ऐसा इतिहास में पहली बार होने जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट एक जज के खिलाफ ही मामले की सुनवाई करेगा. शीर्ष अदालत ने वर्तमान और रिटायर्ड जजों के भ्रष्टाचार के मामलों में स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई शुरू की है. इस कार्रवाई में पहला नाम है हाईकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन का. कर्णन के खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला है. उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस समेत कई जजों पर गंभीर आरोप लगाए थे.
कर्णन ने 2015 में मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय के कौल के खिलाफ अवमानना का केस करने की धमकी दी थी. कर्णन ने कौल पर काम न करने का आरोप लगाया था और दूसरे जज की शैक्षिक योग्यता पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि उन्हें जाति की वजह से भेदभाव का शिकार बनाया जा रहा है और मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस उनके दलित होने के कारण उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं. जस्टिस कर्णन ने प्रधानमंत्री को भी चिट्ठी लिखकर न्यायपालिका में भारी भ्रष्टाचार हाने की बात कही थी और इसके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. 23 जनवरी को लिखी गई उस चिट्ठी में उन्होंने कथित रूप से 20 भ्रष्टाचारी जजों की लिस्ट भी दी थी.
मामले की गंभीरता को देखते हुए चीफ जस्टिस ने तत्काल इसमें एक्शन लिया और सात जजों की विशेष बेंच गठित कर दी. यह बेंच अब मामले की सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को होने वाली इस सुनवाई में चीफ जस्टिस के अलावा छह अन्य सीनियर जज, जस्टिस दीपक मिसरा, जे. चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन बी लोकुर, पीसी घोसे और कुरियन जोसेफ शामिल हैं.