सभी साथियों को क्रांतिकारी अभिवादन !

साथियों वर्तमान समय में चल रहे हिजाब विवाद से लेकर लवजेहाद और कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने की बात हो ! या तथाकथित नागरिक संशोधन कानून तथा बाबरी मस्जिद ढांचे के उपर मंदिर बनाने की कृति, तथाकथित धर्मसंसदो के माध्यम से जिस तरह की धमकियों के साथ अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंदुत्ववादी तत्वो द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम चलाए जा रहे ! जो कि हमारे संविधान में अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारो की रक्षा के लिए स्पष्ट निर्देश दिए हैं ! लेकिन उसकी धज्जियाँ उडाते हुए ! बहुसंख्यकवाद के अंतर्गत भयभीत करने की मुहिम, गत 25-30 सालों से लगातार जारी है ! मंदिर – मस्जिद, गोहत्या, नागरिकत्व से लेकर कोरोना जैसी महामारी, शादी ब्याह और अब हिजाब के साथ चल रही राजनीति हा बिल्कुल संकीर्णता वाली राजनीति ! जो फासीस्ट तानाशाहीमे यहुदियो के खिलाफ, आजसे सौ साल पहले इटली और जर्मनी में हुई थी ! आज उसीके तर्ज पर संघ के विभिन्न संघठन के द्वारा वर्तमान समय के भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ बदस्तूर जारी है ! और सबसे हैरानी की बात हमारे सेक्युलर साथियों में भी जो बुद्धिभ्रम जारी है ! और संघ के तरफसे चलाए जा रहे सूडोसेक्यूलर गाली – गलोच के कारण हो या, सुरक्षात्मक मानसिकता के कारण ! और दुसरा कारण, उन्हें लगता है कि जो मांग हमारे वरिष्ठ साथी, मुस्लिम सत्यशोधक समाज के संस्थापक, हमिद दलवाई आजसे पचास साल पहले शुरूआत किया गया, समान नागरी कानून को लागू करने से लेकर, मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को, लागू करने के लिए की गई कोशिशों के कारण ! हमारे सेक्युलर मित्रों को लगता है ! कि इस बहाने मुस्लिम औरतों की भलाई हो रही है, तो हमें भी इस कदम का स्वागत करना चाहिए !
लेकिन संघ के लोग मुस्लिम समुदाय के खिलाफ गत सौ साल पहले से, जो जहर लगातार फैला रहे हैं ! वह समान नागरी कानून से लेकर नागरिक संशोधन बिल कश्मीर से 370 खत्म करने की बात हो या गोहत्या बंदी, लवजेहाद, और अब हिजाब के बंदिश के बहाने सिर्फ मुस्लिम समुदाय को डराकर उन्हें उकसाने के लिए की गई कृतियां हैं ! और वह इस मामले में काफी कामयाब हो रहे हैं ! और यह विकृत मानसिकता को जाने अनजाने में ही सही हमारे सेक्युलर साथियों के तरफसे कुरान के हवाले से और अधिक तर्क देकर इस संघ के ट्रॅप में फंसते हुए देखकर ही मैंने यह खुला पत्र लिखने का मन बनाया हैं !
और वही बात वर्तमान समय में कर्नाटक में चल रहे हिजाब के विवाद में काफी सेक्युलर मित्र हिजाब के खिलाफ खड़े हो गए हैं ! मैं खुद बचपन से ही समान नागरी कानून और नकाब, हिजाब या औरतें के साथ किसी भी तरह के ड्रेस कोड लागू करने के खिलाफ रहा हूँ ! लेकिन वर्तमान समय में संघ की अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ चल रही मुहिम की, अनदेखी कर के सिधे हिजाब के खिलाफ चल रही बदनामी की मुहिम में शामिल होना ! संघ की अल्पसंख्यक समुदायों को बहुसंख्यक समुदाय की सदाशयता पर जीना होगा ! यह गोलवलकर की भुमिका में ! ले जाने के षडयंत्र में शामिल होने की गलती जाने अनजाने में कर रहे हैं ! और इसी तरह भ्रम पैदा करके परीस्थिति का फायदा उठाकर दोनों समुदाय के सांप्रदायिक तत्वों की बांखे खिल रही है !
