पिछले तीन दिनों से हमारे सामनेवाले मकान में शादी का जश्न मनाया जा रहा है ! सबसे हैरानी की बात हमारे घर के सामने उन्होंने एक हफ्ते से पूरे रस्ते को चारों तरफ से घेरकर मंडप का निर्माण किया है ! जिस वजह से आवाजाही पूरी तरह से बंद कर के शादी का मंडप, तैयार कर दिया गया है ! और उस मंडप के लिए हमारे घर के सामने के कुछ पेडो की टहनियों को हमे बगैर पुछे काटछाटकर हमारे घर के आंगन में भी उस मंडप के बांस घुसाए हुए हैं ! और यह सब हमारे इजाज़त के बगैर ! लेकिन पडोसी धर्म के नाते हमने इन सब बातों को बर्दाश्त कर लिया ! और यह रस्ते बंद करने का अनुकरण हमारे कॉलोनी में काफी लोगों को करते हुए देख रहे हैं ! यह कौन सा कानून में आता है कि कॉलोनी के अन्य लोगों का आना-जाना बाधित करते हुए अपने घर में उत्सव मनाया जाता है ! यह हिम्मत हमारे तथाकथित अन्य सार्वजनिक पूजा पंडालों को कम-अधिक – प्रमाण में संपूर्ण देश में ही बदस्तूर जारी है ! अभि मॅडम खैरनार को दिपावली के बाद अस्पताल से छुट्टी लेकर घर ला रहे थे तो अस्पताल से निकलने के पहले ही मोडपर नो एंट्री अडोस – पडोस के लोगों ने बडे ही गर्व से ही कहा कि “सामने वाले चौक पर केंद्रिय मंत्री श्री. नितिन गडकरी का दिपावली मिलन समारोह चल रहा है ! इस लिए इस तरफ के सभी रस्ते बंद कर दिए गए हैं ! आप गाड़ी को पलटाकर वापस जाइए ! और दुसरे रोड से निकल लिजिए !” और मंत्री महोदय हमारे देश के परिवहन मंत्री के पद पर कार्यरत हैं ! खुद बहते हुए रस्ते पर, एक चौक पर, चारो तरफ के रस्ते बंद कराकर, अपना दिपावली मिलन समारोह कर रहे हैं ! तो हमारे देश के लोगों ने पूजा या शादी ब्याह के लिए रस्ते पर पंडाल खड़े कराकर अपने कार्यक्रम संपन्न किया तो उन्हें कैसे समझाएंगे ? अमूमन हमारे राजनेताओं की देखा- देखी में ही लोगों का आचरण शुरू होता है ! आज उनके सामने इस तरह के लोग आदर्श मिसाल होने से सामान्य लोगों से सिविक सेन्स की उम्मीद कैसे करेंगे ?
और इसिलिये हमनें सोचा हफ्ते दस दिनों के लिए पडोसी धर्म के इतनी तकलीफ सह लेते हैं ! हमारा बेटा भारत की राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी संशोधन संस्था (निरि मे व्हायरॉलॉजिस्ट प्रयोगशाला का प्रमुख पदपर कार्यरत है! और कोरोना का कोऑर्डिनेटर है ! आज कोरोना का दूसरा व्हेरियंट फिरसे दस्तक दे रहा है ! उसे हरहाल अपने प्रयोगशाला में जाना ही पड़ता है ! पिछले एपिडेमिक के समय तो अपनी प्रयोगशाला में अठारह घंटे तक काम करता था ! ) तो वह ऑफिस जाने के लिए, अपनी गाडी निकाल नहीं सकता ! वह ओला से आना – जाना कर रहा है ! लेकिन तीन दिन से एक छोटा ट्रक में बडे- बडे जंबो साइज के स्पिकर फिट किया हुआ, डीजे के आवाज से घर में एक क्षण भी पढ नहीं सकते तथा आपस में बात भी करने के लिए चिल्लाना पड रहा है ! और सबसे महत्वपूर्ण बात मॅडम खैरनार को दिपावली के बाद अस्पताल से इसी शर्त पर छोड़ा है कि हम अपने घर में ही आईसीयू का सेटअप घर में खड़ा करेंगे और बिल्कुल अस्पताल के आईसीयू जैसा शांति और हायजेनिक रुप से साफ सुथरा रखने की शर्त पर डॉक्टरों ने घर पर छोड़ा है ! और पिछले तीन दिनों से ध्वनि प्रदूषण से शांति की ऐसी की तैसी होकर हमारी खिडकियों के कांच थरथरा रहे हैं ! तो सोना या आराम करने की संभावना कहा बचती है ? इसपर उन्हें बार-बार बताया गया है ! लेकिन आवाज थोडी देर के लिए कम करने के बाद, फिर से बढा देते हैं  !
