हैदराबाद के 100 सालों से पहलेसे चल रहे ‘सियासत’ उर्दू अखबार के व्यवस्थापकीय संपादक झहिरूद्दिन अली खान साहब की याद में !
साथियों अभि – अभि हैदराबाद के सियासत से वरिष्ठ पत्रकार मुब्बासिर खुर्रम का फोन था ! कि कल क्रांतिकारी तेलगू लोकगीतकार और गायक गदर के अत्यंयात्रा में झहिरूद्दिन अलि खान साहब उम्र 63, ‘सियासत’ उर्दू अखबार के व्यवस्थापकीय संपादक, हृदयाघात के कारण जगह पर ही मृत्यु हो गई ! वह गदर के शव के साथ ही ट्रक में बैठ कर आए थे ! और स्मशान भूमी के गेटपर ही गिर पडे ! और अस्पताल में ले गए तो मृत घोषित कर दिया गया ! अभितक मैं आधा दर्जन मृत्यु लेख इसी महीने और पिछले महीने में मिलाकर लिख चुका हूँ !
और कल गदर के उपर लिखीं पोस्ट में मैंने उल्लेख भी किया था कि ” मेरी और गदर की भेंट झहिरूद्दिन अलि खान साहब के सियासत के हैदराबाद स्थित दफ्तर में पंद्रह साल पहले हूई थी !” यह सब कुछ लिखने के बाद मुझे सियासत से वरिष्ठ पत्रकार मुब्बासिर खुर्रम का फोन आया ! और उसने कहा कि “झहिरूद्दिन अलि खान साहब की कल गदर के अत्यंयात्रा में स्मशान भूमी के प्रवेश द्वार पर ही हृदयाघात से मृत्यु हो गई !”
मै फरवरी प्रथम सप्ताह में हैदराबाद मधू लिमये और प्रोफेसर मधू दंडवतेजी की जन्मशताब्दी के उपलक्ष्य में कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गया था ! और कार्यक्रम के बाद श्याम से रात में मेरी नागपुर की ट्रेन के समय तक मुझे उन्होंने सियासत में मेरा इंटरव्यू करने के लिए विशेष रूप से दोपहर के कार्यक्रम से पिकअप किया ! और दो घंटों से अधिक समय मेरा ऑडियो – विडियो, इंटरव्यू रेकॉर्ड किया ! लेकिन मै देख रहा था कि पहले जैसे खुशमिजाज तरोताजा झहिरूद्दिन अलि खान साहब नही दिखाई दे रहे हैं ! और वह उतने में ही अस्पताल से छुट्टी लेकर आए हुए थे !
और रात का डिनर टिपिकल हैदराबादी पथ्थर गोश और रुमाली रोटी के साथ खिलाकर ! मुझे स्टेशन पर मुब्बासिर को पहुंचाने के लिए कहा ! और मै गाडी में बैठने के पहले खुद ही उन्हें गले लगाकर कहा कि “अपनी तबीयत का ख्याल रखीए और अगली मुलाकात और फुर्सत से करेंगे” इस बात के साथ मै विदा हुआ ! मुझे कहा मालूम की यह हमारी आखिरी मुलाकात होगी !
झहिरूद्दिन अलि खान साहब शतप्रतिशत सेक्युलर और ओयेसी जैसे कम्यूनल नेता के खिलाफ थे ! गदर जैसे वामपंथी के अंत्यसंस्कार में शामिल होना इससे ज्यादा प्रमाण और क्या हो सकता है ? मेरी और उनकी पहली मुलाकात 2007-8 में सियासत में एक फॅसिस्ट विरोधी दो दिन के कार्यक्रम में हुई थी ! उसके अलावा उन्होंने मुझे सियासत के स्कूल ऑफ जर्नलिज्म के विद्यार्थीयो का एक वर्कशॉप लेने की गुजारिश की ! और यह भी कहा कि “आप जब भी हैदराबाद आए हमारे जर्नलिस्ट लोगों को मार्गदर्शन करने के लिए आते रहिए !” और उन्होंने कहा कि “आप हमारे सियासत के लिए नियमित लिखिए ! और अब हमारा रिश्ता हमेशा के लिए हो गया है !” नियमित तो नही पर कुछ लिखा है ! और उन्होंने उसे छापा भी है !
