-गौहर महल में राज्यस्तरीय कार्यशाला, एक्सपर्ट्स ने दिए टिप्स

भोपाल। जरी-जरदौजी और जूट देश की पुरानी धरोहरों में से हैं। इनका शहर भोपाल से खास वास्ता है। कोरोना काल का पिछड़ापन और बाजार की मंदी से टूटे बाजार के बीच यह शिल्प भी मुश्किलों से घिरा दिखाई दे रहा है। ऐसे में उत्साह और जोश के साथ कदम बढ़ाया जा तो कम पूंजी और छोटी मेहनत के साथ बड़े मुनाफे के हालात बनाए जा सकते हैं।
विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) भारत सरकार के एक आयोजन के तहत रविवार को राजधानी भोपाल में राज्यस्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई। संत रविदास मप्र हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम द्वारा आयोजित की गई इस कार्यशाला का उद्देश्य छोटे शिल्पियों को मार्केटिंग के कारगार टिप्स देने का था। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जरी-जरदौजी की स्टेट अवार्डी हुमा खान ने कहा कि सरकारी योजनाओं की कमी और शासकीय कार्यालयों की अरुचि ने शिल्पियों को परेशान जरूर किया है, लेकिन काम करने वालों के हौसलों में कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बात को रेखांकित किया है कि जल्दी ही शिल्पियों के लिए नई और कारगार योजनाएं शुरू की जाएंगी। उम्मीदों से भरे शिल्पियों को इन योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए और अपने शिल्प को आगे बढ़ाना चाहिए। हुमा खान ने जरी-जरदौजी की डिजाईनों की बारीकी और उसमें उपयोग होने वाली सामग्री के बारे में जानकारी दी। साथ ही तैयार किए गए प्रोडक्ट की बिक्री को लेकर भी जानकारी दी। कार्यक्रम के आयोजक सहायक प्रबंधक अशोक निगम ने बताया कि कार्यशाला के दौरान आजीविका मिशन, जिला पंचायत की जिला सहायक प्रबंधक अर्चना सिंह ने स्वरोजगार योजनाओं से संबधित जानकारी दी। इसी तरह साथिया वेलफेयर सोसायटी की स्मृति शुक्ला ने शिल्पियों को मार्केटिंग से संबंधित टिप्स दिए। निगम ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की शांता चौपड़ा, बैंक अधिकारी किशोर तोलानी, लघु उद्योग निगम के महाप्रबंधक अनिल थांगले ने भी विभिन्न विषयों पर जानकारी दी।

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