पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण जिन लोगों को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने पार्टी से बाहर निकाल दिया था, उन्हें विधान परिषद पहुंचा कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपना वर्चस्व साबित कर दिया है. हालांकि इस मसले पर रूठे अखिलेश को मनाते हुए पिता मुलायम ने निलंबन का आदेश वापस कर लिया था, लेकिन अखिलेश ने अपने लोगों को विधान परिषद का टिकट देकर इस प्रकरण पर अपने नाम की मुहर लगा ही दी.
स्थानीय निकायों के 36 विधान परिषद सदस्य चुने जाने हैं. इनमें से 31 प्रत्याशियों की सूची समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव के हस्ताक्षर से जारी हुई. इस सूची ने विधानसभा में उतरने जा रही समाजवादी पार्टी की प्राथमिकता की घोषणा की. सूची से दलित पूरी तरह नदारद हैं और ब्राह्मण करीब-करीब नदारद हैं. 31 प्रत्याशियों की लिस्ट में केवल एक ब्राह्मण नाम है. पार्टी की यादव प्राथमिकता जग जाहिर है.
इसके अलावा राजपूतों और मुसलमानों को भी स्थान दिया गया है. सूची के मुताबिक, पार्टी ने 16 यादवों को विधान परिषद में जाने का मौका दिया है. इसके बाद पांच राजपूत प्रत्याशी हैं और चार मुसलमान. कुर्मी समुदाय के दो, जाट के एक और गुज्जर समुदाय के एक व्यक्ति को विधान परिषद जाने का मौका मिला है. सूची में एक ब्राह्मण नाम है. सूची में दलित नाम शामिल नहीं है. वैश्य के नाम पर जैन समुदाय का एक नाम शामिल है.
प्रत्याशियों की सूची में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी सुनील सिंह साजन और आनंद भदौरिया के नाम शामिल हैं. इन दोनों को अभी कुछ ही दिन पहले सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने पंचायत चुनाव में विद्रोहियों की मदद करने के आरोप में पार्टी से निलंबित कर दिया था. इस बात से अखिलेश यादव इतने नाराज हुए कि सैफई महोत्सव का उद्घाटन करने तक नहीं गए.
अखिलेश के इस दबाव पर मुलायम ने सुनील सिंह साजन और आनंद भदौरिया का निलंबन यह कह कर वापस ले लिया कि इन लोगों ने अपनी गलती मान ली है. माफी का यह कोई तर्क नहीं था. लेकिन आलाकमान के पास किसका तर्क चलता है. अखिलेश के खास उदय वीर सिंह को भी मौका मिला है. सूची में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के भाई अक्षय प्रताप सिंह का नाम शामिल कर उन्हें दोबारा विधान परिषद भेजने की तैयारी कर ली गई है.
पांच राजपूतों को विधान परिषद की सदस्यता देकर पार्टी नेतृत्व ने उन कयासों को धराशाई कर दिया कि सपा के कई राजपूत नेता भाजपा में जाने की तैयारी में हैं. सूची में पार्टी के नेताओं के रिश्तेदारों को भी जगह मिली है. पार्टी नेतृत्व ने सूची में शामिल किए जा रहे लोगों की छवि के बारे में कोई विचार नहीं किया. इसलिए इसमें ठेकेदार, आपराधिक और दागदार चेहरे सब शामिल हैं. शिक्षा विभाग में लंबे समय तक तैनात रहे और अनियमितताएं करते रहे विवादास्पद पूर्व शिक्षा निदेशक वासुदेव यादव को भी विधान परिषद का टिकट दे दिया गया है.
सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने औपचारिक रूप से मीडिया को बताया कि पार्टी ने विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्रों के लिए प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए हैं. चुनाव तीन मार्च को होगा. पार्टी ने लोहिया वाहिनी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आनन्द भदौरिया को सीतापुर से और
समाजवादी छात्र सभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह यादव उर्फ साजन को लखनऊ-उन्नाव सीट से पार्टी का प्रत्याशी बनाया है.