क्योंकि जिस संघठन के सौ से अधिक सालों से अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंदुत्ववादी तत्वो द्वारा चलाए जा रहे द्वेषपूर्ण प्रचार प्रसार करके ही कारण ! भागलपुर, गुजरात जैसे जधन्य कांडों को अंजाम दिया है !
और आजादी के बाद भारत के सभी सांप्रदायिक दंगो में और विशेष रूप से आने वाले 27 फरवरी को जिस गुजरात के दंगेको बीस साल पूरे होने जा रहे हैं ! उन्हें आज सत्ताधारी दल बनाने के लिए, उस गुजरात के दंगों की पृष्ठभूमि बहुत काम में आई है ! एक तरह से बहुसंख्यकवाद (Mejoroteriyanzam) के चपेट में भारत आ चुका है ! और उसमे हमारे अपने भी घर बचे नही है ! अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ गलतफहमियों के शिकार हमारे अपने भी लोगों को होते हुए देखा जा सकता है ! और यह सबसे ज्यादा चिंता का विषय है ! इसलिए मैं यह खुला पत्र लीख रहा हूँ !
27 फरवरी 2002 के बाद कीया गया गुजरात के दंगों में मुस्लिम महिलाओं के साथ विडियो रेकॉर्ड करके किये गये ! अत्याचारों की जांच-पड़ताल महाराष्ट्र की महिलाओं के जांच दल के तरफसे जो एस एन डी टी की व्हाईस चांसलर श्रीमती सुमा चिटणीस और समाजवादी नेत्री श्रीमती मृणाल गोरे के नेतृत्व में की गई है ! और बिल्किस बानो से लेकर गर्भवती महिलाओं के पेट को धारदार हथियार से फाड़कर उसके गर्भ को उस हथियार के नोक पर लेकर खुले आम जुलूस निकालने के ! उदाहरण मानवता के नाम पर कलंक करने वाले लोगों को ! मुस्लिम समुदाय के महिलाओं के साथ कितनी सहानुभूति है ? यह देखकर भी सेक्युलर मित्रों को इन सभी मुद्दों पर भुमिका लेने की गलतीयो को देखकर मुझे और हैरानी हो रही है !
क्योंकि गत आठ साल के केंद्र सरकार के सभी निर्णय, सिर्फ और सिर्फ अल्पसंख्यक समुदायों को डराने के लिए लिए गए हैं ! इस विषय में मेरे मन में कोई शक नहीं है ! कर्नाटक में पिछले साल के नवम्बर के अंत में हसन जिले के बेलुर गांव में एक चर्च के हमले से लेकर, बाद में पंजाब के पठानकोट मे ख्रीस्त के जन्मदिन के अवसर पर येशु ख्रीस्त की मूर्ति को तोड़ने की घटना, और अन्य जगहों पर चर्चो के उपर हमले, और वर्तमान हिजाब के खिलाफ चल रही मुहिम में दक्षिणी भारत में कुछ भी कर के हिंदुत्ववादीयो को अपनी जमीन बनाने की कोशिश का हिस्सा है !
और कर्नाटक में संघ को काफी कामयाबी हासिल हो रही है ! और उनका लक्ष्य तमिलनाडु, केरल तथा आंध्र, तेलंगाना राज्य में अपनी जगह बनाने का है ! और इसलिए केरल माडल की आलोचना करने वाले लोगों को संपूर्ण भारत में गुजरात माडल लागू करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं !
फिर शबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर देश के गृहमंत्री पद पर का आदमी भारत के सर्वोच्च न्यायालय को धमकी भरे अंदाज में कहता हैं कि “भविष्य में न्यायालय ने बहुसंख्यक लोगों के भावनाओं को देखते हुए निर्णय लेने चाहिए” !
