sindhiyaसिंधिया परिवार की अंग्रेजों के साथ दोस्ती को लेकर दिए गए शिवराज सिंह चौहान के बयान के कारण भाजपा में अभी भी अंदरूनी कलह मची हुई है. एक तरफ पार्टी जहां इस मामले को दबाने में जुटी है, वहीं भाजपा नेता एवं नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष डॉ. हितेश वाजपेयी ने विवाद को और भी बढ़ा दिया है.

मुख्यमंत्री के बयान के बाद सिंधिया परिवार को राष्ट्रीय शर्म का विषय बताने वाले डॉ. वाजपेयी ने एक चैनल पर डिबेट में दावा किया था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को एमपीसीए (म.प्र.क्रिकेट एसोसिएशन) का अध्यक्ष बनवाने में मुख्यमंत्री ने उनकी मदद की थी. वाजपेयी के बयान पर भाजपा ने चुप्पी साध ली है, वहीं कांग्रेस ने मुख्यमंत्री से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है.

म.प्र. सरकार में स्वास्थ उप संचालक की नौकरी छोड़कर भाजपा में आए डॉ. वाजपेयी पार्टी के प्रदेश संवाद प्रमुख रहे हैं. प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे की सिफारिश पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन्हें नागरिक आपूर्ति निगम का अध्यक्ष बनाकर लालबत्ती दी थी. मुख्यमंत्री के बयान के बाद वाजपेयी द्वारा सिंधिया परिवार पर लगातार तीखे हमले किए जाने को लेकर भाजपा में भी मंथन शुरू हो गया है कि वाजपेयी से सिंधिया परिवार पर हमला करवाने के पीछे की रणनीति क्या है.

प्रदेश पदाधिकारी फिलहाल डॉ. वाजपेयी के बयान से किनारा किए हुए हैं, क्योंकि एमपीसीए चुनाव में मुख्यमंत्री द्वारा सिंधिया की मदद करने का डॉ. वाजपेयी का दावा पार्टी के गले नहीं उतर रहा है. यदि वाजपेयी के दावे पर यकीन करें, तो मुख्यमंत्री ने अप्रत्यक्ष रूप से प्रदेश भाजपा के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय को हरवाया, क्योंकि क्रिकेट चुनाव में सिंधिया के सामने विजयवर्गीय ही थे.

इधर कांग्रेस भी सिंधिया मामले में शांत है, क्योंकि पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्‌डु ने मुख्यमंत्री के उस बयान का समर्थन किया है, जो उन्होंने अटेर की चुनावी सभा में सिंधिया परिवार को लेकर दिया था. गुड्‌डु के बयान के बाद कांग्रेस भी बैकफुट पर है. मुख्यमंत्री के उस बयान का सबसे पहले विरोध उन्हीं की कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने किया था.

यशोधरा शिवराज सिंह चौहान के बयान से इतनी आहत हैं कि वे अटेर में पार्टी का प्रचार करने भी नहीं गईं. यशोधरा राजे सिंधिया ने जवाबी प्रतिक्रिया में कहा कि भाजपा वो दौर भूल गई, जब महल के भीतर गहने बेचकर भाजपा पर खर्च किया जाता था. चुनाव प्रचार से लेकर पूरा इंतजाम महल के भीतर से होता था. इन्होंने भिण्ड जिले के अटेर और उमरिया के बांधवगढ़ में प्रचार से भी इंकार कर दिया.

मुख्यमंत्री के इस बयान को लेकर प्रदेश भाजपा के दो वरिष्ठ नेताओं ने भी यशोधरा राजे का समर्थन किया और इनके साथ खड़े आए. पार्टी के पूर्व सांसद और पार्टी में विभिन्न पदों पर रहे रघुनंदन शर्मा और पांच बार के सांसद और पूर्व मंत्री सरताज सिंह ने भी यशोधरा राजे की प्रतिक्रिया पर सहमति जताई. शर्मा ने कहा कि राजमाता ने भाजपा के लिए जो किया है, उसे भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने पार्टी को खड़ा करने के लिए धन के साथ खून पसीना भी लगा दिया था. प्रदेश में पार्टी को विस्तार देने के लिए उन्होंने जो मेहनत की, जिस तरह से लगातार दौरे किए, वह कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणादायी है.

