उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव का चौथा चरण काफी खास होगा. इस चरण में 30 अप्रैल को कई दिग्गजों की किस्मत का ़फैसला ईवीएम में बंद हो जाएगा. नवाबों की नगरी लखनऊ और रायबरेली की वीआईपी सीट के अलावा बुंदेलखंड, सीतापुर आदि 14 लोकसभा क्षेत्र के 2.40 करोड़ मतदाता इस दिन देश के कई शीर्ष नेताओं के भाग्य का फैसला करेंगे. 16वीं लोकसभा के चुनावी समर में पूरे देश में कांग्रेस के लिए अलख जलाए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह स्वयं कितने पानी में हैं, इस बात का एहसास भी रायबरेली और लखनऊ की जनता इन सूरमाओं को करा देगी. न केवल भाजपा और कांगे्रस आलाकमान चौथे चरण के चुनाव में मैदान में होंगे, बल्कि उनकी पार्टियों के दिग्गज डॉ. मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, श्रीप्रकाश जायसवाल, प्रदीप कुमार जैन आदित्य, जितिन प्रसाद, रीता बहुगुणा जोशी एवं अनु टंडन की प्रतिष्ठा भी दांव पर होगी.
चौथे चरण में प्रदेश की जिन 14 सीटों (धौरहरा, सीतापुर, मिश्रिख, उन्नाव, मोहनलाल गंज, लखनऊ, रायबरेली, कानपुर, जालौन, झांसी, हमीरपुर, बांदा, फतेहपुर, बाराबंकी) पर चुनाव हो रहा है, इस समय उनमें से छह पर कांग्रेस, तीन पर बसपा, चार पर सपा और मात्र एक सीट पर भाजपा का कब्जा है. अबकी बार इन 14 सीटों पर बड़े उलटफेर की उम्मीद लगाई जा रही है. भाजपा का ग्राफ बढ़ने और कांगे्रस का जनाधार खिसकने के साथ-साथ बसपा एवं सपा के सामने अपनी ताकत बचाए रखने की चुनौती है. कांगे्रस अध्यक्ष सोनिया गांधी अपनी पुश्तैनी सीट रायबरेली से एक बार फिर मैदान में हैं. उनके सामने सपा ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है, वहीं भाजपा के अजय अग्रवाल और बसपा के प्रवेश सिंह इस हैसियत में नहीं दिख रहे कि वे सोनिया को कोई बड़ी चुनौती दे सकें. कांग्रेस अध्यक्ष स्वयं तो अपनी सीट निकाल ले जाएंगी, लेकिन इस इलाके में उनके सामने 15वीं लोकसभा का करिश्मा दोहराने के लिए कम से कम इन छह सीटों को बचाने की तगड़ी चुनौती है. इसके लिए उन्होंने अपने पुराने सूरमाओं जितिन प्रसाद (धौरहर), अनु टंडन (उन्नाव), श्रीप्रकाश जायसवाल (कानपुर) एवं प्रदीप कुमार जैन आदित्य (झांसी) पर ही दांव लगाया है. अनु टंडन के अलावा बाकी चार कांगे्रस प्रत्याशी मनमोहन सरकार में मंत्री रहे हैं, इसलिए यहां मुकाबला रोमांचक होने की उम्मीद है. वहीं भाजपा के पास चौथे चरण में खोने के लिए कुछ खास नहीं है. इन 14 सीटों में उसके पास लखनऊ की एकमात्र सीट लाल जी टंडन के रूप में थी, जिनका टिकट काटकर भाजपा ने अपने अध्यक्ष को यहां उतारा है.
लाल जी टंडन की नाराज़गी तो टिकट वितरण के बाद शांत हो गई है, लेकिन उनके समर्थक अभी तक नाराज़ चल रहे हैं. उन्हें शिकायत है कि टंडन उनके बीच के थे, वे जब चाहते उनसे जाकर मिल लेते थे, लेकिन अगर राजनाथ जीते, तो उनके पास पहुंचना आसान नहीं होगा. भाजपा की इसी खामी का फ़ायदा कांगे्रस प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी उठाना चाहती हैं. भले ही 2009 के चुनाव में रीता को टंडन के सामने हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने टंडन को चुनौती जबरदस्त दी थी. यह करिश्मा उन्होंने तब कर दिखाया था, जबकि उनके टिकट का ऐलान काफी देरी से हुआ था. अबकी उनके नाम की घोषणा समय से हो चुकी है और वह लगातार जनसंपर्क अभियान छेड़े हुए हैं. रीता ने भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह को इस तरह फंसा दिया है कि जीत पक्की करने के लिए उन्हें मुस्लिम धर्मगुरुओं की चौखट पर दस्तक देनी पड़ रही है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत के लिए राजधानी लखनऊ से मैदान में उतरे राजनाथ की पार्टी भाजपा के पास इस समय यही एकमात्र जीती हुई सीट है. राजनाथ को यह सीट बचाने के लिए अपने प्रयासों के साथ-साथ मिशन मोदी का भी सहारा है. मोदी के सहारे भाजपा इस क्षेत्र से अपनी सीटों की संख्या एक से बढ़ाकर दस तक कर लेना चाहती है. यही वजह है कि पार्टी ने कांग्रेस के मंत्रियों एवं सपा-बसपा के कब्जे वाली सीटें छीनने के लिए डॉ. मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती एवं साध्वी निरंजन ज्योति जैसे तेजतर्रार नेताओं को मैदान में उतारा है.
