aadhar cardमात्र 500 रुपये में एजेंट ने एक रिपोर्टर को आधार कार्ड पोर्टल की लॉगइन आईडी और पासवर्ड उपलब्ध करा दी. इसके जरिए रिपोर्टर किसी भी व्यक्ति की आधार कार्ड से सम्बन्धित पूरी जानकारी देख सकता था. इतना ही नहीं, एजेंट ने रिपोर्टर को एक सॉफ्टवेयर भी उपलब्ध कराया. इस सॉफ्टवेयर से किसी भी व्यक्ति के आधार कार्ड का प्रिंट लिया जा सकता था. अंग्रेजी दैनिक अखबार द ट्रिब्यून ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि मात्र 500 रुपए में उसे 100 करोड़ आधार कार्ड का एक्सेस मिल गया.

खबर छपने के बाद यूआईडीएआई ने समाचार पत्र के रिपोर्टर रचना खैरा के खिलाफ केस दर्ज करा दिया था. रिपोर्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद देश भर के पत्रकार संगठनों ने विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया. हालांकि संबंधित अधिकारी ने इस बात से इनकार किया कि अखबार की रिपोर्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. उन्होंने कहा कि एफआईआर अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई है. इसमें सिर्फ अखबार की रिपोर्ट का हवाला और रिपोर्टर के नाम का जिक्र किया गया है. तथाकथित रैकेट को पकड़ने के लिए यह करना जरूरी था.

अमेरिका के कुछ संगठनों ने भी सरकार की खामियां उजागर करने पर रिपोर्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने की आलोचना की है. अमेरिका के सामाजिक कार्यकर्ता एडवर्ड स्नोडेन ने टि्‌वट किया कि जिस पत्रकार ने आधार कार्ड से संबंधित खबर की है, उसे अवॉर्ड मिलना चाहिए. उस पर जांच बिठाने की जरूरत नहीं है. अगर सरकार वाकई इसके लिए चिंतित है, तो कार्ड के जरिए निजी सूचनाएं हैक न हों और करोड़ों भारतीयों की निजता पर आघात न हो, इसके लिए काम करना चाहिए. निजता के हनन के जो जिम्मेदार हों उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए. पत्रकार और तमाम सामाजिक संगठनों के विरोध के बाद सरकार और यूआईडीएआई को भी सफाई देनी पड़ी थी.

आधार कार्ड डेटा लीक होने के संबंध में एक वकील ने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है. याचिका में इस मामले की किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच कराने की मांग की गई है. याचिका में आधार डेटा लीक होने को गंभीर विषय बताया गया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि जहां सरकार को दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी, वहीं सरकार ने पत्रकार के खिलाफ ही केस दर्ज करा दिया.

हाल में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि प्रेस की अभिव्यक्ति और बोलने की आजादी को संपूर्णता में देखना चाहिए. फैसले के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि किसी कथित घोटाले के संबंध में रिपोर्टिंग करते समय कुछ गलतियां या अतिउत्साह संभव है, लेकिन प्रेस की अभिव्यक्ति और विचारों की आजादी को संपूर्णता में छूट देनी चाहिए. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने भी रिपोर्टर रचना खैरा का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि हम आधार कार्ड से सम्बन्धित समस्याओं को उठाते रहेंगे. इसे लेकर संसद के भीतर और बाहर केंद्र सरकार के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी.

अब आधार कार्ड एक्सेस नहीं कर सकते अधिकारी

जानकारी मिली है कि यूआईडीएआई ने 5000 अधिकारियों का आधार पोर्टल तक पहुंच रोक दी है. बताया जा रहा है कि 500 रुपए में लोगों के आधार नंबर बेचे जाने की खबर अखबारों में छपने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है. यूआईडीएआई ने अब नया प्रावधान यह किया है कि जिस व्यक्ति को आधार कार्ड में संशोधन या वहां तक पहुंच की जरूरत हो, सिर्फ उसी व्यक्ति की पहुंच बायोमैट्रिक्स एंट्री के बाद हो सकती है. इससे पहले कई राज्यों में प्राइवेट ऑपरेटर्स को भी यह अधिकार उपलब्ध कराया गया था. इसके तहत वे किसी आधार धारक का नाम, पता और जन्म तिथि आदि जैसी जानकारी देख सकते थे. इसके लिए उन्हें किसी व्यक्ति का  12 डिजिट वाला यूनीक नंबर दर्ज करना होता था. इसके बाद वे आधार कार्ड से सम्बन्धित किसी तरह का संशोधन कर सकते थे. सरकार के पास प्रतिदिन पांच लाख से ज्यादा अनुरोध आधार कार्ड में नाम, एड्रेस संशोधन या अन्य तरह के आते थे. अब किसी व्यक्ति की पहचान केवल फिंगर प्रिंट के जरिए होगी और इससे संबंधित आंकड़े तक भी सिर्फ उसी व्यक्ति की पहुंच होगी. हालांकि सरकार की इस पहल से ग्रामीण इलाकों के लोगों और तकनीकी रूप से अकुशल लोगों को मुश्किलें हो सकती हैं, लेकिन सरकार का कहना है कि इससे किसी व्यक्ति के आधार नंबर तक अन्य लोगों की पहुंच को रोका जा सकता है. इससे पूर्व यूआईडीएआई ने आधार नंबर लीकेज को लेकर अपने सिस्टम में सुरक्षा खामियां होने से इनकार किया था.

80 हज़ार शिक्षक एक से ज्यादा संस्थानों से ले रहे हैं तनख्वाह

आधार कार्ड से जुड़ी एक रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में 80 हजार से ज्यादा ऐसे शिक्षक हैं, जो एक से ज्यादा संस्थानों से तनख्वाह ले रहे हैं. ये खुलासा केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने किया है. उच्च शिक्षा के हालात पर एक अखिल भारतीय सर्वे रिपोर्ट को जारी करने के दौरान इसका खुलासा हुआ. ये बात तब सामने आई, जब इन अध्यापकों से उनका आधार नम्बर मांगा गया था. पता चला कि 80 हजार अध्यापक ऐसे थे जिनके आधार नम्बर एक से अधिक संस्थानों ने अपने स्टाफ के तौर पर भेजे थे यानी ये अध्यापक एक से अधिक उच्च शिक्षा संस्थानों से तनख्वाह ले रहे थे.

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