Bukkal-Nawab

दीनबंधु कबीर : सपा छोड़ कर भाजपा में शरीक हुए बुक्कल नवाब के बारे में तो कहा जा रहा है कि अनगिनत भूमि घोटालों और फर्जीवाड़ा में फंसे होने के कारण अपने बचाव के लिए बुक्कल नवाब ने भाजपा की शरण ली. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ऐसा इशारा कर भी चुके हैं. हालांकि बुक्कल नवाब ने इस्तीफे के बाद कहा, ‘मुझे सपा में घुटन हो रही थी. मुझे अखिलेश यादव की राजनीतिक समझ पर तरस आता है. मैं मुलायम का साथी था, हमेशा उनकी राजनीतिक समझ को सलाम करता हूं. सपा में अखिलेश यादव ने ही आग लगाई. परिवार एक हो सकता था, बहुत बचाया, पर अब नहीं.

सपा जलता हुआ घर है, उसमें दोबारा जाने की इच्छा नहीं है.’ इसके बरक्स बुक्कल नवाब के खिलाफ कई मामले चल रहे हैं. गोमती रिवर फ्रंट मामले में भी उन पर गंभीर आरोप हैं. गोमती नदी की जमीन को अपना बताने के लिए जाली दस्तावेज तैयार कराने के आरोप में बुक्कल नवाब पर वजीरगंज थाने में एफआईआर दर्ज है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के आदेश पर बनी उच्च स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर तहसीलदार सदर ने यह मुकदमा दर्ज कराया. जांच समिति ने कहा है कि बुक्कल नवाब ने गोमती नदी के जियामऊ स्थित जमीन को अपना बताने के लिए 22 अगस्त 1977 के एक फैसले का सहारा लिया, जो संदेहास्पद है.

इस प्रकरण में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल और राकेश श्रीवास्तव के समक्ष हाजिर होकर राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार ने बताया था कि अगस्त 1977 में बेगम फखरजहां की मृत्यु के बाद नायब तहसीलदार ने चिनहट ग्राम जियामऊ की जमीन को मजहर अली खान (बुक्कल नवाब) पुत्र आबिद अली खां निवासी शीशमहल के नाम कर दिया था. लेकिन हाईकोर्ट के निर्देश में बनी जांच समिति ने कहा कि अगस्त 1977 का निर्णय संदेहास्पद है. राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज जानकारी भी संदेहास्पद है.

इसके बाद ही इस मामले में एफआईआर कराई गई. एफआइआर दर्ज होने के बाद शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने बुक्कल नवाब को लखनऊ के वक्फ मोती मस्जिद के मुतवल्ली पद से बर्खास्त कर दिया. बुक्कल पर वक्फ की जमीन की प्लॉटिंग कर उसे बेचने का आरोप है. बुक्कल पर यह भी आरोप है कि उन्होंने अपनी पत्नी महजबीं आरा के नाम पर वक्फ की सम्पत्ति गिफ्ट कर दी. इस सम्पत्ति की कीमत 100 करोड़ रुपए बताई गई है. इसकी शिकायत मोती मस्जिद शिया ट्रस्ट ने की थी. वर्ष 2012 में वक्फ की सम्पत्ति के रोड किनारे वाले बेशकीमती हिस्से को बुक्कल नवाब ने अपनी पत्नी के नाम ट्रांसफर कर दिया, जिससे शिया वक्फ बोर्ड को सौ करोड़ का नुकसान हुआ. हालांकि बुक्कल इन आरोपों को सिरे से नकारते रहे हैं.

 

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