मुलायम सिंह का बोलना जारी है. फिल्म के इस ट्रैजेडी वाले पार्ट में कार्यकर्ताओं की रुहानी संलग्नता स्पष्ट दिख रही है. पीछे की कतार में बैठे मंत्रियों के चेहरे पर झेंप और गुस्से की रेखाएं झलक दिखला जा रही हैं. नेता जी कहते हैं, लोकसभा चुनाव में हार के बाद सभी लोग पार्लियामेंट्री बोर्ड में राजी थे कि मंत्रियों को हटाया जाए और सजा दी जाए, मगर मैं ही पिघल गया. सोचा कि चलो, एक मौक़ा और देते हैं. मगर अभी भी स्थितियां नहीं सुधरी हैं और मुझे बहुत निराशा है आप लोगों के कामों से. ऐसा कहकर मुलायम सिंह मंत्रियों की तरफ़ इशारा करते हैं. मुलायम सिंह आगे बोले, भाजपा हमसे बहुत आगे तेजी से काम कर रही है. अमित शाह ने अपने प्रत्याशी भी चयनित कर लिए हैं, उन्हें अपने-अपने क्षेत्रों में गुप्त रूप से काम करने को भी कह दिया गया है, पर हमारी कोई तैयारी ही नहीं है. मैं भी जल्दी ही पार्टी प्रत्याशी घोषित कर दूंगा. जिन-जिन लोगों को पार्टी के किसी भी नेता, मंत्री, विधायक, सांसद से शिकायत, समस्या या कोई सुझाव है, वे कागज पर लिखकर एसआरएस यादव और मेरे सचिव अरविंद यादव को दे दें. नाम गुप्त रखा जाएगा, लेकिन कार्रवाई होगी.
स्थान-लखनऊ के विक्रमादित्य मार्ग स्थित समाजवादी पार्टी का प्रदेश कार्यालय. समय-पूर्वान्ह 11 बजे. पार्टी दफ्तर में गुनगुनी धूप है, ठंडी-ठंडी बयार भी है, थोड़ी कंपकंपाहट भी है, लेकिन नेताजी के शीघ्र दफ्तर पहुंचने की सुगबुगाहट वहां मौजूद लोगों को थोड़ी-थोड़ी गर्मी भी दे रही है. अलर्ट होता है…नेता जी मुलायम सिंह यादव बस कुछ ही देर में पहुंचने वाले हैं. पार्टी दफ्तर में झंडारोहण वाले स्थल पर कुर्सियां लग जाती हैं. सामने लॉन में भी कुर्सियां लग जाती हैं. तक़रीबन दो-ढाई सौ लोग लॉन और इधर-उधर चहलकदमी कर रहे होते हैं. इनमें समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता एवं नेता सब शरीक हैं. कुछ फरियादीनुमा चेहरे भी हैं. कुछ हमारे जैसे भी हैं, जग का मुजरा लेने वाले. सब लोग नेता जी के पार्टी दफ्तर में आने का इंतज़ार कर रहे हैं और अपने-अपने मतलब की, अपनी-अपनी सियासत की और अपनी-अपनी समझ की चर्चा में मशगूल हैं. उन चर्चाओं का निकस यह समझ में आता है कि पार्टी की दुर्दशा पर चिंता या चटखारा ही गुफ्तगू के केंद्र में है.
लोगों की बातचीत कभी चलती है, कभी चलते-चलते पार्टी दफ्तर के गेट की ओर उचक कर झांकने के क्रम में थमती है और फिर नेता जी के आने में हो रही अनावश्यक देरी की बात का प्रसंग बनाते हुए फिर से शुरू हो जाती है. समय बीतता जाता है. इसी बीच मुलायम सिंह के निवास स्थान पर उनसे मिलने आए लोगों को भी पार्टी दफ्तर के लिए ही डायवर्ट कर दिया जाता है. उन लोगों के पार्टी दफ्तर पहुंचने से वहां पहले से मौजूद लोगों में थोड़ी असहजता झलकती है, लेकिन अब नेता जी आएंगे, इसका सुकून वाला भाव भी उनके चेहरे से झांकता है. पार्टी दफ्तर में लोगों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है. नेता, कार्यकर्ता, दोनों स्तर के मंत्री और आम चेहरे वाले लोगों का हुजूम इकट्ठा होता जा रहा है. अब लोगों की निगाहें नेता जी के इंतज़ार में पार्टी दफ्तर के दरवाजे पर ही जाकर टंग गई हैं.
