नई पार्टी के ऐलान के साथ ही मुलायम सिंह यादव और शिवपाल सिंह यादव के तकनीकी तौर पर समाजवादी पार्टी से अलग होने की प्रक्रिया शुरू हो गई. शिवपाल ने कहा भी कि समाजवादी सेकुलर मोर्चे के गठन की औपचारिकताएं शुरू की जा रही हैं और उम्मीद जताई कि उसमें देश और प्रदेशभर के समाजवादी शरीक रहेंगे. शिवपाल ने दोहराया कि नेताजी के सम्मान की खातिर ही नई पार्टी का गठन किया जा रहा है.
अब यह तय हो गया कि कद्दावर समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव का संरक्षण बेटे अखिलेश यादव को नहीं, बल्कि भाई शिवपाल यादव को मिलेगा. मुलायम की मौजूदगी में शिवपाल यादव ने पांच मई को समाजवादी सेकुलर मोर्चा के नाम से नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया. नई पार्टी बनाने की घोषणा इटावा में हुई. ‘चौथी दुनिया’ के पिछले अंक में प्रकाशित कवर स्टोरी में संतोष भारतीय ने यह लिख दिया था कि मई महीने में नई पार्टी की घोषणा हो जाएगी. इसप्रकार ‘चौथी दुनिया’ की खबर एक बार फिर सच और प्रामाणिक साबित हुई.
विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से ही शिवपाल लगातार अखिलेश पर यह दबाव बना रहे थे कि वे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ दें और नेताजी फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभालें. लेकिन अखिलेश ने उनकी बात नहीं मानी, उल्टे प्रो. रामगोपाल यादव ने शिवपाल पर तीखे प्रहार शुरू कर दिए. आखिरकार पांच मई को इटावा में ही मुलायम के बहनोई के घर में जरूरी मंत्रणा के बाद शिवपाल ने नई पार्टी समाजवादी सेकुलर मोर्चा के गठन की घोषणा कर दी.
शिवपाल ने कहा कि नेता जी मुलायम सिंह यादव ही समाजवादी सेकुलर मोर्चा के अध्यक्ष होंगे. शिवपाल बोले कि नेताजी का साथ और आशीर्वाद हमें मिल चुका है. अब आगे की कार्रवाई होगी. पिछले दिनों शिवपाल ने संकेत किया था कि अगर अखिलेश नहीं माने, तो समाजवादी पार्टी में विभाजन हो जाएगा. फिर साफ-साफ कहा था कि मुलायम सिंह यादव को दोबारा राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बनाया गया, तो पार्टी से अलग एक सेकुलर मोर्चा बनेगा. शिवपाल ने कहा कि नेता जी की मेहनत से ही समाजवादी पार्टी बनी और खड़ी हुई थी.
रामगोपाल की तीखी प्रतिक्रियाओं के जवाब में शिवपाल ने उन्हें शकुनी बताया और कहा कि इस आधुनिक शकुनि को गीता पढ़नी चाहिए. आप जानते ही हैं कि बेटे अखिलेश यादव के हाथों पिता मुलायम सिंह यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटवाने में रामगोपाल यादव ने केंद्रीय भूमिका निभाई थी. शिवपाल ने कहा कि अखिलेश यादव ने पत्रकारों से कहा था कि वह केवल तीन महीने के लिए अध्यक्ष बने हैं और चुनाव के बाद वह नेताजी को राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद लौटा देंगे. लेकिन उन्होंने अपने पिता का अपमान किया.
शिवपाल बोले, ‘हम लोग नेता जी का सम्मान उन्हें वापस दिलाएंगे.’ मुलायम परिवार में अखिलेश की इकाई छोड़ कर बाकी सब मुलायम के साथ खड़े हैं. मुलायम की छोटी बहू अपर्णा यादव भी कह चुकी हैं कि नेता जी को अध्यक्ष पद लौटा दिया जाना चाहिए था. आज स्थिति यह है कि मुलायम समेत उनकी पत्नी साधना (गुप्ता) यादव, छोटे बेटे प्रतीक यादव, बहू अपर्णा यादव सब शिवपाल के साथ खड़े हैं. परिवार में कलह की शुरुआत के समय से मुलायम और शिवपाल साथ हैं.
नई पार्टी के ऐलान के साथ ही मुलायम सिंह यादव और शिवपाल सिंह यादव के तकनीकी तौर पर समाजवादी पार्टी से अलग होने की प्रक्रिया शुरू हो गई. शिवपाल ने कहा भी कि समाजवादी सेकुलर मोर्चे के गठन की औपचारिकताएं शुरू की जा रही हैं और उम्मीद जताई कि उसमें देश और प्रदेशभर के समाजवादी शरीक रहेंगे. शिवपाल ने दोहराया कि नेताजी के सम्मान की खातिर ही नई पार्टी का गठन किया जा रहा है. हम देश और प्रदेश स्तर के सभी सेकुलर लोगों से बातचीत करेंगे. हम नई पार्टी के माध्यम से पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग के लोगों को न्याय दिलाएंगे.
मोर्चे से देश के सभी बड़े सेकुलर नेताओं को जोड़ेंगे. शिवपाल ने कहा कि समाजवादी सेकुलर मोर्चा सामाजिक न्याय के संघर्ष को तेज करने के इरादे से बन रहा है और संघर्ष के नए दौर का नेतृत्व नेता जी मुलायम सिंह यादव ही संभालेंगे. आप एक बार फिर याद करते चलें कि विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश ने कहा था कि नेता जी केवल तीन महीने के लिए उन्हें सारे अधिकार सौंप दें, चुनाव के बाद वह सारे अधिकार उन्हें लौटा देंगे. लेकिन चुनाव में महज 47 सीटें पाने के बाद भी अखिलेश को अपना कहा याद नहीं रहा. इस बीच उन्होंने मुलायम से मशविरा किए बगैर पार्टी के संविधान में भी फेरबदल कर दिया और मुलायम शिवपाल को ताक पर रख कर नए सिरे से सदस्यता अभियान भी शुरू कर दिया.