इनके अलावा सपा ने मुरादाबाद-बिजनौर से परवेज अली, बदायूं से बनवारी सिंह यादव, पीलीभीत-शाहजहांपुर से अमित यादव, हरदोई से मिसबाहुद्दीन, लखीमपुर खीरी से शशांक यादव, प्रतापगढ़ से अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जी, सुल्तानपुर से शैलेन्द्र प्रताप सिंह, बाराबंकी से राजेश यादव उर्फ राजू यादव, बहराइच से मोहम्मद इमलाख खां, गोण्डा से महफूज खां, फैजाबाद से हीरालाल यादव, बस्ती-सिद्धार्थनगर से बृजकिशोर सिंह, गोरखपुर-महराजगंज से जयप्रकाश यादव, देवरिया से रामअवध यादव, आजमगढ़-मउ से राकेश कुमार यादव, जौनपुर से लल्लन प्रसाद यादव, वाराणसी से अमीरचंद्र पटेल, इलाहाबाद से माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के पूर्व निदेशक वासुदेव यादव, बांदा-हमीरपुर से रमेश मिश्र, झांसी-जालौन-ललितपुर से रमा निरंजन, कानपुर-फतेहपुर से कल्लू यादव, इटावा-फर्रूखाबाद से पदमराज पम्मी जैन, आगरा-फिरोजाबाद से दिलीप यादव, मथुरा-एटा-मैनपुरी से अरविन्द प्रताप यादव, मथुरा-एटा-मैनपुरी से ठाकुर उदय वीर सिंह धाकरे, अलीगढ़ से ओमवती यादव, बुलंदशहर से नरेंद्र भाटी, मेरठ-गाजियाबाद से राकेश यादव और मुजफ्फरनगर-सहारनपुर से मुकेश चौधरी को विधान परिषद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है. विधान परिषद में इस समय 41 सीटें खाली हैं.
इनमें से 36 का चुनाव स्थानीय प्राधिकारियों के जरिए होना है. सपा की लिस्ट में प्रतापगढ़ से रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया के भाई अक्षय प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया गया तो बस्ती से मंत्री राजकिशोर सिंह के भाई बृजकिशोर सिंह को टिकट दिया गया है. एक और मंत्री महबूब अली के बेटे परवेज अली को भी मुरादाबाद से टिकट दिया गया है.
स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र से विधान परिषद के 36 सदस्यों का चुनाव तीन मार्च को निर्धारित है. चुनाव आयोग ने पिछले दिनों स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र से विधान परिषद सदस्यों के चुनाव का कार्यक्रम भी घोषित कर दिया था. आयोग द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार 15 फरवरी तक नामांकन पत्र दाखिल होंगे. तीन मार्च को मतदान और छह मार्च को वोटों की गिनती होगी.
100 सदस्यों वाली विधान परिषद में 36 सदस्य स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र से होते हैं. इसमें मथुरा-एटा-मैनपुरी सीट ऐसी है, जहां से दो सदस्यों का चुनाव होता है. इस चुनाव में क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, कैंट बोर्ड के सदस्य व शहरी निकाय (नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायतों) के सदस्य मतदान करते हैं. परिषद के इन 36 सदस्यों का कार्यकाल इसी महीने 15 जनवरी को पूरा हुआ है.
जिला पंचायतों की चुनाव प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण इनकी मतदाता सूची तैयार नहीं हो सकी थी. इसलिए चुनाव समय पर नहीं हो पाए. प्रदेश में अब जिला पंचायतों का गठन हो गया है. लिहाजा, भारत निर्वाचन आयोग ने स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र की सीटों के लिए चुनाव घोषित कर दिया. प्रदेश में 60 हजार ग्राम पंचायतों में से 11 हजार ग्राम प्रधान भी वोट नहीं दे पाएंगे. इसका कारण उनकी ग्राम पंचायतों का गठन न होना है. जिन ग्राम पंचायतों में दो तिहाई सदस्य चुनकर नहीं आए थे, उन पंचायतों का गठन अभी नहीं किया गया है. प्रदेश में ऐसी करीब 11 हजार पंचायतें हैं. जब यहां सदस्यों के दोबारा चुनाव होंगे तब ये ग्राम पंचायतें गठित होंगी.