दोपहर का क़रीब दो-सवा दो बज रहा है. कुछ लोग तो निराश होकर वापस लौट भी जाते हैं. उन्हें नेताओं की सवारी के आने-जाने में समय के घिसटने का शायद अनुभव नहीं रहा होगा. अब तो ढाई भी बज चुके हैं. धैर्यवान लोगों की जमात जुटी हुई है. बतकहियां भी जारी हैं. उसी में अलग-अलग गुच्छे बने हुए हैं और गुटबाजी पर बतिया रहे हैं. क़रीब ढाई-पौने तीन का समय हो गया है. अचानक सरसराहट और सनसनाहट का माहौल बनता है. माहौल ही बता देता है कि नेता जी आ रहे हैं. नेता जी आ चुके हैं. दफ्तर का दरवाजा खुलता है और नेता जी का काफिला अंदर दाखिल हो जाता है. पार्टी दफ्तर का पर्यावरण, जिसका जलवा कायम है उसका नाम मुलायम है, नेता जी संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं, मुलायम सिंह ज़िंदाबाद के नारों से भर गया और नेता जी का चेहरा भावों से भर गया.
नेता जी गाड़ी से बाहर अवतरित हुए. नारों और स्वागत के बीच उनका चेहरा भावों का विभोर ज्ञापित कर रहा है. नेता जी मंच पर लगी कुर्सी पर बैठ जाते हैं. उनके पीछे कुछ और कुर्सियां तुरंत लगाई जाती हैं. उन कुर्सियों पर यथाक्रम कैबिनेट मंत्री नारद राय, अंबिका चौधरी, मनोज पांडेय वगैरह बैठ जाते हैं. मंत्रियों की कुर्सी के पीछे भी कुर्सियों का एक और क्रम बिछता है, जिस पर प्रदेश सचिव एवं कार्यालय प्रभारी एसआरएस यादव विराजमान हो जाते हैं. भीड़ लॉन में बिछ जाती है. सब नेता जी का मुखारबिंद निहार रहे हैं, कुछ सुनने को तत्पर दिख रहे हैं कि अचानक नेता जी माइक न होने पर गुस्सा होने लगते हैं. व्यवस्था खड़खड़ाती है और आनन-फानन में एक माइक की व्यवस्था हो जाती है.
लगता है, नेता जी आजकल कुछ नाराज़ चल रहे हैं. अपने संबोधन की शुरुआत ही वह कार्यकर्ताओं पर नाराज़गी जताते हुए करते हैं. कहते हैं कि हम लोकसभा चुनाव की तरह ही 2017 का विधानसभा चुनाव भी बुरी तरह से हारने वाले हैं. अचानक सबके होश फाख्ता हो जाते हैं. यह नेता जी ने क्या कह दिया! मुलायम सिंह अपनी बात आगे बढ़ाते हैं और कहते हैं, क्योंकि आप सब अपने-अपने क्षेत्रों में काम करने के बजाय यहां गणेश परिक्रमा करने में ही लगे हुए हैं. मैं अपना एक ज़रूरी काम छोड़कर यहां आप सबके होने की जानकारी पाकर आप सबसे मिलने चला आया. मेरा आप सबसे कहना है कि आप सब अपने-अपने क्षेत्रों में काम करिए और कोई शिकायत हो, तो हमें चिट्ठी के माध्यम से बताइए. हम सबकी चिट्ठी पढ़ते हैं और चिट्ठियों का जवाब भी देते हैं और कार्रवाई भी करते हैं.
जैसे ही नेता जी ने यह कहा, तभी मेरठ के सिवालखास क्षेत्र से आई एक महिला कार्यकर्ता खड़ी हो गई और कहने लगी, नेता जी कोई काम नहीं हो रहा है. शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. महिला की बोली से तो नेता जी सन्न. महिला से पूछा, तुम्हारे पोलिंग बूथ पर कितने वोट मिले थे? महिला बोली, 27. नेता जी ने महिला को डपटा, इतने कम वोट पार्टी को दिलाती हो और बोलती हो कि काम नहीं होता, सुनवाई नहीं होती! अब तो महिला ने नेता जी को ज़मीनी दृश्य दिखाना शुरू कर दिया. उसने सपा प्रमुख से लेकर तमाम बड़े नेताओं को लोकसभा में मिले वोटों का हिसाब-किताब सामने रखना शुरू कर दिया. वह अखिलेश सरकार के कामकाज से लेकर मंत्रियों के अराजक रवैये और शिकायत करने पर कोई कार्रवाई न होने की पुलिंदा भर-भर कर जो शिकायतें थीं, पेश करने लगी. पूरी पार्टी ही कुछ समय के लिए कठघरे में खड़ी हतप्रभ दिखने लगी. मुलायम सिंह इतने खफा हो गए कि इस बोली को अनुशासनहीनता करार देते हुए उस महिला को पार्टी दफ्तर से बाहर जाने की हिदायत देने लगे, लेकिन महिला भी दमदारी से वहीं खड़ी रही और अपनी बात पर अड़ी रही. मुलायम सिंह बिफर उठते हैं और सुरक्षाकर्मियों से उस महिला को जबरन पार्टी दफ्तर से बाहर निकालने के लिए कहते हैं. महिला को समाजवाद के परिसर से जबरदस्ती बाहर निकाल दिया जाता है.
