jharkhand-paaniदेश के दूसरे हिस्से की तरह झारखंड में भी पानी की किल्लत से लोग परेशान हैं. झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में पानी के भीषण संकट को देखते हुए सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं. हाईकोर्ट ने कहा है कि जितनी जल्द हो सके जल संकट को दूर किया जाए, लेकिन स्थिति को देखकर नहीं लगता है कि इतनी जल्द पानी का संकट दूर होने वाला है. हाल यह है कि रामगढ़ के विधायक और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी के क्षेत्र के लोग भी पानी के बगैर तड़प रहे हैं.

सरकारी तंत्र के अधिकारियों के बीच तालमेल की कमी और उनकी न काम करने की प्रवृत्ति इस भीषण जल संकट की प्रमुख वजह है. भीषण जल संकट की वजह से पलामू जिला अकाल के करीब है. इंसान तो पानी के बगैर मर ही रहे हैं जानवरों को भी राहत नहीं है. इस भीषण जल संकट की वजह से गिरिडीह जिले के पूर्णा नगर पंचायत निवासी 26 वर्षीय दिलीप यादव ने कुएं में कूद कर आत्महत्या कर ली. दिलीप यादव ने अपने कुएं में बोरिंग कराने के लिए 95 हजार रुपये कर्ज लिए थे. लेकिन बोरिंग के बावजूद भी पानी नहीं निकल पाया जिससे हताश होकर उन्होंने अपनी जान दे दी.

इस दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे झारखंड को झकझोर कर रख दिया. इस घटना से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे झारखंड में पानी की स्थिति क्या है? कई जिलों में जल के भीषण संकट को देखते हुए परिवार में होने वानी शादी तक के कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है. अगर किसी के घर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गई हो, तो श्राद्धकर्म के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है. ऐसा ही एक मामला बोकारो जिले के चंदनकियारी प्रखंड के भोष्की गांव के प्रखंड कमेटी के महासचिव संटुलाल महथा के निधन के बाद देखने को मिला, क्योंकि उनके श्राद्धकर्म के लिए कहीं से मात्र एक बाल्टी पानी ही मिल पाया.

केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा के गांव सुंदरपुर में पानी की भीषण संकट की वजह से यहां के निवासियों ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. उन्होंने प्रधानमंत्री से पानी की भीषण संकट से जल्द निजात दिलाने की मांग की है. मामले की गंभीरता को देखते हुए जयंत सिन्हा ने खुद संज्ञान लेकर बीडीओ को फोन कर तुरंत पानी की व्यवस्था करने का आदेश दिया. काश अगर ऐसी व्यवस्था मंत्री जी पूरे झारखंड के लिए करवाते, क्योंकि मंत्री जी के गांव ही नहीं पूरे राज्य में पानी का भीषण संकट है. पूर्वी सिंहभूमि में जलश्रोतों के सुख जाने की वजह से चेकाम पहाड़ी पर एक हाथी का बच्चा प्यास से तड़पकर मर गया. पटमदा के दलमा वन में जलशाय सुख जाने के कारण दो हिरण के बच्चों के प्यास की वजह से मौत हो गई. पानी के तलाश में भटक रहे गढ़वा के केतार गांव में तेंदुए की कुएं में कुदने से मौत हो गई.

मैथन चेक पोस्ट पर तस्करी के लिए ले जाई जा रहीं 371 गायों को पकड़ा गया था, जिसमें से 30 गायें प्यास की वजह से मर गईं. गोड्डा जिले में एक जंगली लगड़बग्घा पानी की तलाश में घर के अंदर घुस गया. झारखंड में पानी की भयावहता का अंदाजा इसी लगाया जा सकता है कि राज्य की 197 नदियों में से 133 नदियों का पानी पूरी तरह सुख चुका है. उत्तरी छोटा नागपुर प्रमंडल की सबसे बड़ी नदी दामोदर एवं संताल परगना की गंगा नदी में भी पानी कम हो गया है. अगर जिलेवार नदियों की हालत पर नजर डाली जाए, तो स्थिति काफी गंभीर नजर आती है. रांची में दो नदियां हैं और दोनों सुख चुकी हैं, साहेबगंज में दो नदियां है, लेकिन इसमें एक सुख चुकी है. लोहरदगा में दो नदियों में से एक सुख चुकी है. धनबाद में सात नदियां हैं, देवघर में छ: नदियां हैं और सभी चुकी हैं. पूर्वी सिंहभूमि में नौ में से आठ, जमताड़ में दो में से एक नदी सुख चुकी है. गिरडीह में केवल एक नदी है वो भी पूरी तरह सुख चुकी है.

दुमका में पांच नदियां हैं और पांचो सुख चुकी हैं. पाकुड़ में चार नदी है और उसमें से तीन सुख चुकी हैं. गोड्‌डा में 8 नदी हैं, लेकिन इसमें से सात सुख चुकी हैं. चतरा में 17 नदियां हैं और सभी सुख चुकी हैं. कोडरमा में 32 नदियां और सभी सुख चुकी हैं. हजारीबाग में 11 में से दस नदियां सुख चुकी हैं. इसी तरह रामगढ़ में 15 में से 12, लातेहार में सात में से सातों, गढ़वा में 19 में से 14, पलामु में 4 में से 4 और खुंटी में तीन नदियां हैं और तीनों सुख चुकी हैं. झारखंड हाईकोर्ट के बाद राज्य सरकार भी मानती है कि झारखंड में जलसंकट की समस्या अति गंभीर है. स्थिति यह है कि पानी के लिए पूरे राज्य में युद्ध जैसी स्थिति हो गई है. प्रत्येक जिले, प्रखंड, पंचायत, गांव और नगर निगम क्षेत्रों में पानी के लिए मारपीट की संगीन घटनाएं घट रही हैं और मामला थाने में भी दर्ज हो रहा है.

झारखंड सरकार के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयु राय ने तो यहां तक कह दिया कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधिकारी सिर्फ बरगलाने का काम करते हैं. जिस भी जिले में पानी के मद में जितनी भी योजनाएं पास हुई हैं, उसमें से एक भी धरातल पर दिखाई नहीं देती हैं. सरयु राय तीन जिलों के प्रभारी मंत्री हैं. उन्होंने हजारीबाग, रामगढ़ एवं लातेहार के दौरे के दौरान पाया कि पिछले वर्ष जितनी भी योजनाएं लागू की गईं थीं किसी पर भी ठीक ढंग से काम नहीं हो रहा है. जबकि रामगढ़ के विधायक चंद्रप्रकाश चौधरी पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री हैं, लेकिन बावजूद इसके रामगढ़ क्षेत्र के लोग पानी के बगैर तड़प रहे हैं.

अब अगर मंत्री महोदय के क्षेत्र का ही यह हाल है, तो पूरे झारखंड के हालात का आकलन आसानी से किया जा सकता है. कई जिलों में लोगों का गुस्सा सामने आ चुका है और अगर अब भी हालात नहीं सुधरे, तो स्थिति भयावह हो सकती है.प

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