कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ गैंगरेप के बाद उसकी हत्या के मामले में चल रही सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य से बाहर पठानकोट में ट्रांसफर कर दिया है, लेकिन इस मामले की सीबीआई जांच करवाने से इनकार कर दिया गया है. मामले की सुनवाई को ट्रांसफर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘फेयर (Fair) और फियर (Fear) एक साथ अस्तित्व में नहीं रह सकते’, और फेयर ट्रायल का मतलब स्पीडी ट्रायल भी है, इसलिए ट्रायल ‘डे-टू-डे’, यानी रोज़ाना होगा, जिसमें सुनवाई को टाला नहीं जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, मामले का ट्रायल ‘इन-कैमरा’ होगा, और सर्वोच्च न्यायालय ट्रायल की निगरानी करेगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, सभी बयानों का अंग्रेज़ी में अनुवाद किया जाएगा, तथा ट्रायल रणबीर पीनल कोड के आधार पर चलेगा.
कोर्ट ने जम्मू एवं कश्मीर सरकार को केस के लिए स्पेशल प्रॉसीक्यूटर नियुक्त करने का भी आदेश दिया. मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी, जिसके लिए राज्य सरकार को आदेश दिया गया है कि वह गवाहों के बयान दर्ज कराने के लिए उन्हें पठानकोट ले जाएगी और उनका खर्च वहन करेगी. कोर्ट के आदेश के मुताबिक, आरोपियों के साथ भी वैसा ही व्यवहार किया जाना चाहिए.
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टिप्पणियां जम्मू कश्मीर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मामले का राज्य से बाहर करने का विरोध किया. सरकार ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में अच्छा काम किया है और वो पीड़ित को फेयर ट्रायल दिलाएंगे. सरकार ने कहा कि अगर इस मामले को राज्य में ही ट्रांसफर किया जा सकता है. सरकार ने केस को कठुआ की जगह राज्य के दूसरे हिस्से में ट्रांसफर के लिए चार विकल्प दिए, जम्मू, उधमसिंह नगर, रामबन और सांभा. जिसपर एक याचिकाकर्ता ने कहा कि रामबन में अगर मामले का ट्रांसफर किया जाता है तो वो सहमत है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सेशन जज को कहेंगे कि वो खुद ही मामले की सुनवाई करें.