- ग़रीबों का 70 हज़ार क्विंटल अनाज खा गए भ्रष्टाचारी
- दो सहायक गोदाम प्रबंधकों पर प्राथमिकी दर्ज
दक्षिण बिहार की राजनीतिक राजधानी और झारखंड की सीमा से सटे धार्मिक ऐतिहासिक धरोहरों को अपने दामन में समेटे नक्सल प्रभावित गया जिले में वैसे तो कोई सरकारी अधिकारी आना नहीं चाहता है, लेकिन ये भी सच है कि एक बार जो यहां आ गया, वह यहां से जाना भी नहीं चाहता है. यह स्थिति अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक की है. चौबीस प्रखंडों वाले इस जिले में आधे से अधिक प्रखंड नक्सल प्रभावित हैं.
इसके बावजूद सरकारी कर्मी किसी भी सरकारी योजना की लूट, घोटाला और भ्रष्टाचार करने से बाज नहींे आते हैं. गया जिले के अधिकतर प्रखंडों के ग्रामीण विशेषकर दलित-महादलित वर्ग आज भी कम पढ़ा-लिखा और सीधा-साधा है. यही कारण है कि सरकारी कर्मी ऐसे लोगों को बरगलाकर उन्हें मिलने वाली सरकारी सुविधाओं का लाभ खुद उठाते हैं और घोटाला कर समूची राशि डकार जाते हैं. ऐसा ही एक मामला गया जिले के चार प्रखंडों में पकड़ा गया है, जिसमें बिहार राज्य खाद्य निगम के गोदाम से 21 करोड़ राशि के 70 हजार क्विंटल अनाज का गबन किया गया है.
इस मामले में बिहार राज्य खाद्य निगम के कई सहायक गोदाम प्रबंधकों पर संबंधित थानों में प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी है. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद बिहार खाद्य निगम महकमे में हड़कंप मच गया है. वहीं इलाके के समाजसेवियों का कहना है कि अगर एसएफसी की विजिलेंस टीम द्वारा गया जिले के एसएफसी गोदामों की सही तरीके से जांच की जाए, तो यह घोटाला अरबों तक पहुंच सकता है. 70 हजार क्विंटल यह अनाज गरीबों के बीच मुफ्त व रियायती दरों पर वितरण के लिए जन वितरण की दुकानों में भेजा जाना था.
इस मामले में गया जिले के कोंच व टिकारी प्रखंड के बिहार राज्य खाद्य निगम के गोदाम से 30 हजार क्विंटल अनाज गायब होने का पता चला. एसएफसी की निगरानी टीम ने जब इसकी जांच की, तो अनाज के गबन की सच्चाई सामने आ गई. यह अनाज वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिए था. जांच के दौरान कोंच प्रखंड के गोदाम में करीब दो करोड़ 36 लाख 19 हजार रुपए का 185 क्विंटल अरबा चावल, आठ हजार 493 क्विंटल उसना चावल और 291 क्विंटल गेहूं जब्त किया गया.
इसी प्रकार टिकारी थाने में दर्ज की गई प्राथमिकी में छह करोड़ 45 लाख 60 हजार रुपए के अनाज गबन की बात सामने आई है. कोंच व टिकारी गोदाम से गबन किये गये अनाज के मामले में अवकाश प्राप्त सहायक गोदाम प्रबंधक गुप्तेश्वर शर्मा पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है. वे दोनों गोदाम के प्रभारी थे. एफआईआर बिहार राज्य खाद्य निगम के जिला प्रबंधक शरद कुमार झा ने दर्ज कराया है.
इससे पूर्व गोदामों में अनाज स्टॉक में अनियमितता की शिकायत पर इसकी विशेष जांच के लिए गया के जिला पदाधिकारी कुमार रवि ने भी एडीएम की अध्यक्षता में स्पेशल टीम का गठन किया था. यह मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि झारखंड की सीमा से लगे गया जिले के इमामगंज-डुमरिया प्रखंडों में 40 हजार क्विंटल अनाज के गबन का मामला सामने आ गया. विभागीय विजिलेंस की टीम ने जब जांच की तो डुमरिया प्रखंड के एसएफसी गोदाम से छह करोड़ रुपए के 22 हजार क्विंटल गेहूं तथा 10 हजार क्विंटल चावल के गोलमाल किए जाने का पता चला.
वहीं इमामगंज प्रखंड के गोदाम से करीब पांच करोड़ रुपए के 9 हजार क्विंटल गेहूं व 9 हजार क्विंटल चावल का गबन किया गया. इस मामले में दोनों गोदामों के प्रभारी रहे प्रमोद कुमार सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. 70 हजार क्विंटल अनाज के गबन के मामले की जांच चल ही रही थी कि तभी 30 जनवरी 2017 को जीटी रोड पर डोभी थाना क्षेत्र के सूर्यमंडल के निकट गेहूं से लदा एक ट्रक पकड़ा गया. यह ट्रक झारखंड की ओर जा रहा था.
इस ट्रक पर बिहार राज्य खाद्य निगम की छाप वाले बोरे में 203 क्विंटल गेहूं लदा था. इस अनाज को कालाबाजारी के लिए झारखंड ले जाया जा रहा था. यह गेहूं कैमूर जिले के मोहनिया के रवि गल्ला उद्योग नामक फर्म से लादी गयी थी. इस मामले में ट्रक चालक मो. जान को गिरफ्तार कर अनाज जब्त कर लिया गया.
इस संबंध में जानकारों का कहना है कि गया जिले के 24 प्रखंडों में जन वितरण की दुकानों में गरीबों में वितरित करने के लिए आवंटित अनाजों का अधिकतर हिस्सा कालाबाजार में चला जाता है. सभी अनाज झारखंड ले जाकर बेच दिया जाता है. जानकार तो यह भी बताते हैं कि पीडीएस के अनाज के गबन मामले में एसएफसी के साथ-साथ अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत रहती है.