दृश्य बदलता है. नेता जी का संबोधन फिर शुरू होता है. इस बार उनके निशाने पर मंत्री, सरकार और मुख्यमंत्री होते हैं. अभी-अभी एक महिला कार्यकर्ता को बाहर निकाले जाने के वाकये पर क्षुब्ध हुए कार्यकर्ताओं को सहलाने का प्रयास करते हुए मुलायम सिंह कहते हैं, समाजवादी पार्टी की सरकार बनने में नौजवानों और कार्यकर्ताओं का बड़ा योगदान है और अब उसी सरकार में उनकी उपेक्षा हो रही है. पार्टी के नेता और मंत्रीगण अपने स्वार्थों की पूर्ति में लगे हुए हैं. उनके अपने स्वार्थों और झगड़ों के बीच पार्टी और कार्यकर्ताओं की अनदेखी हो रही है. इससे पार्टी को नुक़सान पहुंच रहा है. मुझे भी आजमगढ़ में हराने की कोशिश हमारे ही नेताओं ने की थी, मगर मैंने खुद जब वहां कमान संभाली, तब हार से बच पाया. मुझे संसद में सुनना पड़ता है कि केवल परिवार ही जिता पाए. इस बात से मुझे बड़ी तकलीफ होती है. कन्नौज में भी नेताओं की आपसी लड़ाई से डिंपल हारते-हारते बचीं. मुख्यमंत्री अखिलेश सोचते हैं कि दौड़-भाग करने से वोट मिल जाएगा. ऐसा नहीं है. वोट संघर्ष करने और जनता एवं कार्यकर्ताओं के हितों का ख्याल रखने से मिलता है.
मुलायम सिंह का बोलना जारी है. फिल्म के इस ट्रैजेडी वाले पार्ट में कार्यकर्ताओं की रुहानी संलग्नता स्पष्ट दिख रही है. पीछे की कतार में बैठे मंत्रियों के चेहरे पर झेंप और गुस्से की रेखाएं झलक दिखला जा रही हैं. नेता जी कहते हैं, लोकसभा चुनाव में हार के बाद सभी लोग पार्लियामेंट्री बोर्ड में राजी थे कि मंत्रियों को हटाया जाए और सजा दी जाए, मगर मैं ही पिघल गया. सोचा कि चलो, एक मौक़ा और देते हैं. मगर अभी भी स्थितियां नहीं सुधरी हैं और मुझे बहुत निराशा है आप लोगों के कामों से. ऐसा कहकर मुलायम सिंह मंत्रियों की तरफ़ इशारा करते हैं. मुलायम सिंह आगे बोले, भाजपा हमसे बहुत आगे तेजी से काम कर रही है. अमित शाह ने अपने प्रत्याशी भी चयनित कर लिए हैं, उन्हें अपने-अपने क्षेत्रों में गुप्त रूप से काम करने को भी कह दिया गया है, पर हमारी कोई तैयारी ही नहीं है. मैं भी जल्दी ही पार्टी प्रत्याशी घोषित कर दूंगा. जिन-जिन लोगों को पार्टी के किसी भी नेता, मंत्री, विधायक, सांसद से शिकायत, समस्या या कोई सुझाव है, वे कागज पर लिखकर एसआरएस यादव और मेरे सचिव अरविंद यादव को दे दें. नाम गुप्त रखा जाएगा, लेकिन कार्रवाई होगी.
