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नई दिल्ली (ब्यूरो, चौथी दुनिया)। बीएमसी चुनाव में शिवसेना और बीजेपी के बीच सीटों का फासला कम था। शिवसेना चाहकर भी सत्ता की कुर्सी पर अकेले नहीं बैठ सकती। उसे किसी सहारे की जरूरत है। बीजेपी ने सहारे के लिए हाथ आगे बढ़ाया है लेकिन शिवसेना बीजेपी के बजाय कांग्रेस का सहारा लेना पसंद कर रही है। ऐसे में कुछ महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ नए समीकरण बन रहे हैं जिससे बीजेपी को भारी नुकसान हो सकता है।

अब अगर, शिवसेना बीएमसी चुनावों के नतीजों के बाद कांग्रेस से हाथ मिलाती है तो बीजेपी को डबल झटका लग सकता है। बीजेपी न सिर्फ बीएमसी की सत्ता से बेदखल हो जाएगी बल्कि सीएम फडणनवीस की कुर्सी भी हिल सकती है। दरअसल बीएमसी में समर्थन देने के लिए कांग्रेस और एनसीपी ने शिवसेना के सामने शर्त रखी है कि समर्थन लेने से पहले, शिवसेना बीजेपी को दिया समर्थन वापिस ले।

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शिवसेना का मूल आधार बाला साहेब ठाकरे ने खड़ा किया था। बेबाक बाला साहेब कट्टर हिंदुवादी मानसिकता के पक्षधर थे। वो खुद को हिटलर का बड़ा प्रशंसक मानते थे और ये भी कहते थे कि देश को सही रास्ते पर लाने के लिए एक हिटलर की जरूरत है। इन्ही सब बातों को लेकर कांग्रेस के प्रमुख आलोचकों में बाला साहेब का नाम लिया जाता था। और आज की राजनीतिक स्थिति ऐसी बन रही है कि शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के सहारे से बीएमसी की सत्ता पर काबिज होने की विचार कर रही है।

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