थोड़ी मेहनत, कुछ जज्बा, कर लिया टॉरगेट अचिव

भोपाल। साथ काम करने वाले तेहसीलदार और नायब तेहसीलदार बताते हैं कि उन्हें दो साल का समय हो गया है सिटी सर्किल में काम करते हुए। इस दौरान वे करीब 7 एसडीएम बदलते देख चुके। लेकिन इस बार जो अधिकारी उनके साथ काम के लिए जुटे हैं, वे लंबी पारी खेलने वाले हैं। एक ही सर्किल में टिके रहने वाले बिरले अधिकारियों में इनका नाम शामिल किया जा सकता है। शहर के आठ एसडीएम में से अपने कामों के तौर पर मिलने वाली रैंकिंग में सी केटेगिरी पाने वाले अफसर जमील खान के नाम एक माह में सबसे ज्यादा रिकवरी, सबसे अधिक लंबित प्रकरणों का निराकरण और शिकायतों को शून्य पर पहुंचाने की उपलब्धि जुड़ गई है।

जानकारी के मुताबिक दिसंबर माह के कामों के लिहाज से की गई रैंकिंग में सिटी सर्किल एसडीएम जमील खान ने करीब साढ़े चार करोड़ रुपए की रिकवरी का रिकार्ड खड़ा किया है। इस अवधि में उनके सर्किल से संबंधित करीब 300 शिकायतें लंबित थीं, जो उनके प्रयासों से शून्य पर पहुंच गई हैं। इसी तरह लंबित मामलों के निराकरण को लेकर भी जमील खान अपने साथी एसडीएम से सबसे आगे पहुंचे हैं। गौरतलब है कि भोपाल जिले के आठ एसडीएम की उनके कामों के लिहाज से मार्किंग की गई है। जिसमें जिले के 6 एसडीएम के हिस्से डी केटेगिरी आई है, जबकि दो एसडीएम को सी केटेगिरी नसीब हुई है। इस दौरान किसी भी अधिकारी का काम ए केटेगिरी के मुताबिक नहीं पाया गया है।
मुश्किल हालात में बेहतर प्रदर्शन

सिटी सर्किल एसडीएम जमील खान ने दिसंबर माह में उस समय अपना बेहतर प्रदर्शन दिया है, जब उनके पास अपने मूल विभाग के अलावा मप्र वक्फ बोर्ड के सीइओ की जिम्मेदारी भी है। बोर्ड में आने वाले प्रदेशभर के कामों की भरमार और सारादिन की भागदौड़ के बीच जमील खान ने अपने लक्ष्य को हासिल किया है। उन्हें राजस्व वसूली, लंबित प्रकरणों के निपटान और सीएम हेल्प लाइन के मामलों के निष्पादन को लेकर 60 अंकों की वसूली हुई है। जबकि इसी जिले के कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपने काम से माइनस मार्किंग हासिल की है। गौरतलब है कि एसडीएम खान ने लॉक डाउन के दौरान भी प्रशासन और जनता के बीच सेतू के रूप में काम करने की महारत हासिल की थी। इस दौरान उन्होंने अपनी सरकारी ड्यूटी से हटकर भी जनसेवा में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था।
श्रेय अपने साथियों को

एसडीएम जमील खान अपनी उपलब्धियों का श्रेय अपने साथी अफसरों को देते हैं। वे कहते हैं कि थोड़े जोश, थोड़ी मेहनत की जरूरत होती है, बाकी काम आसानी से होते जाते हैं। उनका कहना है कि लक्ष्य प्राप्ति में उनके साथी तेहसीलदार देवेन्द्र चौधरी और नायब तेहसीलदार ललित त्रिपाठी की खास मेहनत है। जबकि सीएम हेल्पलाइन के मामले निपटाने के लिए शालिनी पाली की महत्वपूर्ण भूमिका है।

   खान अशु

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