मुंबई के दिवा नामके उपनगर में रहने वाली, एक बीस – बाईस साल की बच्ची !जिसका नाम ईशरत जहाँ था ! अपने पिता के मौत के बाद, अपने घर के सभी भाई – बहनों का, अपनी माँ के साथ ट्यूशन क्लासेस चला कर ! बहुत ही मुश्किल से अपने परिवार का, भरन – पोषण करने की जद्दोजहद कर रही थी ! और उसे रात के अंधेरे में, 14 जून 2004 को अहमदाबाद के बाहर, मुंबई – अहमदाबाद हायवे पर ! तथाकथित एन्काऊंटर में, मारे जाने की बात ! गुजरात के एटीएस के तरफसे ! तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री. नरेंद्र मोदीजी को मारने के लिए, फिदायीन बनकर आए थे ! यह खबर संपूर्ण देश में जबरदस्त तेजी से फैलाने का काम किया है ! जिसमें कुछ तथाकथित धर्मनिरपेक्षता का दावा करने वाले लोगों को भी सही लगता था ! लेकिन इशरत की माँ के अथक प्रयासों से, ईशरत के एन्काऊंटर कि असलियत, गुजरात के हायकोर्ट से लेकर, देश की सर्वोच्च न्यायालय ने भी एस आई टी की नियुक्ति करने के बाद ! यह एनकाउंटर फर्जी निकला है !

हालांकि नरेंद्र मोदीजी गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए ! दर्जनों लोगों को इसी तरह के आरोप में गिरफ्तार किया है ! या एनकाउंटर में मारे जाने की बातें हैं ! जिस में आजसे अठारह साल पहलेका, ईशरत जहाँ के मामले को, उसके परिवार के अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप ! वह खुद कभी भी अहमदाबाद नही गई थी ! क्योंकि गुजरात एटीएस ने जब कहा कि ! टाटा इंडिका गाडी नंबर सो अॅण्ड सो से ! मुंबई अहमदाबाद हायवे से आने की बात को, तत्कालीन ठाणे के पुलिस कमिश्नर, सत्यपाल सिंह “ने कहा कि ऐसी कोई भी गाड़ी ठाणे से होते हुए नही गई है !” हालांकि बाद में सत्यपाल सिंग, इस्तीफा देकर 2013 में बीजेपी के बागपत के उम्मीदवार बने थे ! और अजित सिंह को हराकर, लोकसभा में चुनकर गए थे ! और बाद में मंत्री भी बनें ! यह बात दिगर है ! लेकिन सत्यपाल सिंहने, गुजरात एटीएस के दावे को खारिज कर दिया था ! यह भी वास्तव है ! और स्वयंसेवी संस्थाओं के जांच में भी यह बात सामने आयी है ! और बाद में गुजरात के हायकोर्ट, तथा देश के सर्वोच्च न्यायालय ने, सतीश वर्मा के नेतृत्व वाली एसआईटी के सामने भी यह एंनकाऊंटर फर्जी है यह स्पष्ट है !

संजीव भट्ट ने कहा “कि 27 फरवरी 2002 की गांधी नगर में श्याम को हुईं मंत्री मंडल की बैठक में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी ने कल से गुजरात में जो भी कुछ होगा उसे खुली छूट देना है !” यह बात कहने वाले अफसर तीन साल से ज्यादा समय हो रहा जेल में डाल दिया है !


तत्कालीन क्राईम ब्रांच के डी आई जी, जो सरकार ने वरिष्ठता के बावजूद, प्रमोशन नहीं किया ! तो कैट में जाकर प्रमोशन से गुजरात पुलिस के मुख्य बने (डीजीपी) श्री. आर. बी. श्रीकुमार जैसे जांबाज अफसर ने ‘पडदेके पिछे का गुजरात’ नाम से किताब में 27 फरवरी 2002 के बाद और पहले की, गुजरात में घटित घटनाओं का पर्दाफाश किया है ! और वर्तमान प्रधानमंत्री, और केंद्र के गृहमंत्री के खिलाफ कोर्ट में केस दर्ज करके, खुद और अपनी बेटी को लेकर पैरवी करने वाले ! अफसर को गुलमर्ग सोसाइटी के केस में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट मिलने के तुरंत बाद ! तिस्ता सेटलवाड के साथ ही ! जेल में बंद कर दिए हैं ! और वह एसआईटी के क्लीन चिट देने वाले अफसर आज साईप्रस के राजदूत पदपर विराजमान है ! जैसे राममंदिर बनाने के लिए फैसला सुनाने वाले तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश आज राज्यसभा में राष्ट्रपति द्वारा, मनोनीत किए गए हैं !


