पणजी, गोवा में सिरेंडिपिटी आर्ट्स फेस्टिवल 2024 का आयोजन किया गया। इस दौरान 15 से 22 दिसंबर तक चले एक विशेष कार्यशाला के सूत्रधार बने जाने-माने फिल्म निर्माता-निर्देश और रेडियो उद्घोषक नरेंद्र जोशी। लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर और ऑडियो डिस्क्रिप्शन विशेषज्ञ नरेंद्र जोशी लंबे समय से दृष्टिबाधितों के लिए काम कर रहे हैं। इस कार्यशाला का उद्देश्य भी दृष्टिहीन और कम दृष्टि वाले व्यक्तियों के लिए कला और फिल्म को समझने का एक सशक्त माध्यम प्रदान करना था। इस फेस्टिवल में उनके सहायक सिद्धांत जोशी ने फिल्म “If I Could Tell You” का ऑडियो डिस्क्रिप्शन किया और 50 अन्य कला वस्तुओं का भी ऑडियो डिस्क्रिप्शन किया, ताकि दृष्टिबाधितों को कला के अनुभव में समावेशी बनाया जा सके।
नरेंद्र जोशी ने कार्यशाला के बारे में अपने विचार साझा करते हुए कहा, “यह कार्यशाला विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जिसमें निर्माता , फिल्म निर्देशक, यूआई डिज़ाइनर, पत्रकार, शिक्षक और अन्य क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल हुए। इन सभी का उद्देश्य था कि वे ऑडियो डिस्क्रिप्शन के माध्यम से कला, फिल्म और अन्य दृश्य कला को दृष्टिहीन और कम दृष्टि वाले लोगों तक पहुँचाने के तरीके समझें। यह अनुभव न केवल भाग लेने वालों के लिए बल्कि मेरे लिए भी बहुत प्रेरणादायक था, और मुझे उम्मीद है कि इस प्रकार की पहल से समाज में जागरूकता बढ़ेगी और समावेशिता को बढ़ावा मिलेगा।” जोशी ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य केवल दृश्य कला को सुलभ बनाना नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा कदम है जिसमें समाज के हर वर्ग को कला और सिनेमा का पूरा अनुभव मिल सके।
गौरतलब है कि ऑडियो डिस्क्रिप्शन एक महत्वपूर्ण तकनीक है, जो दृष्टिहीन और कम दृष्टि वाले व्यक्तियों को दृश्य सामग्री को समझने में मदद करती है। यह कार्यशाला इस तकनीक को सिखाने और इसे विभिन्न क्षेत्रों में लागू करने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। नरेन्द्र जोशी के अनुसार, “ऑडियो डिस्क्रिप्शन केवल कला और सिनेमा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे शिक्षा, मीडिया और डिज़ाइन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भी प्रभावी तरीके से उपयोग किया जा सकता है।”
नरेंद्र जोशी की मान्यता प्राप्त फिल्म निर्माता और ऑडियो डिस्क्रिप्शन विशेषज्ञ के रूप में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हैं। उनके प्रयासों ने न केवल फिल्म इंडस्ट्री में बल्कि समाज में समावेशिता को बढ़ावा दिया है। जोशी को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं, और उनके काम ने दृष्टिहीन और कम दृष्टि वाले व्यक्तियों के लिए नई राह खोली है।