25 जून 1975 के आधी रात के बाद श्रीमती इंदिरा गाँधी ने आपातकाल और साथ ही मे सेंसरशिप की घोषणा की थी ! जिसे आज 48 साल होने जा रहें हैं ! और आज संघ और उसकी राजनीतिक ईकाई भाजपा उसे लेकर जनतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर खुब काशिदे पढ़ने वाले हैं ! सुना है कि गोविंदाचार्य और रामबहादुर राय आज दिल्ली के गांधी शांती प्रतिष्ठान में इस विषय पर गोष्ठी कर रहे हैं ! जिस जगह से 48 साल पहले जयप्रकाश नारायण को रामलीला मैदान की सभा के बाद आधी रात में निंद से उठाकर गिरफ्तार किया था !

शायद उस पुण्यभूमी में जानबूझकर यह गोष्ठी संघ के लोग कर रहे होंगे ! लेकिन यह संघ के रामबहादुर राय वाराणसी में जयप्रकाश नारायण के द्वारा स्थापित गाँधी विद्या संस्थान को कब्जे में करने की गतिविधि इसी समय कर रहे हैं ! इस आदमी को गांधी शांति प्रतिष्ठान में प्रवेश करने देना भी गांधी – जयप्रकाश के अपमानित करने की कृती मुझे लगती है ! वर्तमान गाँधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष और हमारे जेपी आंदोलन के समय के मित्रों में से एक श्री. कुमार प्रशांत ने इन लोगों को आज वहां जगह देकर बहुत गलत काम किया है ! गत तीस सालों से भी अधिक समय से संघ घोर सांप्रदायिक और फासीस्ट संघठन है ! यह बात कुमार प्रशांत जैसे मुर्धन्य साहित्यकार से छुपी हुई बात नही है ! और दिल्ली जैसे शहर में संघ के और उसकी राजनीतिक ईकाई भाजपा के उसी दिनदयाल उपाध्याय मार्ग पर दर्जनों इमारतों की लाईनें खडी है !

और उसके बावजूद इन लोगों ने गांधी शांती प्रतिष्ठान मे कार्यक्रम करने की एक वजह हमारे अपने ही बीच झगड़ा हो ! क्योंकि बनारस के राजघाट के गांधी विद्दा संस्थान में घुसकर दिवारें खडी करने से लेकर ! दुनिया भर की गैरकानूनी और गुंडों के जैसी हरकत करने वाले लोगों को ! हमारे अपने ही कुछ लोग मित्र बोलकर उन्हें लेजिटिमाईट करने की गलतियाँ जाने – अनजाने में कर रहे हैं ! और वह इतने शातिर की उसी समय दिल्ली के गांधी शांती प्रतिष्ठान में आपातकाल पर कार्यक्रम करते हैं ! यह हमारे अपने लोगों की कमजोरी कहिए या नासमझी ! इसका मतलब बनारस की कृति के बाद अगला लक्ष्य गाँधी शांति प्रतिष्ठान भी हो सकता है ! क्योंकि सैया भये कोतवाल तो डर काहेका ! कहावत के अनुसार सत्ता उनकी है पुलिस – प्रशासन और न्यायपालिका भी उनके इशारों पर काम कर रहे हैं ! तो यह 48 साल पहले के आपातकाल से भी बदतर समय में हम रह रहे हैं ! लेकिन ऐसे पाखंडीयो को हमारी जो छोटी – मोटी जगह बची हुई है ! उनमें इन जालिमों के पांव पडने देना खुद होकर उन्हें अपने घर में घुसने देने की गलतियाँ हमारे लोग जगह – जगह करने के कारण आज उनका साहस बढ रहा है ! और एक – एक करके हमारी जगहों पर कब्जा करते जा रहे हैं !


लेकिन पिछले नौ सालों से संघ और भाजपा ने मीलकर आपातकाल की घोषणा के बगैर भारत में अघोषित आपातकाल जारी किया हुआ है ! इसलिए आज संघ भाजपा का आपातकाल को लेकर चल रहे कार्यक्रम एक पाखंड के सिवा कुछ नहीं है ! यह भी कुमार प्रशांत को अच्छी तरह मालूम है ! और उसके बावजूद वह अध्यक्ष है ! ऐसे गांधी शांती प्रतिष्ठान में आज भले ही निषेध के रूप में खुद वहां से चले जा रहे होंगे ! लेकिन इन लोगों को जगह देने की गलती से मुक्त नहीं हो सकते !


कल रात को नागपुर में किसी एक कार्यक्रम में काफी अर्से के बाद कुछ सिनियर पत्रकारों से मुलाकात हुई ! और उन्होंने कहा कि “सर आपने क्या नागपुर पत्रकार संघ का बहिष्कार किया है क्या ?” मैंने कहा “कि 2014 के मई माह में नरेंद्र मोदी ने शपथ ग्रहण करने के बाद भारतीय मिडिया संस्थाओं ने जिस तरह से घुटने टेक दिए है ! और आप लोग नौकरी के लिए नौकरी कर रहे हैं ! इसलिए आप लोगों से मेरा कोई गिला – शिकवा नही है !
लेकिन आपके मालिकों ने जैसे ही हिटलर ने आजसे सौ साल पहले बाकायदा जर्मनी के मिडिया मालिकों को बुलाया और उन्हें धमका कर सिर्फ उसके महिमामंडन के अलावा और कुछ नहीं कवरेज होगा और विरोधी कैसे राष्ट्रद्रोही है यह बात को प्रमुखता से प्रकाशित करने के लिए विशेष रूप हिदायत दी थी ! लगता है नरेंद्र मोदी या उनके किसी गुर्गे के द्वारा भारतीय मिडिया संस्थाओं को बाकायदा सूचना दी गई है ! और पिछले नौ सालों से हमने तथाकथित मुख्य धारा के मिडिया संस्थाओं जाने का सिलसिला बंद कर दिया है ! व्यक्तिगत रूप से आप लोगों से प्रेम है ! लेकिन आपके मालिक लोग जो ज्यादातर सिर्फ मुनाफा कमाने के लिए तथाकथित मिडिया में आएं हैं ! उनसे क्या उम्मीद करेंगे ? इसलिए हम खुद ही आने का सिलसिला बंद कर दिए हैं !