हालांकि शादी कल है ! लेकिन यह कुछ नया ट्रेंड देख रहा हूँ, कि शादी के पहले और बाद में भी, लगभग यह डीजे वाले बाबू की गाड़ियों में विशालकाय स्पिकर लगाएं हुए सभी कार्यक्रमों में पारंपरिक बैंड-बाजे के जगह पर यह अत्यंत भयानक तरह से आवाज करने वाले और उसको सुट होने वाले गाने ज्यादातर अश्लीलता से लबालब भरे हुए होते हैं ! और यह सिलसिला हप्ते भर चलता रहता है ! यह हमारे रितीरिवाज में का बहुत ही अजिबोगरिब परिवर्तन देखने में आ रहा है ! हमारे तथाकथित सांस्कृतिक रक्षकों के कानों में क्या यह अश्लीलता भरा ध्वनि प्रदूषण नहीं जा रहा है ? बातबातपर उन्हें उनके हिसाब से अपने दल के विरोध में या अपने उपर टिप्पणी वाले नाटक और सिनेमा के प्रदर्शनों को रोकने के लिए सब से आगे रहते हैं ! लेकिन यह फुहड संगीत में उन्हें कुछ भी आपत्ति नहीं है ! शादी ब्याह तो छोडो गणपति उत्सव से लेकर सभी जगहों पर यही आलम जारी है ! यदि यह इसी तरह से जारी रहा तो संपूर्ण समाज मनोरुग्ण बनने की संभावना है ! क्योंकि इस तरह के संगीत और गीतों से कौन  मानसिक संतुलन बनाए रख सकेंगे ? यह घर वहीं है जब शुरू में हम अपने इस घर के निर्माण में लगे हुए थे तो इनके घर के सबसे बड़े सदस्य ने एक दिन मेरे पास आकर आहिस्ता से बताया कि उनके घर के बगल में स्थित खाली प्लाट को मुस्लिम समुदाय से एक व्यक्ति देखने आया था ! यह बात आजसे लगभग पंद्रह साल पहले की है तो मैंने कहा कि तो क्या हुआ ? तो वह कहने लगा कि वह यहां पर मस्जिद का निर्माण कर सकता है ! मैंने उसे समझाया कि मस्जिदों का निर्माण उस क्षेत्र के कितने मुसलिम समुदाय के लोगों की संख्या है उस आधार पर बनाई जाती है और उसके लिए जगह भी बड़ी चाहिए यह तो सिर्फ हजार से कुछ फिट ज्यादा है तो इतनी कम जगह मे मस्जिद का निर्माण नही होता है ! आप क्यों इतनी फिक्र कर रहे है? मुझे नहीं लगता कि यह घर संघ से प्रभावित होगा! पर गैर संघी लोग भी इस ध्रुवीकरण की चपेट में आ चुके हैं और यह घर उसी कारण हिदू – मुस्लिम कि चर्चा कर रहे हैं ! मतलब मानसिक रूप से तो हिंदूत्ववादी बन चुके हैं लेकिन सांस्कृतिक स्तर पर यह दरिद्रता संघ परिवार का मिटर है और इन लोगों की संख्या समाज में तथाकथित कमिटमेंड संघी से अधिक है ! और संघ के हरावल दस्ते के रूप में यही सांप्रदायिक हिंसा में सबसे अधिक भाग लेने वाले होते हैं ! संघ का कमिटेड शायद ही कोई मिलेगा! इन लोगों को मिलिटरी के रेजिमेंटड फोर्स के जैसा दगो में इस्तेमाल किया जाता है ! इसलिए सांस्कृतिक कार्यक्रम के बारे में इनकी समझ डीजे वाले बाबु से आगे नहीं होती है !