देश के वर्तमान गृहमंत्री के उपर हत्या के मामले ! कोर्ट में सुनवाई जारी रहते हुए वे देश की कानून व्यवस्था बनाए रखने के सब से महत्वपूर्ण पदपर बैठे हुए हैं ! और प्रधानमंत्री को लाख तथाकथित क्लिनचिट मिल गई होगी ! लेकिन लेफ्टिनेंट जनरल जमीरूद्दीन शाह ने गुजरात दंगों के समय सेना को तिन दिनों तक लॉजिस्टिक नही दिया था ! और तीन दिन दंगों में अहमदाबाद और गुजरात का कुछ हिस्सा बुरी तरह से प्रभावित रहते हुए सेना को अहमदाबाद एअरपोर्ट से बाहर नहीं निकलने देना यह उनके खुद के हाथ से लिखि हुई किताब के ‘Sarkari Mussalman’ के चॅप्टर 7 ‘Operation Parakram and Operation Aman’ पन्ना नंबर 114 से 133 कुल मिलाकर बीस पन्नौ में उन्होंने अपने आपबीती में जो लिखा है ! वह सब कौन सी बात का प्रमाण बताता है ?


और आज श्री सतीश चंद्र वर्मा जिनकी दस दिनों बाद, भारतीय पुलिस सेवा समाप्त होने वाली थी ! तो उन्हें बर्खास्त कर दिया गया है ! शायद सतीश वर्मा ने वर्तमान सरकार को क्लिनचिट दिया होता तो ? जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने एक सप्ताह के लिये स्टे दिया है ! वर्मा जी का एक ही गुनाह है कि ! उन्होंने 15 जून 2004 में गुजरात पुलिस के अनुसार, अहमदाबाद के हायवे पर हुए इशरत जहाँ, भारत की पहली महिला फिदायीन और उसके साथ के और तीन युवाओं को ! लष्करे तैयबा के तरफसे तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री. नरेंद्र मोदीजी को मारने के लिए आऐ थे ! और अन्य तीन, झैशान जोहर, आमजद अली और जावेद शेख नाम के थे ! जिन्हें गुजरात पुलिस के जी एल सिंघल और तीन अन्य अफसरों के साथ ! अहमदाबाद मुंबई हायवे पर, अहमदाबाद शहर के बाहर रात के तीन बजे के आसपास, मुठभेड़ में मारे गए ! ऐसा मामला बनाया गया था !


लेकिन इस एनकाउंटर के केस में, इशरतजहा के परिवार वालों ने, गुजरात हाई कोर्ट में पिटीशन दायर किया ! और इस घटना की जांच की मांग की ! और गुजरात हाई कोर्ट ने, एक जुडिशियल कमेटी का गठन किया ! और 2008 में रिटायर जज तमांग के नेतृत्व वाली कमेटी ने कहा “कि इशरतजहा एंनकाऊंटर फेक है और इसके तफ़सील से जांच की जरूरत बताते हुए!” अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की ! अप्रेल 2010 से अक्टूबर 2011 तक जांच करने की जिम्मेदारी एसआईटी के टीम का नेतृत्व श्री. सतीश वर्मा नॉर्थ-ईस्टर्न पॉवर ग्रिड कार्पोरेशन के मुख्य सतर्कता अधिकारी रहते हुए ! उन्हें इस घटना की जांच करने की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई थी ! और उन्होंने भी फर्जी एनकाउंटर हुआ था, ऐसा रिपोर्ट दिया है ! काश वर्माजी ने क्लिनचिट दे दी होती ! तो वह उसी पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन के आफ्टर रिटायर्मेंट चेअरमन पदपर बहाल हो गए होते ! लेकिन जस्टिस लोया, संजीव भट्ट, आर बी श्रीकुमार जैसे जांबाज अफसरों में सतीश वर्मा का भी नाम शामिल हो गया है ! हमारे देश में 1975 के समय में आपातकाल में भी श्रीमती इंदिरा गांधी के व्यक्तिगत स्टॉफ में शामिल धर से लेकर बिशन टंडन जैसे अफसरों ने भी अपने जमीर के अनुसार काम किया है और अपने संस्मरणात्मक लेखन में उन्होंने अपने उस समय के अनुभवों का उल्लेख करते हुए लिखा है ! इसी तरह गुजरात दंगों के पहले और बाद में भी गुजरात में वर्तमान समय में भारत के प्रधानमंत्री श्री. नरेंद्र मोदीजी के मुख्यमंत्री के रहते हुए और अमित शाह भले ही आज भारत की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने वाले दिख रहे हैं ! लेकिन इन्होंने गुजरात में किस तरह से काम किया है यह बात आज जाहीर रुप से सिद्धार्थ वरदराजन, जस्टिस कृष्ण अय्यर कमिटी, आर बी श्रीकुमार, मनोज मिता, राना आयुब, आशिष खेतान, निरंजन टकले, तिस्ता सेटलवाड, शबनम हाश्मी, एडवोकेट मुकुल सिन्हा, दिगंत ओझा, चुन्नीभाई वैद्य, नारायण देसाई उनके सुपुत्र नचिकेत देसाई, प्रोफेसर जूझर बंदुकवाला जैसे शेकडो लोगों ने जबरदस्त बहादुरी से नरेंद्र मोदी के मुख्य रूप से गोधरा कांड के बाद निभाई गई भूमिका पर सवाल उठाए हैं ! जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने “राजधर्म का पालन नहीं किया ” बिल्कुल सही कहा है ! क्योंकि नरेंद्र मोदीजी ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण समारोह में कहा कि “मै नरेंद्र दामोदरदास मोदी आजसे गुजरात के मुख्यमंत्री पदपर विराजमान होते हुए यह शपथ लेता हूं कि मैं गुजरात में रहने वाले हर नागरिक का बगैर कोई भेदभाव किए उनकी जानमाल की रक्षा करने की कसम खाता हूँ ! ” इस शपथ का उन्होंने कितना पालन किया यह भी मै पाठकों के विवेक पर छोड़ दें रहा हूँ !