और इसी कारण आयोध्या के मंदिर बनाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने भारत के संविधान की अनदेखी कर के और बाबरी मस्जिद विध्वंस का अपराधिक मामला कोर्ट में प्रलंबित रहने के बावजूद !(और सबसे हैरानी की बात उस मामले को बाद में आनन – फानन में जल्दी से रफा-दफा भी कर दिया है !) यह भारत की न्यायिक व्यवस्था के इतिहास का कलंकित अध्याय के रूप में दर्ज हो गया है ! कि सिर्फ बहुसंख्यक समुदाय के दबाव में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय लिया है ! और बिल्कुल इसके विपरीत कश्मीर से 370 को समाप्त करने के खिलाफ 80 से उपर मामले उसी न्यायालय में पडे हुए हैं ! और वही बात नागरिकता संशोधन बिल को चैलेंज वाले केसेस सालों से प्रलंबित पडे हुए हैं ! यह भी बहुसंख्यक समुदाय के दबाव के कारण ! और इस तरह की हमारी न्यायपालिका ने संपूर्ण विश्व में अपनी छवी एक बनाना कोर्ट के जैसे इतिहास के बदनाम मास्को ट्रायल्स के साथ बदनाम हो चुका है ! और एक भारतीय नागरिक के हैसियत से मेरी गर्दन अन्य देशों में जाने के बाद शर्म से निचे झुक जाती है ! पाकिस्तान या कुछ तानाशाही वाले अफ्रीकी देशों के साथ हमारे न्यायालय, मिडिया और अन्य संविधानिक संस्थाओं को गिना जाता है !
पिछले दो सालों के नागरिकता विरोधी बिल के आंदोलन को लेकर, या सालभर पहले ग्रेटा थनबर्ग के समर्थन में किसान आंदोलन पर ट्विटर प्रतिक्रिया के लिए ! बंगलूरू की 21 वर्षीय लड़की दिशा रवि को हिरासत में लेने की कृति ! सचमुच सरकार के दिमाग के दिवालिया पन की बात है !
कि अपने अन्नदाताओके भारत के इतिहास का सबसे बड़ा और सबसे लंबे समय से चले आंदोलन की अनदेखी कर के, खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे कहावत के जैसे इस तरह के हास्यास्पद कृति करि है ! और वह भी कौन-सा जुर्म ? भारत के खिलाफ सामाजिक,सांस्कृतिक ,और आर्थिक युद्ध करने के जुर्म में ! और उसी आंदोलन को देखते हुए पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा तथा मणिपुर के विधानसभा चुनावों के कारण ही प्रधानमंत्री ने प्रकाशपर्व के आड में देश के किसानों की माफी मांगने की और बिल को वापस लेने की घोषणा की ! और जिस तरह से आनन – फानन में बील पास किये थे ! उसी तरह से संपूर्ण विरोधी सदस्यों को सदन से निकाल – बाहर कर के बिल वापस लेने की नाटकीय घटनाक्रम संपूर्ण दुनिया ने देखा है ! मतलब वह संसद ना हो जैसे बीजेपी की अपनी जागीर हो !
गत आठ साल से जो सरकार खुद ही जिन – जिन गुनाहो के लिए जिम्मेदार है ! और वह यही आरोप एक इक्कीस साल की लड़की के मथ्थे मढकर मुक्त होना चाहती है ?
नोटबंदी से लेकर, रिजर्व बैंक से लेकर देश की महत्वपूर्ण बैंकों के कामकाज में सरकार ने खुद और रिजर्व बैंक के इतिहास में पहली बार हस्तक्षेप करने काम ! क्या आर्थिक विकास के लिए था ? या वह सीधा हमारे देश की सबसे महत्वपूर्ण बैंक के उपर, अपने पद का दुरुपयोग कर के डाका डालने का काम था ? और औने-पौने दामों में सरकारी उपक्रम बेचने की कृतियों को कौन-सी देशभक्ति का मामला माना जायेगा ? हमारे देश के जल, जंगल और जमीन को कार्पोरेट हाऊसेस को देना और सबसे संवेदनशील संरक्षण उद्योगों में विदेशी निवेश से भारत की सुरक्षा मजबूती का दावा करने वाले लोगों को कौन सा देशभक्ति का उदाहरण माना जायेगा ?