लोकमान्य टिळक ने सव्वासो साल पहले शुरू किया हुआ, गणेश उत्सव में तो कितना बिभत्स रुप आ गया है ! उस दौरान तो दस दिनों से भी अधिक समय जो कुछ चल रहा है ! क्या यही भारतीय संस्कृति हैं ? किस तरह के गाने डीजे पर बजाए जाते हैं ? शायद तिलक ने स्वतंत्रता आंदोलन के एक हथियार के रूप में इस उत्सव की शुरुआत की थी ! लेकिन आज खुद तिलक इस उत्सव का आयोजन देखकर खुद अपनी चिरपरिचित अदा में कहेंगे कि हमारे लोगों का दिमाग ठिकाने पर नहीं है ! (आमच्या लोकांच डोक ठिकाणावर नाही आहे ! )


वैसेही अन्य त्योहारों के समय दुर्गा, काली, सरस्वती, रामनवमी, हनुमान जयंती, और सबसे आश्चर्यजनक बात जिनका जीवन कुरितियो के खिलाफ लिखने बोलने में चला गया ! वह महान समाज-सुधारक डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर तथा अण्णाभाऊ साठे के जयंती के अवसर पर भी यही आलम दिखाई दे रहा है !
हालांकि जब हमारे पडोसी हमे शादी का निमंत्रण पत्र देने के लिए आए थे, तब हमने उन्हें बताया था, “कि घर में मॅडमजी को आईसीयू में रखा हुआ है ! तो कृपया जरा ख्याल रखने के लिए आपको विनम्र निवेदन है ! कि म्यूजिक जरा धिरे बजाए ! तब उन्होंने कहा था कि ” हां मालूम है, मॅडमजी बिमार है ! और हम इस बात का पूरा ख्याल रखेंगे !” लेकिन वह अपने वचन का पालन करना तो दूर की बात ! पिछले तीन दिनों से हमारे जैसे, लोगों को घर में बैठना भी मुश्किल हो गया है ! और मॅडमजी को जो तकलीफ हो रही वह अलगसे ! उनके डीजे पर चल रहे कानफाडू संगीत के बारे में बीच-बीच में उन्हे हिदायत भी दे रहे हैं ! और आस्चर्य की बात वह हर बार हां आवाज कम कर रहे हैं ! बोल कर फिर वही बात !
लेकिन यह मजमून लिखने के समय भी वह सब कुछ जारी है ! अब तो मेरा सर मे दर्द शुरू हो गया है ! आखिर में बेटे ने पुलिस को सूचना दी ! और तब कहीं वह डीजे वालीं  मोबाईल लॉरी को पुलिस लेकर गई है ! लेकिन उन्हें इस बात का कोई फर्क नहीं पडा ! उन्होंने अपने दुसरे डीजे से अपनी मनमानी जारी रखी हुई है ! भाई शादी जो है !
हम मौजमस्ती नही करेंगे तो क्या मतलब हुआ ? होगा आपके घर में पेशंट ? क्या हमें अपने लडके की शादी जो मनानी है ! यह हमारे देश के लोगों कि असंवेदनशीलता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है ! और इसके लिए हमारे देश की वर्तमान राजनीतिका बहुत बडा योगदान है ! लोगों की आस्था का अनुचित लाभ उठा कर, उन्हें अमानवीय कृत्य करने के लिए तैयार करनेका गुनाह कर रहे हैं !
यह सब देखकर लग रहा है, कि यह सांस्कृतिक उत्थान का दौर जारी है ? या पतन का ? क्यों कि कोई पूजा हो या शादी जन्मदिन या होली, दिपावली जैसे उत्सवों के समय जो भौंडा प्रदर्शन शुरू हुआ है ! वह रुकने की जगह, और ज्यादा विकृति का रुप ले रहा है ! और उपरसे “गर्व से कहो कि हम हिंदू है ! ” जैसे आपत्तिजनक नारे लिखे हुए स्टिकर घर – घर में लगाने वाले लोगों को यह पतन दिखाई नहीं दे रहा है !