पार्टी के कई बुजुर्ग नेता भी इस बात को लेकर अब चर्चा करते नजर आ रहे हैं कि हमारे राजनेताओं को क्या हो गया है कि वे राजमाता विजयराजे सिंधिया द्वारा इस पार्टी पर किए गए उपकारों और अहसानों को भुला दे रहे हैं. आज जब ये नेता विजयराजे सिंधिया पर निशान साध रहे हैं, तो कल तो पार्टी के पितृपुरुष कुशाभाऊ ठाकरे और प्यारेलाल खंडेलवाल जैसे नेताओं की कार्यशैली के बारे में भी सवाल हो खड़े कर सकते हैं. सवाल उठाने वाले ये नेता भूल गए हैं कि राजमाता सिंधिया के साथ-साथ कुशाभाऊ ठाकरे और प्यारेलाल खंडेलवाल की त्याग तपस्या और कार्यप्रणाली के कारण ही भाजपा आज मध्य प्रदेश में सत्ता में है.

भाजपा के कई बुजुर्ग नेता दबी जुबान ये कह रहे हैं कि राजनीति को कमाई और अपनों को फायदा पहुंचाने का जरिया बनाने वाले आज के ये नेता क्या जानें कि राजनीति क्या होती है. पार्टी के लिए अपना जीवन समर्पित कर देने वाले जिन नेताओं पर आज सवाल उठाए जा रहे हैं, उनसे आज के लोगों को राजनीति सीखने की जरूरत है. आज के इन नेताओं ने राजनीति की आड़ में अपने परिवार का कितना भला किया, ये बताने की बात नहीं है.

भाजपा के 13 वर्षों के शासनकाल में सत्ता के दलालों के साथ-साथ प्रदेश में सक्रिय मंत्रियों व अधिकारियों ने किस तरह से लूटमारी और फर्जी आंकड़ेबाजी कर अपनी तिजोरी भरने का काम किया ये सब जानते हैं. आज भी ऐसे रैकेट सक्रिय है. आज प्रदेश में सरकारी योजनाओं में ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार की गंगोत्री बह रही है. यही कारण भी है कि जिनके पास कल तक टूटी साइकिल तक खरीदने के पैसे नहीं थे, वे आज वह आलीशान भवनों में रह रहे हैं और लग्जरी कारों में फर्राटे भरते नजर आ रहे हैं.

यशोधरा राजे सिंधिया सरकार और पार्टी में अपनी उपेक्षा को लेकर काफी दिनों से व्यथित हैं. यशोधरा राजे हमेशा ही अपनी मां के पदचिन्हों पर चलते हुए जनहित में काम करती रही हैं. गौर करने वाली बात ये भी है कि मुख्यमंत्री के कहने पर भी यशोधरा राजे ने अपने विभाग से अंबानी को 13 करोड़ रुपए की छूट देने से मना कर दिया था. यही नहीं, उद्योग विभाग में जिस तरह की धांधली चल रही थी, उसे बढ़ावा देने वाले फैसलों को लेकर वे लगातार असहमति जताती रही थीं. यशोधरा राजे के ऐसे कई फैसलों के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इनका विभाग बदल दिया. इनका विभाग बदलते ही राज्य सरकार की तरफ से न सिर्फ अंबानी को करोड़ों रुपए दिए गए, बल्कि अन्य कई उद्योगपतियों को भी फायदा पहुंचाया गया. इसी क्रम में राज्य में कोकाकोला के प्लांट को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं. सिंधिया परिवार पर मुख्यमंत्री के बयान को इन सब घटनाओं से भी जोड़कर देखा जा रहा है.

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