इतने पर तो कार्यकर्ता भावुक हो गए और उनके सब्र का बांध टूटने लगा. कार्यकर्ताओं के बीच से एक ने मंत्रियों के प्रति अपनी खुली नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा, सारे मंत्री धूर्त और चोर हैं, वे किसी भी कार्यकर्ता का कोई काम नहीं करते. माल लेकर आने वालों को ही पूछते हैं. कार्यकर्ता की इस खुली शिकायत पर मंत्री अंबिका चौधरी और मनोज पांडेय बिगड़ने लगे. उनका मंत्री पद उन पर इतना हावी दिखने लगा कि उन्हें नेता जी की मौजूदगी भी दिखनी बंद हो गई. वे उस कार्यकर्ता से उलझ पड़े. इस पर मुलायम सिंह ने उन मंत्रियों को डपटा. बोले, यहां कार्यकर्ताओं को अपनी बात कहने का पूरा हक़ है. ये यहां नहीं कहेंगे, तो और कहां कहेंगे. उनकी इस बात में बिल्कुल सच्चाई है, लेकिन आप लोग बिफर रहे हैं. आप लोगों में धैर्य नहीं है. आलोचना सहने की क्षमता होनी चाहिए. मेरी भी बहुत आलोचना हुई, मगर मैं नहीं घबराया. अगर आप लोग सही ढंग से काम कर रहे होते, तो यह नौबत न आती. तभी कार्यकर्ताओं के बीच से कानपुर की एक महिला कार्यकर्ता नीलम रोमिला सिंह ने 2012 में अपना टिकट काटे जाने का हवाला देते हुए कहा, नेता जी, आपने मुझे लालबत्ती देने को कहा था, पर आपका वादा झूठा निकला. इस पर नेता जी फिर से नाराज़ हो गए और उन्हें शांत रहने को कहा. लेकिन, नीलम रोमिला सिंह कहां मानने वाली थीं. उनसे भी वहां से हटने को कहा गया. नेता जी ने इस अनुशासनहीनता पर भी नाराज़गी प्रगट की.
फिर नेता जी कार्यकर्ताओं से बोले, 2017 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए मैं जल्द ही प्रत्याशियों की सूची जारी करूंगा. आप लोगों से निवेदन है कि आपको प्रत्याशी ग़लत लगे या सही, आप उसे जिता ज़रूर देना. उस प्रत्याशी में केवल मुझे देखना. शिकवा-शिकायत सब बाद में बैठकर दूर कर लेंगे. प्रधानमंत्री न बन पाने का मुलायम सिंह का दर्द भी उभरा. बोले, अगर हमारी 40 सीटें भी आ जातीं, तो केंद्र में समाजवादी सरकार ही बनती. सभी दलों ने हमें अपना नेता मान लिया था और समर्थन देने को राजी थे, मगर नेताओं-मंत्रियों की गद्दारी से ऐसा नहीं हो सका. कार्यकर्ता कभी गद्दारी नहीं करता, उसकी कभी उपेक्षा नहीं होने दी जाएगी.
याद आया कि डॉ. राम मनोहर लोहिया कार्यकर्ताओं से कहते थे कि अगर हमारा प्रत्याशी ग़लत हो, तो उसे हर हाल में हराकर भेजना. लेकिन, अब मुलायम सिंह कह रहे हैं कि हमारा प्रत्याशी ग़लत भी हो, तो उसे जिताकर भेजना. यह लोहिया के समाजवाद का मुलायमियत वाला संस्करण है. मुलायम सिंह बहुत कुछ समझने की बातें हवा में उछाल कर चल पड़े. हम-आप गुत्थियां सुलझाते रहें. कैसी पार्टी, कैसी सरकार, कैसा मुख्यमंत्री, कैसे मंत्री, कैसा सामंजस्य, किस हाल में कार्यकर्ता, किस हाल में समाज और किस हाल में समाजवाद…
…और सपा सरकार की उपलब्धियां भी गिनाईं
समाजवादी पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कहा कि जनता की आशा समाजवादी पार्टी से है. किसान और ग़रीब मानते हैं कि समाजवादी पार्टी उन्हीं की है. प्रदेश में समाजवादी सरकार की उपलब्धियां भी कम नहीं हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव की चुनौती का एकजुटता से सामना करना है. बैठक में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, राष्ट्रीय महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव, विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय, वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव, अहमद हसन, अवधेश प्रसाद, राजेंद्र चौधरी समेत कई नेता मौजूद थे. सपा प्रमुख ने पार्टी पदाधिकारियों को भाजपा की फरेबी राजनीति से सावधान करते हुए कहा कि जनता के बीच झूठे वादों की कलई खुलने लगी है. पार्टी महासचिव अरविंद सिंह गोप ने बैठक में राजनीतिक-आर्थिक प्रस्ताव पेश किए.