संतोष भारतीय मेरे चालिस साल से ज्यादा पुराने मित्र जो जेपी आन्दोलन में परिचय हुआ जिनकी प्रतिभा और क्षमता ने वी पी सिंह के प्रधान-मंत्रीत्व के काल में वे सांसद सदस्य तो थे ही लेकिन उस समय वह सत्ता के केंद्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे !
आज उनका वर्तमान प्रधानमंत्री के आपदा को अवसर में तब्दील करने के संदर्भ में बहुत ही हल्की फुल्की पोस्ट फ़ेसबुक पर देखी उस समय मैं एक महत्वपूर्ण किताब पढनेमे व्यस्त था तो एक छोटी टिप्पणी करके पढाईमे व्यस्त हो गया था लेकिन किताब खत्म करने के बाद रातका खाना खाने के बाद सोने लगा पर वह पोस्ट पुनाह मनमे आई और मेरी नींद उड़ गई की संतोष एक मंजे हुये पत्रकार और राजनेता होनेके बावजूद वह इतनी-सी बात लिखकर क्यो थम गये ?
सो अब रात के एक चालीस हो गये हैं ! और मैं संतोष जी ने अधूरा छोड़ दिया काम करने के लिए अब इस समय बैठा हूँ !
आपदा से अवसर की बात से याद आया गुजरात मे 7 अक्तूबर 2001को केसुभाई पटेलके खिलाफ चल रही बगावत के कारण बिजेपी ने नरेंद्र मोदी जी को क्रिकेट के मैदान में श्याम के कुछ अंतिम समय पर भेजे जाने वाले बल्लेबाज याने क्रिकेट की भाषा मे नाईट बैटमन के रूप मे ही इनको भेजा था मुख्यमंत्री पद पर! क्यौंकि ये महाशय तब तक ग्राम पंचायत का चुनाव मे भी भाग नहीं लिये थे और विधनसभा चुनाव तो बहुत दूर की बात थी !
गुजरात की डेमोग्राफी देखकर लगता नहीं कि वर्तमान प्रधानमंत्रीकी उस समय गुजरात में कुछ राजनैतिक जमिन बनानेकी स्तिथी नहीं थी ! क्यौंकि वह जिस तेली जातिसे है वह गुजरातमे दो प्रतिशत भी नहीं हैं ! भारतीय राजनीति पर हर राज्य में कुछ खास जातियों का दब दबा बना हुआ है वैसाही गुजरात में पटेल ! और ऊपर से केसुभाई जैसे जमीनी नेता को हटाकर नरेंद्र मोदी जी को मुख्यमंत्री पद ! किसिभी थोडी बहुत राजनीती से परिचितोको यही लगता था कि नरेंद्र मोदी एक आपातकालीन व्यवस्था हेतू दिल्ली से भेजे गए थे !
लेकिन मेरे एक बुजुर्ग पत्रकार मित्र जो अब इस दुनियामे नहीं है श्री दिगंत भाई ओझा ने मुझे कहा कि नरेंद्र मोदी के प्रथम प्रेस कांफ्रेंस में ही उन्होँने कहा कि मैं वन डे मैच नहीं खेलने आया हूँ मैं टेस्ट मैच का खिलाडी हूँ !
27 फरवरी 2002 की सुबह गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के एस 6 कोच में आग लगा दी गई और 59 लोग मारे गए ! और नरेंद्र मोदी जी को मुख्यमंत्री पद पर आकर सिर्फ सव्वा सौ दिन पूरे होने पर आये थे ! हप्ते भर पहले ही वह राजकोट से उपचुनावों में अकेले ही चुनकर आये थे और दोनों सीटे कॉन्ग्रस के पाले में चली गई थी जो पहले बिजेपी की थी ! और स्थानीय स्तर चुनाव पंचायत,जिला परिषद,नगर निगम अहमदाबाद और राजकोट छोडकर 75%कांग्रेसके पास थे !
इस आपदा को अवसर में बदलनेके लिए नरेंद्र मोदीजी ने कोई कसर नहीं छोड़ी उन्होने गोधरा की कलेक्टर जयंती राव के मना करने के बावजूद सभी मारे गए लोगों के शवोकी बगैर पोस्टमार्टम किये विश्व हिंदू परिषद के हवाले कर दिया और उन शवोका एक खुले ट्रक में प्रदर्शन कर अहमदाबाद के सडको पर जुलूस निकाला गया !
7 अक्तूबर को शपथग्रहण में मै नरेंद्र दामोदर दास मोदी आज से गुजरातका मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए यह अशवस्त करता हूँ कि आजसे मै गुजरातमे रहनेवाले हर नागरिक के साथ किसि भी तरह का भेद भाव ना करते हुए भारतीय संविधान के अनुसार काम राज्य में करूंगा ! क्या हुआ उस शपथ का?
