केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं के बावजूद राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मभूमि सिमरिया आज तक गांव संवर नहीं पाया. बिहार के बेगूसराय जनपद के बरौनी प्रखंड में स्थित राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मभूमि सिमरिया गांव को 1 नवम्बर 1986 को बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री विन्देश्वरी दूबे ने आदर्श ग्राम घोषित किया था. मुख्यमंत्री की यह घोषणा महज घोषणा बनकर रह गई. आज तक आदर्श ग्राम के अनुरूप सिमरिया ग्राम के विकास की कोई योजना नहीं बनी. सिमरिया के निवासियों ने मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद आदर्श ग्राम सिमरिया लिखना प्रारम्भ कर दिया, लेकिन आदर्श ग्राम घोषित होने की वजह से सिमरिया को पंचायत स्तरीय सुविधाओं एवं विकास की योजनाओं से वंचित होना पड़ा. मुख्यमंत्री के आदर्श ग्राम की घोषणा सिमरिया के लिए अभिशाप बन गई. इसके बाद आदर्श ग्राम योजना के तहत संासद डॉ. भोला सिंह ने इस गांव को गोद लिया, लेकिन हालत कोई सुधार नहीं हुआ. सिमरिया ग्राम के दिनकर द्वार से पंचायत द्वार तक की जर्जर सड़क इस दुर्दशा की कहानी बयां कर रही है. वैसे तो सिमरिया ग्राम को निर्मल ग्राम का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुका है. सिमरिया ग्राम पंचायत के मुखिया को राष्ट्रपति द्वारा निर्मल ग्राम का प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया जा चुका है. ग्राम पंचायत के मुखिया बदल जाने, आबादी बढ़ने एवं समुचित रख-रखाव के अभाव में निर्मल ग्राम की स्थिति बदहाल हो चुकी है. गांव में नाले की स्थिति खस्ताहाल है. गंदे जल की निकासी की व्यवस्था तक नहीं है.
साफ पेयजल आपूर्ति व्यवस्था ठप है. एक ही भवन में प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेन्द्र एवं अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र चल रहा है जहां दवा सहित चिकित्सीय सुविधाओं का घोर अभाव है. स्वास्थ्य केन्द्र का एंबुलेंस प्रखंड के पास है. किसानों के लिए सिंचाई की व्यवस्था नहीं है. एकमात्र सरकारी नलकूप वर्षों से बंद पड़ा है. गांव में प्रकाश का समुचित प्रबंध नहीं है. सोलर लाइट खराब पड़ी है. गांव के लोग जान जोखिम में डालकर रेलवे क्रॉसिंग पार करते हैं. पूर्व में यहां लकड़ी का पुल था जो क्षतिग्रस्त हो चुका है. दिनकर उच्च विद्यालय को +2 में उत्क्रमित तो कर दिया गया है, लेकिन शिक्षकों के अभाव में पढ़ाई ठप है.
सुलभ इंटरनेशनल के डायरेक्टर विन्देश्वर पाठक ने दिनकर उच्च विद्यालय सिमरिया को भवन निर्माण के लिए पंद्रह लाख रुपये एवं दिनकर पुस्तकालय में वाचनालय कक्ष निर्माण के लिए पांच लाख रुपये दान दिए हैं, लेकिन इनके द्वारा घोषित सुलभ शौचालय का निर्माण नहीं हो पाया है.
प्रत्येक वर्ष दिनकर जयंती समारोह में देश के नामचीन साहित्यकारों का सिमरिया में आगमन होता है. बिहार सरकार के मंत्रीगण भी आते हैं. सभी मंच से घोषणा करते हैं कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जिस दालान में बैठकर रचना करते थे, उसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर उसके अनुरूप उसका विकास कर यहां दिनकर शोध संस्थान की स्थापना की जाएगी, लेकिन आज तक वैसा नहीं हो पाया है. इस बार भी 23 सितम्बर 2016 को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 108 वीं जयंती समारोह मनायी जाएगी. साहित्यकारों एवं जनप्रतिनिधियों का कुंभ लगेगा. अपनी छवि एवं राजनीति चमकाने के लिए वे मंचीय घोषणाएं भी करेंगे. लेकिन उसके बाद…
तुमने दिया राष्ट्र को जीवन, राष्ट्र तुम्हें क्या देगा!
अपना आग तेज रखने को, नाम तुम्हारा लेगा.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखी गई उक्त पंक्ति आज उन्हीं पर पूरी तरह चरितार्थ होती नजर आ रही है.
दिनकर के नाम पर सम्मान
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के सम्मान में उनके जन्म दिवस के अवसर पर दिनकर सम्मान समारोह समिति, बेगूसराय द्वारा वर्ष 1993 से दिनकर राष्ट्रीय एवं दिनकर जनपदीय सम्मान पुरस्कार प्रदान किया जाता है. राष्ट्रीय पुरस्कार मे दस हजार रुपये एवं जनपदीय पुरस्कार में पांच हजार रुपये चयनित साहित्यकारों को प्रदान किया जाता है. इस वर्ष (2016) दिनकर राष्ट्रीय सम्मान के लिए प्रोफेसर तरुण कुमार एवं दिनकर जनपदीय पुरस्कार के लिए रमाकांत चौधरी का चयन किया गया है.