पिछले साल केंद्र में मोदी सरकार के गठन के बाद मची उथल-पुथल के बाद यूपीए सरकार के दौरान मोर्चा संभाल रहे बहुत कम अधिकारी अपनी जगह बचाने में सफल रहे. कैबिनेट सचिव अजीत सेठ इसका एक उल्लेखनीय उदाहरण हैं. उनके अलावा योजना आयोग की पूर्व सचिव सिंधुश्री खुल्लर बचने वाली दूसरी अधिकारी हैं. 1975 बैच की सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी खुल्लर को नवगठित नीति आयोग का सीईओ बनाया गया है. पूर्व पैनल ख़त्म होने के बाद नवगठित संस्थान में जगह पाने वाली वह एकमात्र अधिकारी हैं. लेकिन, दिलचस्प बात यह है कि सिविल सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद कार्यरत अधिकारियों में श्रीमती खुल्लर से सेठ वरिष्ठ हैं. हालांकि, सरकार द्वारा उन्हें बनाए रखने का निर्णय महत्वपूर्ण कसौटी था. उनकी स्थिति विभिन्न मंत्रालयों-विभागों के सचिवों और राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ समन्वय, सहयोग एवं सामंजस्य बनाने वाली है. ऐसे में उनका वरिष्ठ होना फ़ायदेमंद है. उन्हें इस बात का भी फ़ायदा मिलेगा कि खुल्लर की छवि एक दक्ष, कुशल और निर्विवाद आईएएस अधिकारी की है, जो लो-प्रोफाइल में रहती हैं. इससे स्पष्ट हो जाता है कि सरकार बदलने के बाद भी खुल्लर एवं सेठ जैसे अधिकारी महत्वपूर्ण पदों पर बने हुए हैं और बाकी वरिष्ठ अधिकारी ऐसा कर पाने में असफल रहे.
कूटनीतिक चिंताएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश नीति के मसलों पर अच्छा-खासा ध्यान केंद्रित किया है. बावजूद इसके, विदेश मंत्रालय में मुख्य राजदूतों की पदस्थापना को लेकर कई महीनों से अनिर्णय की स्थिति बनी हुई है. इससे निपटते समय विदेश सचिव सुजाता सिंह के सामने एक नई समस्या उठ खड़ी हुई है. प्रधानमंत्री ने दिल्ली में राजनयिक सेवा के सभी अधिकारियों, जिनमें सभी राजदूत एवं उच्चायुक्त भी शामिल हैं, की एक बैठक बुलाई. लेकिन, सुजाता सिंह के लिए परेशानी यह थी कि आयोजन स्थल पर खाली सीटों से कैसे निपटा जाए. सूत्रों का कहना है कि विदेश सचिव ने 15 राजदूतों की सूची विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के सामने रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन उनका पत्र इस निर्देश के साथ वापस भेजा गया है कि वह सुनिश्चित करें कि सूची में दर्ज नामों के साथ कोई विवाद नहीं जुड़ा है. ग़ौरतलब है कि पिछली सरकार के समय इस तरह की नियुक्तियां एक नियमित काम था, लेकिन मोदी राज में केवल प्रधानमंत्री कार्यालय का निर्णय मायने रखता है. और, जब मोदी स्वयं विदेश नीति का परिचालन कर रहे हैं, तो ऐसे में विदेश मंत्री साफ़ तौर पर यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि यह सूची उनके मंत्रालय को किसी तरह का नुक़सान पहुंचाए.
एक अनोखी वापसी
यह एक अलग तरह की और ग़ैर-विवादास्पद वापसी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र के सचिव स्तर के अधिकारियों से कहा है कि वे अपने एकांत कार्यालय छोड़कर उन ज़मीनी जगहों पर जाएं, जहां से उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी. इस संबंध में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव संजय कोठारी ने एक आदेश जारी करते हुए सभी 93 केंद्रीय सचिवों को अपनी पहली पदस्थापना की जगह का दौरा करने और वहां के ज़मीनी हालात के बारे में रिपोर्ट देने को कहा है. हालांकि, मोदी ने नवंबर में ही सभी मंत्रालयों एवं विभागों के सचिवों से मुलाकात के दौरान ऐसा किए जाने के संकेत दिए थे. बाबुओं को भेजे जाने का उद्देश्य ज़मीनी स्तर पर सरकार की नीतियों के कार्यान्वयन का आकलन और सरकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों का वांछित प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए सिफारिशें एवं सुझाव हासिल करना है. सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट सचिव अजीत सेठ ने उदाहरण के साथ पहल की है. वह पहले ही आईएएस अधिकारी के रूप में करियर की शुरुआत के स्थान का दौरा कर चुके हैं. निस्संदेह, दूसरे अधिकारी भी इसी तरह की योजना बना रहे हैं.