लखनऊ की सीट पर कांग्रेस ने राजनाथ सिंह को चुनौती देने के लिए डॉ. रीता बहुगुणा जोशी को टिकट दिया है, वहीं सपा से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री प्रो. अभिषेक मिश्र, बसपा से पूर्व मंत्री नकुल दुबे और आम आदमी पार्टी से फिल्म स्टार जावेद जाफरी मैदान में हैं. औद्योगिक शहर कानपुर में यह देखना खासा रोचक होगा कि जागरूक मतदाता इस बार भाजपाई दिग्गज मुरली मनोहर जोशी को लोकसभा भेजते हैं या केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल को या फिर बाजी कोई और मार ले जाएगा. यहां मुख्य टक्कर जोशी और जायसवाल के बीच होेने की उम्मीद है. श्रीप्रकाश जायसवाल जहां सत्ता विरोधी लहर से दु:खी हैं, वहीं जोशी को बाहरी बताकर उनका विरोध किया जा रहा है. सपा से सुरेंद्र मोहन अग्रवाल और बसपा से सलीम अहमद इन दोनों नेताओं की राह में रोड़े डालने के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे हैं. झांसी से भाजपा ने उमा भारती को अपना उम्मीदवार बनाया है. सबकी नज़रें उन पर टिकी हैं. वह केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य की सीट छीनने के लिए मैदान में हैं. भाजपा उमा को पहले सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ रायबरेली में उतारना चाहती थी, लेकिन बात नहीं बनी. उमा अपने बयानों से हवा का रुख भाजपा की ओर मोड़ने में लगी हैं. वह घूम-घूमकर कह रही हैं कि मोदी सरकार बनी, तो सोनिया के दामाद एवं प्रियंका गांधी के पति राबर्ट वाड्रा जेल में होंगे. इसके अलावा वह केंद्र में भाजपा सरकार बनने पर उत्तर प्रदेश की सपा सरकार गिर जाने की भविष्यवाणी भी कर रही हैं. वह कहती हैं कि सपा के कई विधायक भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं और चुनाव के बाद पाला बदल सकते हैं. उमा झांसी की सीट कांगे्रस से छीन सकती हैं, इसकी संभावना काफी प्रबल है. यहां केंद्रीय मंत्री एवं मौजूदा सांसद प्रदीप कुमार जैन को लेकर जनता में बेहद नाराज़गी है. समाजवादी पार्टी के चंद्रपाल सिंह यादव, बसपा की अनुराधा शर्मा और आम आदमी पार्टी की अर्चना गुप्ता भी मैदान में हैं.
विश्व हिंदू परिषद से जुड़ी रही भाजपा विधायक निरंजन ज्योति और बसपा के राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बेटे अफजल सिद्दीकी के चुनाव मैदान में आमने-सामने आने से फतेहपुर सीट भी हॉट सीट बन गई है. धौरहरा से केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद और बाराबंकी से केंद्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पी एल पुनिया एक बार फिर कांगे्रस के टिकट पर मैदान में है. उन्नाव में कांग्रेस सांसद अनु टंडन के सामने भाजपा ने हरि साक्षी जी महाराज पर दांव लगाया है, तो बसपा ने राज्यसभा सदस्य बृजेश पाठक को मैदान में उतारा है. सपा ने पूर्व बाहुबली अरुण कुमार शुक्ल को प्रत्याशी बनाया है. यहां मुकाबला त्रिकोणीय होने की उम्मीद है. लखनऊ के भाजपा सांसद लाल जी टंडन और हमीरपुर के बसपा सांसद विजय बहादुर सिंह को इस बार टिकट नहीं मिला. विजय बहादुर को भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की तारीफ़ करने की वजह से मायावती ने पार्टी से चलता कर दिया. विजय ने कई दरवाजे खटखटाए, लेकिन उनकी कहीं दाल नहीं गली. हमीरपुर से बसपा ने राकेश गोस्वामी, सपा ने विशम्भर प्रसाद निषाद और भाजपा ने पुष्पेंद्र सिंह चंदेल को अपना प्रत्याशी बनाया है.
-अजय कुमार
सोनिया-राजनाथ समेत कई सूरमा दिखाएंगे दम
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