भोपाल। लोगों को नैतिकता का सबक सिखाने वाले शिक्षक अपने ही विभाग की अनैतिकता का शिकार होते नजर आ रहे हैं। चार माह पहले मिलने वाले सम्मान के लिए शिक्षकों के सामने अब भी अस्थिरता और अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। कोरोना हालात के चलते टाले गए शिक्षक सम्मान समारोह को दरकिनार कर दो जिलों में स्थानीय प्रशासन ने चयनित लोगों तक उनकी अमानत रूपी सम्मान पहुंचा दिया है, लेकिन बाकी लोगों को फिलहाल प्रदेश मुख्यालय और जिला प्रशासन की तरफ नजरें उठाए रखने की मजबूरी बनी हुई है।
जानकारी के मुताबिक पिछले शिक्षक दिवस 5 सिंतबर को होने वाले शिक्षक सम्मान कार्यक्रम को कोरोना हालात के चलते स्थगित कर दिया गया था। राजधानी में बड़े स्तर पर होने वाले इस आयोजन के दौरान प्रदेश के करीब 25 शिक्षकों को सम्मान दिया जाना था। समय पर कार्यक्रम न होने के चलते इन चयनित शिक्षकों में से महज दो को स्थानीय प्रशासन ने अपने स्तर पर सम्मानित कर उनकी अमानत रूपी ट्रॉफी और सम्मान राशि सौंप दी है। लेकिन बाकी बचे शिक्षकों के लिए अब तक ऐसी कोई योजना लोक शिक्षण संचालनालय नहीं बना पाया है। चयनित शिक्षकों के जिला प्रशासन की भी अरुचि ने इस सम्मान को शिक्षकों से दूर रखा हुआ है।
इनका हुआ था चयन
जानकारी के मुताबिक शिक्षा विभाग द्वारा हर साल पूरे प्रदेश के हर जिले से एक-एक शिक्षक को सम्मान के लिए चुना जाता था। लेकिन पिछले बरस शुरू की गई मूल्यांकन पद्धति ने इस संख्या को आधा कर दिया था। विभिन्न स्तर पर की गई स्कूटनी और मूल्यांकन के बाद प्रदेशभर से करीब 25 शिक्षकों का चयन किया गया था। इनमें राधाकृष्णन केसी भोपाल, नरेन्द्र कुमार राठौर भोपाल, अनिल कुमार कोठेकर छिंदवाड़ा, नारायण प्रसाद गुप्ता नरसिंहपुर, सुनयना शर्मा इंदौर, रामचंद्र चौहान बड़वानी, जगदीश गौर खंडवा, नरेन्द्र कर्मा खरगोन, शिवपाल सिंह यादव अशोक नगर, अनिल कुमार दवे दतिया, प्रकाश शर्मा गुना, सरोज प्रजापति सागर, संजय कुमार जैन, माधव पटेल दमोह, विनीत कुमार द्विवेदी पन्ना, अनिता जैन आगर मालवा, विकास महाजन देवास, शोएब खान नीमच, सुभाष कुमावत रतलाम, श्रृद्धानंद दुबे शहडोल, संजय कुमार तिवारी डिंडोरी, सत्यभान सिंह भदौरिया भिण्ड, नीरज कुमार पाण्डेय रीवा, अर्चना शुक्ला रतलाम, अजीता द्विवेदी सीधी आदि शिक्षक शामिल हैं।
महज दो को मिल पाया सम्मान
कोरोना स्थितियों को देखते हुए स्थगित किए गए सम्मान समारोह के बाद लोक शिक्षण संचालनालय ने सभी जिला जिम्मेदारों को चयनित सूची प्रेषित कर दी थी। इस दौरान यह भी सिफारिश की गई थी कि जिला प्रशासन अपने स्तर पर आयोजन कर अपने जिले के शिक्षकों को सम्मान पट्टिका और इसके लिए निर्धारित राशि भी प्रेषित कर दी थी। इसके मुताबिक बड़वानी और खरगोन के चयनित शिक्षकों को जिला प्रशासन ने अपने स्तर पर आयोजन कर शिक्षकों की अमानत सौंप दी है। लेकिन बाकी जिलों के प्रशासन ने अब तक इस मामले को लेकर कोई गंभीर योजना नहीं बनाई है।
कवायद यह भी चल रही
सूत्रों का कहना है कि पिछले बरस टले आयोजन के बाद शिक्षा विभाग सम्मान समारोह को स्थायी रूप से टालने की मंशा बनाने लगा है। कहा जा रहा है कि पिछले वर्ष चयनित हुए शिक्षकों को भी सम्मान पाने के लिए नए सिरे से आवेदन प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। शिक्षकों का कहना है कि ये स्थिति बनती है तो सम्मान के लिए शिक्षकों के बीच प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ जाएगी। जहां पुराने चयनित शिक्षकों को पिछली उपलब्धियों का सहारा मिलेगा वहीं नए आवेदकों को अपने नंबर बढ़ाने के लिए निर्धारित से ज्यादा मेहनत करना पड़ जाएगी। यह स्थिति उन शिक्षकों के लिए अन्याय जैसी भी कही जाएगी, जो चयनित होने के बाद भी सम्मान महज इसलिए नहीं पा सके कि सरकारी पाबंदियों ने आयोजन को रोक दिया था।