केंद्र सरकार ने गुमराह करने वाले और डीप-फेक वीडियो की पहचान करने के संबंध में सोशल मीडिया कंपनियों के लिए एडवाइजरी जारी की है, जिसमें सोशल मीडिया कंपनियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि गुमराह करने वाले और डीप-फेक वीडियो की पहचान के लिए तत्काल उचित प्रयास किए जाएं। सरकार ने साफ कहा है कि ऐसा न करने पर भारतीय कानूनों के तहत आपराधिक और न्यायिक कार्यवाही की जाएगी।

इलेक्‍ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा है कि इस तरह के मामलों में सूचना प्रौद्योगिकी नियम-2021 के अंतर्गत निर्धारित समय-सीमा में तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए। परामर्श में कहा गया है कि इस तरह के कंटेंट को पोस्ट किए जाने के 36 घंटे के अंदर हटा दिया जाना चाहिए।

कंपनियों को यह भी याद दिलाया गया है कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और नियमों के संबंधित प्रावधानों के तहत कार्रवाई करने में विफल रहने पर सूचना प्रौद्योगिकी नियम-2021 के नियम-सात के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है और उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा-79(1) के तहत मिले संरक्षण से वंचित किया जा सकता है।

दरअसल, यह बात अभिनेत्री रश्मिका मंदाना के डीप-फेक के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल होने के एक दिन बाद आई है। मंदाना की डीप-फेक वीडियो इंस्टाग्राम जैसी साइटों पर वायरल है, जहां उसके चेहरे को एक वीडियो में बदल दिया गया है, जिसमें एक महिला लिफ्ट से बाहर निकल रही थी। ये वीडियो एक इंडियन-ब्रिटिश सोशल मीडिया सेलिब्रेटी का है और इसे पिछले महीने इंस्टाग्राम पर अपलोड किया गया था।

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सोमवार को ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर अभिनेत्री के डीप फेक वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुये कहा था कि हमारे डिजिटल नागरिकों की सुरक्षा और विश्वास हमारी अटूट प्रतिबद्धता और नरेंद्र मोदी सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। गलत सूचनाओं और डीपफेक से उत्पन्न महत्वपूर्ण चुनौतियों को देखते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने पिछले छह महीनों के भीतर दूसरी एडवाइजरी जारी की है, जिसमें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से डीपफेक के प्रसार के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने का आह्वान किया गया है।

मंत्री ने कहा कि डीपफेक एक बड़ा उल्लंघन है और विशेष रूप से महिलाओं को नुकसान पहुंचाता है।

राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने आगे कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियम, 2021 के तहत किसी भी यूजर द्वारा गलत सूचना के प्रसार को रोकना ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के लिए एक कानूनी दायित्व है। यूजर या सरकार से रिपोर्ट प्राप्त होने पर 36 घंटे के भीतर ऐसी कंटेंट को हटाना अनिवार्य है। इस आवश्यकता का पालन करने में विफलता नियम 7 को लागू करती है, जो पीड़ित व्यक्तियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत अदालत में जाने का अधिकार देता है। यह जरूरी है कि प्लेटफॉर्म इस खतरे से निपटने के लिए सक्रिय कदम उठाएं।

 

Source: Samachar4Media 

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