संतोष भारतीय, एस.पी. सिंह और उदयन शर्मा ने उस दौर में हिन्दी पत्रकारिता को उस साहित्यिक दरिया से निकाला

1895

प्रसिद्ध पत्रकार और वरिष्ठ संपादक एम.जे. अकबर ने संतोष भारतीय की पत्रकारिता में अद्वितीय क्षमता को जाँचते हुए कहा था कि-“जिस जमाने में हमने पत्रकारिता शुरू की उसके पहले या उस दौर में भी पत्रकारिता के जो विषय होते थे उनका अंदाजे-बयाँ साहित्यिक होता था। हमें बड़ी घुटन होती थी कि सच्चाई कहाँ है, देश कहाँ है और आप शब्दों में घूम रहे हैं, कविता में घूम रहे हैं और दुनिया कहाँ है? संतोष भारतीय, एस.पी. सिंह और उदयन शर्मा ने उस दौर में हिन्दी पत्रकारिता को उस साहित्यिक दरिया से निकाला और रविवार’ के जरिए एक ऐसी जगह ले गए कि उसमें मैच्योरिटी जल्दी आ गई।

उस जमाने में हमने जमीन की पत्रकारिता की जिसका एक खास रिवोल्यूशनरी प्रभाव हुआ और जिसका असर बहुत दूर तक गया। हमारा जो शुरुआती दौर था वो समय विरोधाभासों का भी था। हमारी पत्रकारिता पर आपातकाल का जो प्रभाव पड़ा उसकी भी बड़ी भूमिका थी क्योंकि हम भी एक लिबरेशन के साथ निकले थे।”

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