भोपाल। हजारों बधाई संदेश, सैंकड़ों मुलाकातें, दर्जनों अधिकारियों की शबाशियां… अब सब कुछ ठीक हो गया है तो सुकून है। मन में डर ये भी था कि जान के जोखिम के साथ उठाया गया कदम नकारात्मक हालात भी बना सकता है।
थाना शाहजहानाबाद प्रभारी जहीर खान कहते हैं कि कई मौके ऐसे भी आते हैं, जब फैसला खुद को लेना होता है, किसी आदेश की प्रतीक्षा किए बिना। दर्जनों मातहतों और रेस्क्यू टीम की मौजूदगी के बावजूद टॉवर की ऊंचाई नापने का फैसला मैंने किया। वजह यह थी कि किसी को आदेशित करने की बजाए खुद एक मॉडल प्रस्तुत की जाए कि अधिकारी सिर्फ आदेश देने के लिए नहीं होता है। टॉवर पर चढ़ते हुए मन में संशय भी बना हुआ था कि कोई चूक जान के नुकसान के साथ भी आ सकती है। टॉवर पर चढ़े अर्जुन की स्थिति भी पता नहीं होना मुश्किल में डाले हुए थी कि वह अगला कदम क्या उठा ले और इसका असर क्या होगा।
सब कर रहे थे पहल का इंतजार
जहीर खान बताते हैं कि सैकड़ों की तादाद में जमा हो चुके तमाशबीन और दर्जनों सहयोगियों को इस बात का इंतजार था कि टॉवर पर चढ़ने और रूठे हुए अर्जुन को समझाइश देने ऊपर कौन चढ़े। मेरे जमीर ने उत्साहित किया और इस टास्क को पूरा करने की खुद ही ठानी।
हो गए थे थकान से चूर
अंधेरा घिरने से पहले अर्जुन को नीचे लाने के लक्ष्य के साथ जब टॉवर पर चढ़ना शुरू किया तो लंबा वक्त ऊपर पहुंचने में लग गया। थकान भी हो गई थी और ऊंचाई का खोफ भी घेरने लगा था। लेकिन जब रेस्क्यू में सफलता मिली तो यह थकान आनंद में परिवर्तित हो गई।
बच्चों ने कर दिया खुश
आठ और दस साल के दो मासूमों के पिता जहीर खान जब ड्यूटी से घर पहुंचे तो उनसे पहले उनका कारनामा सोशल मीडिया के जरिए घर तक पहुंच चुका था। आनंदित बच्चे टेबल पर चढ़कर जहीर से कहने लगे कि टॉवर पर तो हम भी चढ़ सकते हैं। उनकी टेबल पर चढ़ाई और वहां से छलांग लगाकर पिता की हौसला अफजाई ने सारी थकान को काफुर कर दिया। हालांकि इस बीच श्रीमती जहीर कभी अपने पति के इस दुस्साहस पर नाराज हो रहीं थीं तो कभी अल्लाह का शुक्रिया अदा करती नजर आ रही थीं।
चैलेंज मिले तो स्वीकार करो
करीब 15 बरस की पुलिस सेवा के दौरान ऐसे कई मौके आए हैं, जब खुद को साबित करने का मौका मिला। जहीर खान बताते हैं आगजनी की घटनाओं और शहर में विभिन्न कारणों से बने विकट परिस्थितियों के दौरान अक्सर खुद को झोंक कर अपनी आजमाइश करने की कोशिश की है। वे कहते हैं कि सम्मान मिलता है तो अच्छा लगता है लेकिन सबसे बड़ा ईनाम ईश्वर की किसी जिंदगी को सुरक्षित करने का सुख है।
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जैसा कि थाना प्रभारी जहीर खान ने खान आशु को बताया