फिर उसके बाद जब भी हैदराबाद गया उन्हें मिले बगैर या सियासत में कोई कार्यक्रम किए बगैर कभी भी वापस आने नही दिया है ! फरवरी के पहले कुछ सालों की बात है (2015-16) ! जब मैं हैदराबाद पहुचा तो ईद का समय था ! और उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता और आईएसआई की प्रखर विरोधी !
और भारत पाकिस्तान पीपुल्स फोरम की कर्ताधर्ताओं में से एक अस्मा जहाँगीर भी आई हुई थी ! तो उन्होंने कहा कि आज आपको दावत में आना है ! और होटल गोलकुंडा में दावत थी ! और मोहतरमा अस्मा जहाँगीर ने मुझे गले लगाते हुए कहा कि “सुरेश भाई भारत का पाकिस्तान मत होने दिजीए !” तो मैंने कहा कि “भारत का वर्तमान निजाम शतप्रतिशत भारत का पाकिस्तान बनाने के लिए तूला हुआ है ! और पाकिस्तान वजूद में नही होता तो यह दल पैदा ही नहीं हुआ होता ! यह तो पाकिस्तान और मुसलमानों के खिलाफ जहर उगल कर ही फलफूल रहा है ! जैसे नब्बे साल पहले जर्मनी में हिटलर ने यहुदीयो के खिलाफ नफरत की राजनीति शुरू की थी ! यह उसिकी भारतीय एडिशन है ! यहाँ पर मुस्लिम समुदाय इनके नफरत का पात्र है ! अन्यथा इसकी कोई औकात नही थी कि भारत जैसे बहुआयामी देश में यह सत्ताधारी बनेंगे ! ” झहिरूद्दिन अलि खान साहब ने मेरी बात का समर्थन करते हुए कहा कि “डॉ. सुरेश खैरनार साहब शतप्रतिशत बजा फर्मा रहे हैं ! ”
झहिरूद्दिन अलि खान साहब खानदानी हैदराबादी परीवार से थे ! लेकिन उन्हें जब भी देखा हूँ, तब बहुत ही विनम्र और प्यार से ही बातें करते हुए देखा हूँ ! बहुत ही नफासत से पेश आते थे ! फॉसिस्ट विरोधी संमेलन के समय सियासत में रात को दावत दी गई थी ! और मै अपनी प्लेट में कुछ लेकर खां रहा था तो झहिरूद्दिन अलि खान साहब मेरे पास आए और कहने लगे कि “फलानी डिश आपके थाली में नही दिखाई दे रही” है !” तो मैंने कहा कि क्या खासियत है ?”तो उन्होंने कहा कि वह आप सभी लोगों के लिए मैंने खुद पकाई है ! और खुद उस बर्तन से मुझे परोसने लगे !
भारत में वर्तमान समय में चल रही सांप्रदायिक राजनीति के घोर विरोधी थे ! और इसिलिये वह खुद हैदराबाद के होने के बावजूद ओवेसी की राजनीति को कभी भी पसंद नहीं करते थे ! और वहीं बात बीजेपी के बारे में भी मेरे ख्याल से वह तेलगू देसम के साथ थे ! वैसे ही भारत के सबसे अधिक सरक्यूलेशन वाले उर्दू अखबार के संपादक और मालिक भी थे लेकिन अपने पत्रकारिता के क्षेत्र में कोई समझौता नहीं किया ! बेखटके से हमारे जैसे खुलकर बोलने लिखने वाले लोगों की रचनाओं को सियासत में जगह देते थे ! किसी भी सरकार की परवाह नहीं की ! आज पत्रकारिता के इतिहास में कभी नहीं इतना संक्रमण का दौर जारी है लेकिन कुछ अपवाद में एक नाम झहिरूद्दिन अलि खान साहब का है ! जो निर्भय होकर अपने अखबार को चलाया है !
अब हैदराबाद जाने पर हमेशा ही उनकी कमी अखरेगी ! सियासत और झहिरूद्दिन अलि खान साहब के परिवार के सभी सदस्यों के दुःख में मै भी शामिल हूँ ! उन्हें भावभीनी श्रद्धांजली अर्पित करते हुए मेरी पोस्ट समाप्त करता हूँ !
डॉ. सुरेश खैरनार, 8 अगस्त 2023, नागपुर