28 फरवरी के श्याम से ही भारत के सर्व सेनापति जनरल पदमनाभन जी ने गुजरातकी कानून और व्यवस्था बनाये रखने के लिए लेफ्टिनेंट जनरल झमी रुद्दीन के नेतृत्व में 3000 जवानोको भेजा था लेकिन उन जवानोको तिन दिन तक अहमदाबाद एयरपोर्ट के बाहर नहीं आने दिया !
28 फरवरी की आधी रात बीतने के बावजूद चीफ सेक्रेटरी से लेकर मुख्यमंत्री ने झमिरुद्दींन साहब के फोनका जवाब नहीं दे रहे थे तो एक लोकल गाईड को साथमे लेकर अपनी साथ लाये जिप्सी पर गाँधीनगर मुख्यमंत्री आवास पर पहुँच कर देखते हैं रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडीज और नरेंद्र मोदी खाना खा रहे थे तो फर्नांडीज खुश होकर बोले कि बहुत ही सही समय पर आप आये हैं अब आप गुजरातको सम्हालो तो झमिरुद्दींन साहब ने कहा की मैं मेरे 3000 जवानोको लेकर श्यामसे अहमदाबाद एयरपोर्ट पर उतरे हुए हैं लेकिन हमे जबतक लोजेस्टीक प्रोव्हाईड नहीं किया जा सकता है तो हम कैसे सह्माल सकेंगे ? हम ऊपर से विमान से देखा है पुरा गुजरात जल रहा है ! और इतनी देर हो चुकी है पर मुख्यमंत्री से लेकर यहाका कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति फोन तक नहीं उठा रहे ! इसलिये आखिर मै अपनी साथ लाये जिप्सी पर बैठकर लोकल गाईडकी मदद से अभि यहाँ पर पहुँच पाये तो जॉर्ज फर्नांडीज ने नरेंद्र मोदी जी को कहा कि नरेंद्र भाई इनको क्या चाहीये वह सब दिजीये और उसके बावजूद तिन दिन तक हमारे देश के सेना के 3000 जवान अहमदाबाद एयरपोर्ट पर ही पडे रहे ! क्यो ? उन्हे दंगा रोकने के लिए क्यो रोका गया?आपदा को अवसर में तब्दील करने के लिए ?
गोधरा की कलेक्टर जयंती राव के मना करने के बावजूद नरेंद्र मोदी जी ने 58 शव जिनका पोस्टमार्टम चल रहा था लेकिन वह सब रोक कर उन अधजले शवो को विश्व हिंदू परिषद के लोगों को ट्रक पर जुलूस निकालनेके लिए देनेवाला उस राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति का पालन करने की शपथ लिये हुये मुख्यमंत्री खुद कानून व्यवस्था बिगड़ना था इसलिए ? और इसिलिए अहमदाबाद में जब प्रधान-मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को पत्रकारोने पुछा कि आप क्या मेसेज देना चाहते हो तो अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा की मुख्यमंत्री ने राजधर्म का पालन करना चाहिए और नरेंद्र मोदी बगलमे ही बैठे थे और बोलेकी मै वही कर रहा हूँ !
वैसे तो गुजरात दंगों के दर्जनो रिपोर्ट के अनुसार और राणा आयुब,मनोज मित्ता,आर बी श्रीकुमार,झहिरुद्दीन शाह और पूर्व न्यायमुर्ति कृष्णा अय्यर,पी बी सावंत,सुरेश होस्पेट तथा अन्य लोगों द्वारा बहुत ही मेहनत से तैयार किया गया क्राईंम अगेन्स्ट हुमानीटी नामक रिपोर्ट !
जैसे लोगों ने भी काफी मेहनत की है और गुजरात दंगों के दौरान कौन कौन क्या क्या कर रहे थे और मुख्यमंत्री,गृहराज्यमंत्री,गृह मंत्रालय के सचिव से लेकर गुजरात ए टी एस प्रमुख,तत्कालीन अहमदाबाद के पुलिस अधीक्षक से लेकर डॉ माया कोडाणी,हरेन पंड्या की विधवा पत्नी जागृति पंड्या और शेकडो लोगों के ऑडियो-वीडियो इन्टरवू नौ महीने मैथिली त्यागी नाम लेकर यह शोध पत्रकारीता का हाल के दिनों में अनूठा उदाहरण राणा आयुब ने गुजरात फाईल्स नामकी किताब लिख कर भारत के पत्रकारिता के पतन पर्व में जो काम किया है और अब तो यह पुस्तक लगभग भारत की सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवादित होकर लाखो लोग पढ चुके हैं और मै पढ्नेके तुरंत बाद ही एक तो राणा आयुब ने जो तथ्य प्रस्तुत किये हैं उनकी जांच करने की मांग कर रहा हूँ !