तथाकथित नोटबंदी से एक रूपये का भी काले धन के आने की बात तो दूर ! लेकिन कितने लोग मरे हैं ? और सबसे संगीन बात मझोले उद्योगों की कमर तोडने के गुनाहगार कौन है ? यह भी देश के सबसे बड़े आर्थिक,औद्योगिक अपराध में नहीं आता है ?
हर साल दो करोड़ रोजगारों को देने का वादा किया था ! और उल्टा नोटबंदी की वजहों से ही लाखों लोगों को बेरोजगार करने के लिए विशेष रूप से कौन अपराधी हैं ? और उनके आकडे लाख छुपाने की कोशिश की है पर कुछ संस्थाओं के सर्वेक्षण के अनुसार चार करोड़ से अधिक लोगों को अपने रोजगारों से वंचित होना पडा है ! क्या यह मानव जाति के इतिहास की त्रासदी भी देशभक्ति में गिनी जायेगी ? और बीस – इक्कीस साल की बच्ची को कौन-कौन से अपराधों के अंतर्गत पचहत्तर दिन से अधिक समय तक जेल में बंद कर दिया ! और दुसरी तरफ मनकी बात में बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान की घोषणा करने के, पाखंड करने वाले को क्या कहना चाहेंगे ?
और सबसे अहम बात देश की सामाजिक एकता के लिए खतरे की ! जिस रजनितिक दलने सिर्फ और सिर्फ देश के सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने का काम, करने के लिए विशेष रूप से ! अपने आप को गत तीस साल से भी ज्यादा समय से ! तथाकथित मंदिर-मस्जिद की लडाई शुरू करते हुए ! आज भारत की सत्ता तक पहुंचने का काम किया है ! और वह एक इक्कीस साल की लड़की के मथ्थे मढकर मुक्त होना चाहती है ?
आजसे दो सप्ताह बाद गुजरात के दंगे को बीस साल होने जा रहे हैं ! और उस समय वर्तमान प्रधानमंत्री गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में कौन-सा सामाजिक ताने-बाने को बचाने का काम किया है ? अपनी छप्पन इंची छाती का इस्तेमाल कितने बेगुनाहो की जान लेकर किया है ?
यह बात जस्टिस कृष्णा अय्यर के नेतृत्व में क्राईम अगेंस्ट हुमानीटी नामसे प्रकाशित जाँच रिपोर्ट से संपूर्ण विश्व की जानकारी मे है ! और अलगसे राणा आयुब, आर बी श्रीकुमार, सिद्धार्थ वरदराजन, मनोज मित्ता, लेफ्टनंट जनरल जमिरूद्दिन शाह जैसे लोगों ने लिखी हुई किताबों के कारण ! अमेरिका से लेकर विश्व के कितने देशोकी सरकारने ? अपने अपने देश में इन्हें आने के लिए विसा पर पाबंदी लगा दी थी ? यह बात सभी को मालूम है ! अमेरिका के विसा बंदी के ऑर्डर पर वर्तमान राष्ट्रपति जब उपराष्ट्रपति पद पर रहे हैं ! तब उनके ही हस्ताक्षर से वह पाबंदी लगा दी थी !
आठ साल से गोहत्या से लेकर लव-जेहाद तथाकथित नागरिकता कानून को लागू करने की कृति और अब हिजाब के पाबंदी लगाने के लिए चल रही कोशिश ! देश की एकता-अखंडता के लिए बहुत उपयोगी साबित हो रही है ?
