्य राज्यों व जिलों से बोलेरो तथा अन्य लग्जरी वाहनों की चोरी कर उन्हें खपा रहा है. 28 जून 2018 को पुलिस ने इस गिरोह को पकड़ने के लिए एक योजना बनाकर जाल बिछाया. इस क्रम में दस बोलेरो समेत नौ अपराधियों को गिरफ्तार किया गया.
गिरोह के सदस्यों के पास से गाड़ियों की फर्जी आरसी और गाड़ी चुराने में उपयोग होने वाले उपकरण भी बरामद हुए. पुलिस इस बारे में तफ्तीश कर रही है कि वाहन चुराने के बाद फर्जी कागजात कहां से तैयार होते हैं. पुलिस को उम्मीद है कि जिले में इन दिनों लगातार पकड़े जा रहे चोरी के वाहनों के पूरे नेटवर्क की कलई जल्द खुल जाएगी, जिससे कई वाहन चोरी के मामलों को सुलझाया जा सकेगा. गौरतलब है कि पश्चिम चम्पारण जिला चोरी की गाड़ियों की बरामदगी में प्राय: सुर्खियों में रहा है. यहां पर मझौलिया, गोपालपुर, नौतन, मुफस्सिल व नगर थाना क्षेत्र से कई बार भारी संख्या में लग्जरी गाड़ियों की जब्ती की गई है. चोरी की गाड़ी रखने में छोटे से लेकर कई रसूखदारों के नाम भी पुलिस की जांच में सामने आ चुके हैं.
नेपाल में भी खपाए जाते हैं चोरी के वाहन
जिले से नेपाल की सीमा खुली होने का लाभ भी वाहन चोर उठाते रहे हैं. वे नेपाल के बीरगंज व हिथौड़ा आदि में गाड़ियों को काटकर भी बेचने का काम करते हैं. पकड़े गए वाहन चोरों का तार खास कर मुजफ्फरपुर से जुड़ा हुआ है. पुलिस ने बताया कि वैशाली के अरुण राय से मिलकर मुजफ्फरपुर के चंदन कुमार और धर्मेन्द्र कुमार यादव नेपाल में अबतक दर्जनों वाहनों को खपा चुके हैं. वे गाड़ियों के डिमांड के अनुसार चोरों को वाहन चोरी के लिए प्रेरित करते हैं. इन्ही लोगों के दबाव में एक बार झारखंड से होंडा मिंज कार भी वे चुरा चुके हैं. चोरी के बाद मुजफ्फपुर में उसका कलर बदल दिया गया था, जिसके लिए चंदन कुमार ने दो लाख रुपए दिए थे. झारखंड की कई अन्य वाहन चोरी की घटनाओं में भी यह गैंग शामिल है. चंदन व धर्मेन्द्र यादव की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की गई, परंतु अभी तक वे हत्थे नहीं चढ़ सके हैं. इधर पुलिस एक टीम गठित कर पूरे गैंग की भी कुंडली खगाल रही है.
गिरफ्तार अपराधियों में गिरोह का मुख्य सरगना बगहा पुलिस जिले के रामनगर थाना अंतर्गत बैकुंठवा निवासी विकास राय व वैशाली के महुआ थाने के महुआ सिकरा गांव का अरुण राय है. पुलिस ने कई अन्य लोगों को चोरी के वाहनों के साथ दबोचा है, जिनमें रफिक मियां (हरपुर, गौनाहा), राजु राम, अमरेश माझी, सुनील कुमार उर्फ लड्डू (सभी भितिहरवा, गौनाहा निवासी), जितेन्द्र प्रसाद चौरसिया (बैरढवा, गौनाहा) मुन्ना माझी (पिपरी डूमरी, गौनाहा), मनोज यादव (माधोपुर, गौनाहा) शामिल हैं. पुलिस के समक्ष दिए गए स्वीकारोक्ति बयान में गिरफ्तार आरोपियों ने खुलासा किया है कि वाहनों की चोरी के दौरान उनके बीच काम का बंटवारा किया जाता है. मसलन चोरी के लिए कौन सा वाहन सॉफ्ट टारगेट पर है. वाहन चारों का गिरोह नगर के किसी रिहायसी इलाके में किराया लेते हैं. फिर आस-पास के क्षेत्रों में घुमकर देखते हैं कि वाहन को गैराज या घर के परिसर में कितनी सुरक्षा के बीच रखा जाता है.
फिर अपनी सहूलियत के अनुसार, उसे टारगेट कर उसकी जानकारी अपने दूसरे साथी को देते हैं. उसका काम मास्टर चाभियों की मदद से महज कुछ सेकेड में गाड़ी स्टार्ट करना होता है, जिसके बाद दूसरा तेज चलाने वाला व्यक्ति गाड़ी को लेकर शहर से रफ्फुचक्कर हो जाता है. साथ में इंधन का गैलन भी रहता है. वो बताए गए गंतव्य स्थान तक वाहन को पहुंचा देता है. इन कार्यों के लिए उसे 20 हजार तक रुपए मिलते हैं. फिर उक्त वाहन का फर्जी कागजात बनाने से लेकर वाहन खपाने तक का काम अलग गैंग के जिम्मे रहता है. पूछताछ में अरुण राय ने बताया कि यूपी का गैंग वाहन चोरी करता था, जिसे विजय राय लेकर उसे देता था. पुलिस को एक आरोपी के पास से दो मास्टर चाभियां भी मिली हैं. छोटी चाभी ढाई इंच व बड़ी चाभी तीन इंच की है. पीतल की बनी ये चाभियां वाहनों के लॉक को कुछ सेकेंड में खोल देती है. गाड़ी के इंजन और चेचिस का नंबर तथा रजिस्ट्रेशन नंबर बदलवाने का काम दूसरे गैंग का होता था.
परिवहन कार्यालय भी कठघरे में
पुलिस मान रही है कि विकास राय व अरुण राय बड़े रैकेट के साथ मिलकर काम करते हैं. कई दूसरे राज्यों जैसे, झारखंड, यूपी, दिल्ली आदि में हुई कई वाहन चोरी की घटनाओं में ये शामिल रहे हैं. एसपी जयंतकांत ने बताया कि गाड़ी चोरी की घटना से बड़ा मामला है, डीटीओ कार्यालय के कर्मियों की मिलीभगत से फर्जी कागजात तैयार करना. इन वाहनों के जाली पेपर मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, बेगुसराय समेत आधा दर्जन डीटीओ कार्यालयों से निर्गत होने की आशंका व्यक्त की जा रही है. पुलिस की टीम फर्जी कागजात बनाने में शामिल कर्मियों का पता लगाकर उन्हें गिरफ्तार करेगी. चोरी की गाड़ियां ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में बेचने को ये तरजीह देते हैं और साथ ही इन गाड़ियों का जिले के अंदर ही इस्तेमाल करने की भी सलाह देते हैं. इसलिए ऐसी गाड़ियों का ज्यादातर इस्तेमाल ग्रामीण क्षेत्रों में दूध आदि को सेंटर तक पहुंचाने या शादी ब्याह के लिए होता था.