नवजोत सिद्धू पंजाब में कांग्रेस के प्रधान रहेंगे या जाएंगे? इसका फैसला आज ही हो जाएगा। इसके लिए चंडीगढ़ स्थित पंजाब भवन में CM चरणजीत चन्नी के साथ सिद्धू की मीटिंग शुरू हो गई है। मीटिंग में हाईकमान के दूत के तौर पर केंद्रीय पर्यवेक्षक हरीश चौधरी भी मौजूद हैं। वो यहां के पूरे घटनाक्रम के बारे में हाईकमान को सूचना देंगे। इसके अलावा हाईकमान का भेजा संदेश भी बताएंगे। पंजाब की तरफ से सिद्धू के करीबी मंत्री परगट सिंह, अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, इंद्रबीर सिंह बुलारिया, वर्किंग प्रधान कुलजीत नागरा, पवन गोयल और पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान लाल सिंह भी मौजूद हैं।
सुबह सिद्धू ने ट्वीट किया था कि मुख्यमंत्री ने मुझे बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। इसके लिए दोपहर तीन बजे मैं चंडीगढ़ स्थित पंजाब भवन पहुंच रहा हूं। किसी भी तरह की चर्चा के लिए उनका स्वागत है। वैसे सिद्धू जहां पंजाब के मुद्दों की दुहाई देते हुए अपने फैसलों पर अडिग नजर आ रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने सुलह का समर्थन करते हुए यह भी साफ कर दिया है कि वे भी पंजाब के मुद्दों को लेकर जनता के प्रति वचनबद्ध हैं।
मुख्यमंत्री चन्नी ने बुधवार को सिद्धू से फोन पर बातचीत के बाद सब कुछ ठीक हो जाने की उम्मीद तो जताई है लेकिन बकौल चन्नी, सिद्धू जिन मुद्दों पर अड़े हैं, उनके समान ही वह भी पंजाब की जनता के प्रति जवाबदेह हैं। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि सिद्धू ने दागी नेताओं और दागी अफसरों खासकर डीजीपी और एजी की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं। उनकी तरह ही मैं खुद भी रेत, शराब और ड्रग माफिया के खिलाफ हूं। मैं भी पंजाब के मुद्दों को लेकर जनता के प्रति वचनबद्ध हूं। मैंने पहले दिन ही साफ कर दिया था कि माफिया के लोग किसी भी काम के लिए मुझसे न मिलें। मेरा जितना कार्यकाल है, उसे मैं जनता से किए वादे पूरे करने में लगाऊंगा। पंजाब मेरे लिए भी प्राथमिकता है और हमेशा रहेगा।
चन्नी ने कहा कि जहां तक प्रदेश प्रधान के सवालों का मुद्दा है, अगर किसी बात पर पार्टी नेताओं की सर्वसम्मति नहीं बनती तो ऐसे फैसलों को बदला भी जा सकता है। उनकी सरकार द्वारा लिए गए फैसले कोई पत्थर की लकीर नहीं हैं। जब भी जरूरत होगी, इनमें बदलाव हो जाएगा।
कांग्रेस हाईकमान भी सिद्धू को मनाने के मूड में नहीं
उधर, नवजोत सिद्धू का रवैया देख कांग्रेस हाईकमान भी अड़ गया है। सिद्धू को साफ संदेश भेज दिया गया है कि उनकी हर जिद अब पूरी नहीं होगी। इसी वजह से सिद्धू के इस्तीफे के 2 दिन बीतने के बाद भी हाईकमान ने उनसे बात नहीं की। यह देख अब पंजाब में सिद्धू के प्रधान बनने से जोश में दिख रहे विधायक और नेता भी उनका साथ छोड़ने लगे हैं। कैप्टन का तख्तापलट करते वक्त सिद्धू के साथ 40 विधायक थे, अब वे अकेले पड़ गए हैं। उनके समर्थन में सिर्फ रजिया सुल्ताना ने ही मंत्रीपद छोड़ा। उनके करीबी परगट सिंह डटकर सरकार के साथ खड़े हैं।
बुधवार रात मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी चंडीगढ़ से पटियाला जाने की तैयारी में थे। ऐन वक्त पर यह दौरा टल गया। माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें इनकार कर दिया। चुनाव की घोषणा में सिर्फ 3 महीने बचे हैं। ऐसे में उन्हें सरकार के काम पर फोकस करने को कहा गया है। हाईकमान सिर्फ परिणाम चाहता है ताकि पंजाब में अगली सरकार कांग्रेस की बन सके। सिद्धू को मनाने के लिए हाईकमान के कहने पर CM चरणजीत चन्नी ने नवजोत के ही करीबी मंत्री परगट सिंह और अमरिंदर राजा वडिंग की कमेटी बना दी है। वे पहले 2 बार सिद्धू से मिल चुके हैं, लेकिन आगे कोई बात नहीं हुई है।
हाईकमान ने नया प्रधान ढूंढने को कहा
सिद्धू के अड़ियल रवैए को देखते हुए कांग्रेस हाईकमान ने अब पंजाब में नए प्रधान के संकेत दे दिए हैं। कांग्रेस के पर्यवेक्षक हरीश चौधरी बुधवार सुबह ही चंडीगढ़ पहुंच गए थे। इसके बाद उन्होंने कुछ नेताओं से मुलाकात और बातचीत की। चर्चा यही है कि सिद्धू के इस्तीफा वापस न लेने की सूरत में नया प्रधान बना दिया जाए। मंत्री पद पाने से आखिरी समय में चूके कुलजीत नागरा इसके बड़े दावेदार हैं। चर्चा पूर्व CM बेअंत सिंह के परिवार से जुड़े सांसद रवनीत बिट्टू की भी है। यह भी संभव है कि सुनील जाखड़ को वापस प्रधान बना दिया जाए ताकि उनकी भी नाराजगी दूर हो सके।
इस बार अपने स्टाइल से खुद झटका खा गए सिद्धू
नवजोत सिद्धू के अचानक फैसले लेने का स्टाइल समर्थकों को खूब रास आता रहा है। उनके बयान से लेकर हर बात पर अड़ जाने की खूब चर्चा रही। सिद्धू की जिद के आगे हाईकमान को कैप्टन को हटाना पड़ा। चरणजीत चन्नी का नाम भी सिद्धू ने ही आगे किया था। चन्नी सीएम बने तो अब सिद्धू की सुनवाई नहीं हो रही। संगठन प्रधान होने के बावजूद वे खुद उसकी सीमा लांघ गए। सब कुछ सार्वजनिक तरीके से कर रहे है।
सीएम चन्नी ने भी यही बात कही थी कि अगर उन्हें कोई एतराज है तो वे बैठकर बात कर सकते हैं। वे जिद्दी नहीं हैं, फैसला बदला जा सकता है। हालांकि, सिद्धू चर्चा नहीं बल्कि सीधे मनमाफिक फैसला चाहते हैं, जिसे हाईकमान मानने को तैयार नहीं है।