शेकडो की संख्या में लोगों को तथाकथित गोमांस के संशय के आधार पर भारत में इसके पहले कभी भी नहीं हुई है ! ऐसी माॅबलिंचिग की घटनाओं को अंजाम देने वाले लोगों के उपर अबतक क्या कार्रवाई हो रही है ? और अब लव-जेहाद और हिजाब की आडमे आप के दलके कितने राज्य सरकारों ने भारत के संविधान के विरुद्ध जाकर कानून बनाने की बात कौनसे सामाजिक सद्भाव के लिए मददगार साबित हो रहे हैं ? उल्टा आयें दिन नवपरिणीत जोडोको सताने और कहा कहा तो मारे जाने की खबर आ रही है ! और लगभग सभी कोर्ट लव-जेहाद शब्द की आडमे आप के दलके सरकारों को फटकारा है ! लेकिन मुझे याद नहीं है कि आप ने या केंद्र सरकार के गृहमंत्री ने इस पर किसी सरकार को टोका है !
और उन अपराधीओ के उपर क्या कार्रवाई हो रही है ? और इससे भारत जैसे विभिन्न जातियों और संस्कृति के देश में इस तरह के सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने का काम करने वाले लोगों के उपर अबतक क्या कार्रवाई हो रही है ?
उल्टा विश्वविद्यालयों से लेकर देश की महत्वपूर्ण संस्थाओं मे आजसे सौ साल पहले के जर्मनी की तर्ज पर संघी गुंडे पुलिसके भेस में गेस्टापो की तरह जेएनयू,जामिया,अलिगढ,विश्वभारती शांतिनिकेतन,हैदराबाद की सेंट्रल यूनिवर्सिटी से लेकर मद्रास आई आईटी मे जो हिंसा किये है ! जिसमें रोहित वेमुला से लेकर नजीब जैसे प्रतिभाशाली छात्रों की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है ? और उनके ऊपर अबतक क्या कार्रवाई हुई है ?
प्रधानमंत्री जी को मालूम होना चाहिए कि ! आज की तारीख में जानकारी हासिल करने के लिए किसी एक लडकी को जिम्मेदार ठहराने जैसी बचकानापन की हरकतों से सरकार ने बाज आना चाहिए ! क्योंकी कुछ चंद क्लासिफाईड बातोको छोड़ कर कुछ भी गोपनीय दस्तावेज बचे नहीं है ! जुलियस असांज नाम के अमेरिकी डिजिटल मीडिया के विशेषज्ञ ने जगजाहीर कर दिया है ! कि आज की तारीख में विश्व के सभी देशों के राष्ट्र्प्रमुख अमेरिकी सर्विलांस एजेंसी के अंतर्गत बारह महीनों चौबीस घंटों निगरानी में हैं ! और दुसरी तरफ दुनिया की सबसे खतरनाक इस्राइली खुफिया एजेंसी मोसाद की मदद से ! पेगासस के द्वारा भारत के कितने लोगो को सर्विलांस करने की, और पर्सनल डाटा ट्रांसफर करने की कृतियों के बारे में भारत की सबसे बड़ी संसद में जानकारी देने से क्यों मुकर रहे हो ?
और सबसे हैरानी की बात ! नरेंद्र मोदी जी ने भारत के इतिहास में पहली बार थाइलैंड की प्रायवेट एजेंसी को भाड़े पर लेकर ! 2007 मे ही गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में सेफ्रोन डिजिटल आर्मी ! बनाने की शुरुआत की है ! और अब वह भी एक लाख से भी अधिक संख्या में ! जिसे स्वाति चतुर्वेदी ने अपने” I AM A TROLL” नाम की किताब मे सेफ्रोन डिजिटल आर्मी शब्द का इस्तेमाल करते हुए इस डिजिटल आर्मी के द्वारा, विरोधीदल के नेताओ से लेकर, जो पत्रकार स्वतंत्र रूप से काम करते हुए, वर्तमान सरकार की गलतीयो को बताने का काम कर रहे हैं ! ऐसे राजदिप सरदेसाई,बरखा दत्त खुद स्वाति चतुर्वेदी और अन्य प्रमुख पत्रकारों में सबमें रवीशकुमार ,निखिल वागले, अभिसार शर्मा, पूण्य प्रसून वाजपेयी जैसे लोगों को इस सेफ्रोन डिजिटल आर्मी के द्वारा कितने गंदे शब्दों में ? और पोर्नोग्राफिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए ! किस तरह से आये दिन ट्रोलींग का सामना करना पड़ता है ? और सबसे हैरानी की बात ! इन ट्रोलींग करने वाले लोगों को खुद वर्तमान प्रधानमंत्री फाॅलो करते हैं ! और इनमें से कुछ लोगों को प्रधानमंत्री आवास पर बुलाकर इनके काम करने के लिए उन्हें सम्मानित किया गया है ! और यह गतिविधि को चलाने के लिए अरविंद गुप्ता नाम के संघ स्वयंसेवक को जिम्मेदारी सौंपी गई है ! यह बात स्वाति चतुर्वेदी ने अपने आई एम ए ट्रोल नाम की किताब मे फोटो और उनके ट्रोल करने के संदेश के स्केनिंग करके, उदाहरण के साथ दिया है !
