लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नवादा जिले के कौवाकोल प्रखंड स्थित सर्वोदय आश्रम में कभी देश के बड़े-बड़े नेताओं, बुद्धिजीवियों का जमावड़ा लगता था. जेपी के निधन के बाद भी कुछ दिनों तक यहां के सर्वोदय आश्रम में देश के नामी गिरामी लोगों का आना-जाना लगा रहा. जेपी के अनन्य सहयोगी और खादी पुरुष के नाम से चर्चित त्रिपुरारी शरण भी जब तक जीवित रहे, तब तक उनके अनुरोध पर देश-प्रदेश के खादी, सर्वोदय तथा राजनीति से जुड़े लोग यदा-कदा आते रहे, लेकिन त्रिपुरारी शरण के निधन के बाद जेपी द्वारा स्थापित यह सर्वोदय आश्रम और ग्राम निर्माण मंडल एक तरह से अनाथ हो गया है. विपरीत परिस्थितियों में भी ग्राम निर्माण मंडल केे कार्यकर्ता लोकनायक जयप्रकाश नारायण और उनके सहयोगी त्रिपुरारी शरण के सपनों को सकार करने में लगे हैं. जेपी के सर्वोदय और ग्राम निर्माण मंडल की उपेक्षा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राज्य सरकार के पास आज भी इस संस्था के करीब एक करोड़ दस लाख रुपये खादी छूट के बकाया हैं. राज्य सरकार यदि आजादी के बाद देश में स्वदेशी सामग्री का निर्माण करने वाली जेपी की संस्था पर जरा सा भी ध्यान देती, तो लाखों लोगों को रोजगार मुहैया कराया जा सकता था. सबसे बड़ी बात यह है कि आज देश और राज्य में शीर्ष पर पहुंचे अधिकतर राजनेता अपने को जेपी का अनुयायी बताते हैं, लेकिन इन नेताओं को जेपी द्वारा स्थापित सोखोदेवरा आश्रम की स्थिति को देखने का समय तक नहीं है. जेपी की पुण्यतिथि या जयंती पर सर्वोदय आश्रम में उनके अनुयायी और किसी राजनेता को वहां जाने की फुर्सत नहीं है. सर्वोदय आश्रम के पुराने कार्यकर्ता बताते हैं कि जेपी जब यहां रहते थे तो बड़े-बड़े राजनेताओं का यहां जमावड़ा लगा रहता था. जेपी के निधन के बाद भी विपक्ष के कई नेता, जो आज देश और राज्य की राजनीति में ऊंचाई पर हैं, उनका आश्रय स्थल यह आश्रम हुआ करता था. हालांकि शासन और राजनीतिज्ञों की उपेक्षा के बाद यहां के कार्यकर्ता तन-मन से जेपी के सपनों को साकार करने में लगे हैं. आज भी ग्राम निर्माण मंडल पूरे मगध प्रमंडल में ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य में खादी, सिल्क और ऊनी वस्त्रों के उत्पादन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. इस सर्वोदय आश्रम में खादी, रेशमी और ऊ नी कपड़ों की बुनाई, कटाई में सैकड़ों बुनकर और कतिन लगे हुए हैं. इसके अलावा ग्राम निर्माण में यहां के कार्यकताओं का महत्वपूर्ण योगदान है. यही कारण है कि इस आश्रम के आसपास के सैकड़ों गांव में लोगों के रहन-सहन, गौ पालन तथा खेती करने के तरीके में व्यापक रूप से असर पड़ा है.
आजादी के बाद पहले विधानसभा चुनाव में जयप्रकाश नारायण ने अपनी पार्टी की करारी हार के बाद राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की थी. इसके बाद वे विनोबा भावे के सर्वोदय आंदोलन में शामिल हो गये थे. इसी दौरान नवादा जिले के कौवाकोल प्रखंड के एक जमीनदार ने जयप्रकाश नारायण को करीब तीस एकड़ भिूूम दान में दी.
इसी भूमि पर जयप्रकाश नारायण ने ग्राम निर्माण मंडल नामक संस्था और सर्वोदय आश्रम बनाया. जेपी के इस क्षेत्र से लगाव का मुख्य कारण यह था कि आजादी की लड़ाई में उन्हें हजारीबाग जेल में बंद कर दिया गया था. 1942 में वो हजारीबाग जेल से फरार होकर जंगल के रास्ते से नवादा पहुंचे थे. जहां उन्होंने शरण ली थी, वह पहाड़ और जंगल सेखोदेवरा गांव के निकट ही था. जेपी ने ग्राम निर्माण मंडल के बाद बिहार का काला पानी कहे जाने वाले कौवाकोल में विकास को ऐसी गति प्रदान की कि लोगों की मेहनत से यहां की बंजर भिूम में हर तरह की फसल लहलहाने लगी. लोगों का रहन-सहन बदल गया. खादी के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ा, लेकिन आज यह आश्रम अपने समर्पित कार्यताओं से गुलजार तो है, लेकिन शासन, प्रशासन की उपेक्षा से अपने आप को ठगा सा महसूस करता है. खादी पुरुष त्रिपुरारी शरण के निधन के बाद तो राज्य के नेताओं से सीधे संवाद करने वाला व्यक्ति कोई नहीं बचा जो लोग इस संस्था की नियामक समिति में हैं, वह भी संस्था की बैठक तक में अपने को सीमित रखते हैं.
ग्राम निर्माण मंडल के प्रधान अरविंद कुमार सिंह बताते हैं कि आज भी जेपी के प्रति यहां के कार्यकताओं की अपार श्रद्धा है, जिससे यही संस्था जेपी के सपनों को साकार करने में लगी है. गया में इस संस्था से जुड़े खादी ग्रामोद्योग समिति के मंत्री सुनील कुमार ने बताया कि पहले यहां बड़े-बड़े नेता आते थे और जेपी के प्रति श्रद्धा समर्पित करते थे. लेकिन अब यदा-कदा ही कोई नेता यहां आता है. इतना जरूर हुआ है कि राज्य सरकार ने खादी पुरुष स्वर्गीय त्रिपुरारी शरण द्वारा आविष्कार किए गए एक साथ सूती, रेशमी और ऊनी सूत की कटाई करने वाले त्रिपुरारी मॉडल चरखा का बड़ी संख्या में ऑर्डर दिया है. इस चरखे से बुनकरों और कतिन की आमदनी 20 से 25 हजार रुपये प्रति माह हो जाएगी. इस मॉडल चरखा का निर्माण ग्राम निर्माण मंडल द्वारा ही किया जाता है. अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि हम लोगों का प्रयास है कि राज्य सरकार और खादी बोर्ड से मिलकर बुनकरों और कतिन को अधिक से अधिक संख्या में त्रिपुरारी मॉडल चरखा उपलब्ध कराएं जिससे खादी कपड़ों के निर्माण और बिक्री से बुनकरों को अधिक लाभ मिल सके. इससे जेपी के सपनों को साकार करने में हम सभी को सफलता मिलेगी. सरकार की उपेक्षा का आलम यह है कि सर्वोदय आश्रम की भूमि पर बने रेफरल अस्पताल में चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों के बदले
सीआरपीएफ के जवानों का कब्जा है. इसी प्रकार इस क्षेत्र में कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए बना कपसिया कुष्ठ आश्रम राशि के अभाव में वर्षों से बंद पड़ा है. अपनी उपेक्षा के बाद भी ग्राम निर्माण मंडल के कार्यकर्ता जेपी के आदर्शों को अपने तन-मन में ढालकर उनके सपनों को साकार करने में लगे हैं.