यह पोस्ट लिखने से पहले मैंने आज सुबह गुजरात के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक श्री आर बी श्रीकुमार जी से( Gujarat Behind The Curtain) किताबके लेखक से कई पहलुओं को लेकर एक घंटे तक बात की है मुख्य रूप से गोधरा में दोपहर के बाद नरेंद्र मोदी जी ने जाकर अधजली,अधपोस्टमार्टम के शवों को विश्व हिंदू परिषद के लोगोको खुले ट्रको पर अहमदाबाद शहर में जुलूस निकालने के लिए दिया यह है आपदा प्रबंधन का जीता जागता उदाहरण और उसी गोधरा कांड के बाद नरेंद्र मोदी जी को जो 56 इंच छाती और हिन्दुह्रदयसम्राट तक पहुचने के लिए अवसर उन्होंने उठाकर दिल्ली तक पाहूचनेकी कोशिश की है !
देखियेना कोरोना जैसी महामारी का अपनी राजनीतको फैलाने के लिए कैसे इस्तमाल कर रहे हैं ? ताजा मिसाल राजस्थान ! महाराष्ट्र में आधी रात को राष्ट्रपति राज खत्म कर के सुबह देवेन्द्र फडणविस को शपथ लेने का इन्तजाम और कैलासपति मिश्रा कोरोना का बहाना बनाकर टाल मटौल किसके इशारों पर कर रहे हैं ? मध्य प्रदेश के और कर्णाटक की सरकारे कौनसा अवसर का उदहारण है ?
फिर सरकार के प्रतिष्ठान रेल्वे,बैंक,डिफेन्स,खनन उद्योगोंको प्रायवेट उद्योगपतियोको बेचकर कौनसे अवसर का लाभ उठा रहे हैं और उसके पहले सूचना के अधिकार से लेकर पर्यावरण,मजदूर कानून को बदलना भी कौनसे आपदा से अवसर का लाभ उठा रहे हैं ? कई पत्रकारों तथा बुध्दिजीवियों तथा विद्यार्थियो और सामजिक,राजकीय कार्यकर्ताओ पर राष्ट्रिय सुरक्षा जैसे अन्ग्रेजोने अपने साम्राज्यों के बचाने के लिए बनाये काले कानून का लाभ उठा रहे हैं और शेकडो लोग इस महामारी में भी कोई महिला प्रेगनेंट होने के बावजूद या वारवरा राव,साई बाबा जैसे बिमार और बुजुर्गो को जेलो में रखकर कौनसे आपदा से अवसर का परिचय दे रहे हैं !
इसे अवसर की जगह अवसरवादी राजनीति का क्लासिकल उदाहरण के सिवा कुछ नहीं बोला जा सकता है ! क्यौंकि आपने 6 साल के अपने सत्ता को देखकर लगता नहीं कि आप आपदा प्रबंधन को सही दिशा में अवसर प्रदान कर रहे हैं ? नोटबंदी से लेकर कश्मीर के 370 को हटाना और सबसे भयंकर तथकथित नागरिक कानून को बदलने की बात भारत की अखंडताके साथ खिलवाड़ करने की घटना बहुत गंभीर है और इससे बडा राष्ट्रद्रोही काम कोई और क्या हो सकता है ? लगभग दुनिया के सभी धर्मों के लोग ईस देशमे हजारों वर्षों से रहते हुए उन्हें एक कानून को बदलकर बेवतन करने की बात भारत के बटवारे की तरफ ले जाने का गुनाह करने वाले लोगों क्या बोलेंगे ?
इसलिए आपदा के अवसर पर आपका प्रबंधन आप के राजनीति के लिए शायद आपको ठीक लगता होगा लेकिन इतने बहुलतावादी समाज जो भारत की पहचान भी हैं उसका ताना बाना उध्व्स्त करने का कोई अधिकार नहीं है ! और नाही हमारा संविधान उसकी इजाजत देता है और आप तो उस संविधान को बदलने पर तुले हुए हैं क्यौंकि नागरिकता का कानून आप संविधान को बदलने के बाद ला रहे हैं याने संसदमे आपका बहुमत है इस अवसर का लाभ उठा रहे हों? यह अवसरवादीता गत 30वर्षों के अनुभव के आधार पर लगता नहीं कि देश का भला हो रहा है ! इसीलिए इसे तुरंत बंद किजीये यह बात मैं लगातार बोल लिख रहा हूँ !
—डॉ सुरेश खैरनार,नागपुर