जिस देश में गत नौ सालों से सिर्फ नरेंद्र मोदी को प्रोजेक्ट करने की होड लगी हुई है ! कि अखबारों के आधे पन्ने सिर्फ उनके लंबे चौडी फोटो के साथ जिस तरह के विज्ञापन ! और कोरोना के सर्टिफ़िकेट से लेकर राशन कार्ड तथा विमान के बोर्डिंग पास से लेकर रेल के टिकट, और हवाई अड्डे से लेकर रेल स्टेशन पर एक ही आदमी के फोटो ! फिर गॅस सिलेंडर किसी घरेलू महिला को देते हुए फोटो ! पेट्रोल पंप पर बडे-बडे होर्डिंग पर ! शायद ही कोई सार्वजनिक जगह होगी, जिसपर नरेंद्र मोदी के फोटो के बड़े-बड़े होर्डिंग कुछ समय पहले मुझे सिरिया की यात्रा में बशर असद नाम के वहां के राज्यप्रमुख के इसितरह के होर्डिंग्स देखें थे ! और सद्दाम हुसैन के समय इराक में भी ! क्या भारत भी उन देशों की जैसा तानाशाही वाला देश बन गया है ? नरेंद्र मोदी के अलावा कोई और मंत्री या पदाधिकारी को इस तरह उनकी पार्टी के ही उस हिसाब से दिखाई नहीं देते हैं ! पिछले नौ सालों से सिर्फ एक ही आदमी है जो 145 करोड आबादी के देश को अकेले ही जिसे संघ के सपनों में ‘एकचालकानुवर्त ‘ बोलता है ! वैसे ही एक मात्र आदमी इस देश में राज कर रहा है !


जिसके सामने संसद, न्यायिक प्रणाली, राष्ट्रपति, सेना, पुलिस तथा पॅरामिलिटरी फोर्स, राज्यों के अधिकार ! मतलब स्वतंत्रता के बाद भारत में जितने भी जनतंत्र के विकेंद्रीकरण की व्यवस्थाएं विकसित की गई है ! सभी का संकोच नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद धड़ल्ले से करते हुए जनतंत्र की आड में एक आदमी की लहर या उसकी मर्जी से पूरा कारोबार चल रहा है ! जीएसटी, नोटबंदी, कोरोना में नरेंद्र मोदी की सुविधा के अनुसार लगाया गया लॉकडाऊन या किसानों के बील से लेकर नागरिक संशोधन कानून और कश्मीर के 370 हटाने और राज्य को केंद्रशासित प्रदेश बनाने की भारत की पहली घटना है ! इन सब निर्णयों को देखते हुए मुहम्मद बीन तुघलक ( जिसे पागल मुहम्मद भी बोला जाता है ! ) उसकी याद आ रही है ! वह भी दिल्ली से दौलताबाद में राजधानी ले जाने से लेकर, चमडो से सिक्के बनाने जैसे निर्णय लेने के लिए ! इतिहास में बहुत बदनाम हुआ है ! बिल्कुल नौ सालों का दौर मोहम्मद तुघलक के दौर की याद दिला रहा है !


आज आपातकाल की घोषणा के 48 साल के उपलक्ष्य में मुझे 19 महिनो की जगह नौ सालों से आपातकाल से भी बदतर समय में भारत का वर्तमान समय चल रहा है ! पार्लमेंटमे कोई बहस – मुहाबसा होने नहीं दिया जा रहा ! सभी बील फीर सौ साल के संघर्ष के बाद मजदूरों को राहत दिलाने के हो, या किसानो के खेती से संबंधित हो, या नागरिकों के मौलिक अधिकारों के हो, या सोशल मीडिया को कंट्रोल करने की कृती को क्या कहेंगे ? सभी एक अॉटोक्रॅटिक युग की याद दिला रहे हैं !
और 2014 के मई माह में सत्ता में आने के बाद महीने भर के भीतर जून 2014 से हर साल 25-26 जून को जनतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर संघ और उसकी राजनीतिक ईकाई भाजपा खुब ढोल-ताशा पिटकर आपातकाल को कोसने का काम करते हैं ! संघ की निंव फॅसिझम के उपर आधारित है और जनतंत्र तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता यह उनके हिसाब से गलत प्रणालीया है और लोगों को भेड – बकरी के जैसे ही हांका जाना चाहिए यह उनकी मान्यता रहने के बावजूद कांग्रेस के उपर आलोचना करने के मौके का लाभ उठाने के सिवाय और कोई उद्देश्य नही है ! तो इस तरह की हरकतों से वर्तमान सरकार और संघ के दोगलापन के सिवा और कुछ नहीं है ! शतप्रतिशत पाखंड !
डॉ. सुरेश खैरनार, 25 जून 2023, नागपुर

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