और एक इक्कीस साल की लड़की के पीछे भारत की सुरक्षा से लेकर सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने का काम करने के ! और आर्थिक गुनाहगारी के संगीन आरोप लगाकर उसे गिरफ्तार करती है ? कितनी हास्यास्पद बात है ?
और जिस देश से ग्रेटा थूनबर्ग आती है ! उसके देश की जनसंख्या से भी ज्यादा लोगों के आंदोलन के उपर ! टिप्पणी करना ऐसा कौनसे गुनाहगार कानूनों मे आता है ? आप बलूचिस्तान से लेकर दुनिया भर की बातोपर टिप्पणियाँ करते रहते हुए, तब आप लोगों को दुसरे देश के अंतर्गत मामलो में दखलंदाजी नहीं लगती है ?
मैंने खुद डोनाल्ड ट्रंप के, और उसके भी पहले की विएतनाम युद्ध से लेकर, इराक पर 2003 के अमेरिका के आक्रमण के खिलाफ तथा फिलीस्तीन व इजरायल के बीच चल रही लड़ाई पर ! शेकडो बार लिखा बोला है ! और आज भी इसीस तथा तालिबान और किसी भी तरह की कट्टरपंथी तत्वों को पुष्ट करने वाले लोगों की आलोचना करते रहता हूँ ! क्योंकि मैंने खुद गाझा पट्टी, लेबनान, इराक – इराण तथा सिरिया मे की गई बर्बादी को खुद दो – दो बार और जमीन के रास्ते पार करते हुए एक – एक मुल्क में हप्ते – दस दिनों के सफर के दौरान अपनी आंखों से देखा है कि बाबीलोन और मेसोपोटेमिया के सांस्कृतिक धरोहर वाले जगह को आज खंडहरों में तब्दील कर दिया है !
और आगे भी किसी भी किसी भी प्रकार के और कीसी भी देश के तरफसे कीये गया ! अन्याय के खिलाफ लिखते – बोलते हुए अपने अभिव्यक्तियों को अभिव्यक्त करने की कसम खा रखी है ! और मरते दम तक उसे निभाने की कोशिश करूंगा ! क्योंकि मेरे जीवन की सबसे आदर्श एक मराठी कविता है ! “अन्याय घडो शेजारी, की दुनियेच्या बाजारी, धावून तेथेही जाऊ, स्वातंत्र्य मंत्र हा गाऊ !” मतलब अन्याय हमारे पडौस में हो या विश्व के किसी भी कोने में हम दौड़कर वहां जायेंगे और स्वातंत्र्य मंत्र गायेंगे ! इसलिए आप सभी साथियों को सिर्फ संघ के ट्रॅप से सावधान करने के लिए ही यह खुला पत्र लिखा है ! कृपया आप मेरे इस मुक्त चिंतन को अन्यथा नहीं लेंगे इस उम्मीद के साथ इसे समाप्त कर रहा हूँ !
आप सभी का साथी
डॉ सुरेश खैरनार, 16 फरवरी 2022, नागपुर

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