और सबसे अधिक चिंता की बात इसमें वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य भी आग में घी का काम कर रहा है  ! दहीहंडी उत्सव हो या गणपती, दुर्गा – काली उत्सवों में, जो इन राजनीतिक दलों में एक दूसरे के साथ चलती हुई होड को देखते हुए, लगता है कि, वर्तमान राजनीतिक दल इस पतन के लिए ज्यादा जिम्मेदार है ! एक ही मोहल्ले में चार पांच पंडालों में यह हुडदंग जारी रहता है ! क्योंकि हर पंडाल को किसी न किसी राजनीतिक दल ने स्पॉन्सर किया रहता है !
आजसे तीस साल पहले की बात है !हम लोग कलकत्ता में रहते थे ! और हमारे एक बुजुर्ग मित्र उम्र, अस्सी से भी अधिक! नाम प्रविर घोष, और उनके घर के चारों ओर दुर्गा पूजा के पंडालों में अपसमे होड लगि हुइ, की किसके लाउडस्पीकर से सबसे ज्यादा आवाज बजती है  ! तों उन्होंने लोकल पुलिस के पास जाकर अपनी तकलिफ बतायी ! तो पुलिस ने सत्ताधारी दल सीपीएम् के पंडालवालों को बताया कि इन्होंने तक्रार की है ! और सीपीएम् के लडकोने उनके घर में जाकर उन्हें धमकाया की मोहल्ले में रहना है तों यह सब बर्दाश्त करना होगा !
आश्चर्य की बात हमारे बुजुर्ग मित्र प्रविरदा रिव्होलुशनरी सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापकोंमें से एक थे ! और वह आजादी की लड़ाई में भाग लेने की वजह से, अंग्रेजों ने उन्हें अंदमान के सेल्युलर जेल मे पंद्रह साल से अधिक समय तक कालापानी की सजा सुनाई थी ! स्वतंत्रता संग्राम के सैनिकों मैं से एक थे !
और हमारे नर्मदा बचाओ आंदोलन के समर्थन में, बंगाल में के शुरुआती लोगों में से एक थे ! मणिबेली डुबने के पहले नब्बे के दशक में सत्याग्रह आंदोलन में शामिल थे ! सबसे बडी हैरानी की बात ! उनकी पार्टी रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी बंगाल में लेफ्ट फ्रंट के साथ थी  ! लेकिन सीपीएम् के दादागीरी के सामने अन्य घटक दलों की कोई भी अहमियत नहीं थी ! इसलिए हमारे बुजुर्ग मित्र रिव्होलुशनरी सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापकों में से एक होने के बावजूद ! उन्होंने अपने जीवन के आखिरी समय तक यह तकलिफ बर्दाश्त किया है !


हमारे देश के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बावजूद ! अभिकि दिपावली पर जिस तरह से फटाको को फोडा गया ! और ध्वनि तथा वायूप्रदूषण हुआ ! उसमें क्या न्यायालयके आदेश का पालन हुआ था  ? वैसे ही ध्वनी प्रदूषण के निर्देश दिए गए हैं ! और हमारे देश में कहा पर पालन किया जा रहा है ?
जिनकी जिम्मेदारी देश में सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक सुधार करने की होती है ! लेकिन वह अपनी सस्ती और शॉर्टकट लोकप्रियता के लिए ही इन सब बातों को बढ़ावा दे रहे हैं ! जो समाज में जड पकडते हुए ! इस तरह की विकृत अभिव्यक्ति करते जा रहा है !
बचपन में हमने शादी ब्याह देखे हैं ! सब मोहल्ले की और नाते रिश्ते की महिलाओं के द्वारा गित गाए जाते थे ! तथा अन्य मनोरंजन के खेल तथा हांसी मजाक के साथ आमोद – प्रमोद होता था ! लेकिन यह तकनीकी विकास के वजह से ! जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कई विकृतियां घुस कर समाज को खोखला बनाए जा रही है ! और समाज संवेदनहीनता के स्तर पर चला जा रहा, डीजे जैसे कानफाडू म्यूजिक और उसके साथ अत्यंत वाहियात नाचना ! सांस्कृतिक पतन का लक्षण लग रहा है ! तथाकथित सांस्कृतिक रक्षकों के नाम मेरा यह खुला पत्र है !

Adv from Sponsors