Indian rioters raise swords and weapons in Ahmedabad, the main city in
the western Indian state of Gujarat March 1, 2002. Troops arrived in
India’s riot-torn western state on Friday to crush religious violence
that has killed more than 190 people in two days, the worst communal
bloodshed in a decade. REUTERS/Arko Datta
JSG/CP – RTR20YT


गुजरात में नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री रहते समय, और भी कई एनकाऊंटर उनकी हत्या करने वाले थे ! इस संशय पर किऐ गए थे ! जिसे डी जी वंजारा नाम के तत्कालीन गुजरात एटीएस प्रमुख ! जो सोहराबुद्दीन, उसकी पत्नी कौसर बी और तुलसी प्रजापति को अहमदाबाद के बाहर, किसी फार्म हाउस में ले जाकर, एनकाउंटर करने के अपराध में, गिरफ्तार किए गए थे ! और उन्होंने सात पन्नौ का पत्र साबरमती जेल से लिखा है “कि मै नरेंद्र मोदीजी को भगवान मानता था ! लेकिन मुझे इस्तेमाल करने के बाद, आज मैं जेल में बंद कर दिया गया हूँ ! और उनके इशारों पर मैंने क्या – क्या किया ? यह सब बातें उस पत्र में लिखी हैं !” और उसी तरह राना आयुब की गुजरात फाईल्स नाम की किताब में पन्ना नंबर 27 में इशरतजहा और अन्य तीन लोगों को मारने वाले गुजरात पुलिस के जी एल सिंघल और अन्य दो अधिकारियों के साथ राना आयुब ने मुलाकात करने के बाद अपनी किताब गुजरात फाईल्स के पन्ना नंबर 27 में The High Court appointed Special Investigative Team (SIT) to look into the Ishrat Jahan in an ‘encounter’ was making headway in the probe and all eyes were on Singhal. He was a man who had shot Ishrat Jahan in an ‘encounter’ along with two other Officers. A day after the encounter Gujarat top cop and chif of ATS D. G. Vanzara had called a press conference. It was a sensation, Ishrat’s bloodsoaked body, along with those of three others, was lying on the road. She was named a woman fidayeen, the first of her kind in India, an LeT operative who was out to assassinate Narendra Modi. Then Chief Minister of Gujrat .
Ishrat had become the talk of the town, narrative were written about Jihadist fundamentalism and how radical Muslim organisations were out to seek revenge for the 2002 Gujarat riots. D G Wanzara was hailed as a hero, he became an overnight sensation, Sharing the glory with him were other officers, N K Amin, Tarun Barot and the man who was of particular interest to me, Girish Singhal.


Ishrat’s family in the meantime had petitioned the Supreme Court for an enquiry into the ‘murder’ of their daughter, Ishrat Jahan. A judicial Committee was appointed by the Gujarat High Court and the verdict was given in 2008. The Justice Tamang Committee headed by an ex magistrates of the Guajrat High Court gave a verdict that stunned the Nation, ‘Ishrat Jahan’ was a fake encounter the case needed further investigation’
It was thus in 2010, when the case was being investigated by the SIT ordered by the Supreme Court to do so, and Satish Varma was the head of the SIT !

https://indianexpress.com/article/india/sc-stays-centres-decision-dismiss-ips-officer-ishrat-jahans-encounter-8160217/


वर्तमान सत्ताधारी दल का मकसद सतीश वर्मा को बर्खास्त करने का क्या हो सकता है ? यह मै पाठकों के विवेक के उपर छोड़ कर यह पोस्ट समाप्त कर रहा हूँ !
डॉ सुरेश खैरनार 20 सितंबर 2022, नागपुर

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