जंतर-मंतर की सभा के बाद शिवपाल यादव ने बड़े भ्राता मुलायम सिंह यादव से दिल्ली जाकर मुलाकात की और अपने साथ किए जा रहे ऐसे दोधारी व्यवहार का औचित्य पूछा. शिवपाल-मुलायम में क्या बातें हुईं, इसका कोई आधिकारिक आधार नहीं मिला है, लेकिन ‘दीवारें’जो कान लगाए सुन रही थीं, उनका कहना है कि मुलायम समाजवादी सेकुलर मोर्चे के सपा में विलय की भी उम्मीद लगाए बैठे हैं. मुलायम अब भी शिवपाल के समक्ष संधि और सम्मानजनक वापसी की जलेबी लटकाए हुए हैं. मुलायम की पूरी कोशिश होगी कि वे मोर्चे का सपा के साथ विलय कराएं. लेकिन शिवपाल इस बार अपने राजनीतिक वजूद के प्रति सतर्क और सचेत हैं.
शिवपाल ने नेता जी से कहा कि समाजवादी सेकुलर मोर्चा सपा-बसपा गठबंधन में शामिल होने के लिए तैयार है. साथ ही शिवपाल ने समाजवादी पार्टी के लोगों द्वारा विलय की अफवाहें फैलाए जाने पर रोक लगाने के लिए भी कहा. शिवपाल ने मुलायम से यह भी कहा कि डॉ. लोहिया और उनके सिखाए मार्ग पर चलने के कारण ही उन्होंने भाजपा में शामिल होने का सम्मानजनक प्रस्ताव त्याग दिया और सेकुलर मोर्चे का गठन किया. मोर्चे की औपचारिक घोषणा की सहमति देने के बाद मुलायम के समाजवादी पार्टी की सभा में शरीक होने पर शिवपाल ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई.
समाजवादी सेकुलर मोर्चा के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि जंतर-मंतर की सभा में मुलायम के शरीक होने के बाद भी मोर्चा अपने झंडे से नेता जी मुलायम सिंह यादव की तस्वीर नहीं हटाएगा. नेता जी अखिलेश यादव के लिए पिता हैं, लेकिन समाजवादी सेकुलर मोर्चा के लिए नेता जी एक महापुरुष हैं. पिता को मंच पर बिठा कर दिखाना अखिलेश यादव की मजबूरी है, जबकि अपने झंडे और प्रतीक चिन्ह के रूप में नेता जी का चेहरा सामने रखना समाजवादी सेकुलर मोर्चा के गौरव का विषय है. उक्त मोर्चाई ने कहा कि लोग अब जल्दी ही समाजवादी पार्टी के नेताओं को मोर्चे में शामिल होता हुआ देखेंगे. लखनऊ में विशाल रैली की तैयारियां उसे प्रभावकारी और तारीखी बनाने की हैं.
शिवपाल यादव खुद ही अपने पुराने साथियों और समाजवादियों से मिल रहे हैं. ऐसे नेताओं और साथियों को साथ लेकर समाजवादी सेकुलर मोर्चा लखनऊ में बड़ा सम्मेलन कराने की तैयारी में लगा है. सपा के मंच पर मुलायम के हाजिर रहने के बावजूद, शिवपाल को अपने पुराने साथियों से उम्मीद है. शिवपाल का दावा है कि अब तक 22 छोटे दल समाजवादी सेकुलर मोर्चा में शामिल हो चुके हैं. शिवपाल लगातार जिलों का दौरा कर रहे हैं और अपने समर्थकों को एकजुट कर रहे हैं. वे सपा के पुराने नेताओं से मिल रहे हैं और उन्हें मोर्चे में शामिल करा रहे हैं. शिवपाल कहते हैं कि अब तक 22 छोटे और मझोले दल समाजवादी सेकुलर मोर्चे में शामिल हो चुके हैं. इसके अलावा कई जातियों के संगठन भी शामिल हो रहे हैं. इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है. मोर्चे के साथ कौन-कौन से दल आए और कौन-कौन से नेता, यह सब उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित होने जा रहे सम्मेलन में जाहिर हो जाएगा.