शैलेन्द्र शैली
इन्कलाब , अमन ,खुशहाली के लिए प्रतिबद्ध और मेहनतकश ,वंचित ,शोषित जनता के हितों के पक्षधर क्रान्तिकारी शायर साहिर लुधियानवी का यह जन्म शताब्दी वर्ष है । आज उनकी चालीसवीं बरसी भी है ।साहिर लुधियानवी ने जिस बेहतर दुनिया की सुबह के लिए आव्हान किया था ,वह महान रचना आज भी प्रेरक है और ऊर्जा देती है|
वो सुबह कभी तो आएगी
बीतेंगे कभी तो दिन आखिर
यह भूख और बेकारी के
टूटेंगे कभी तो बुत आखिर
दौलत की इजारेदारी के
जब एक अनोखी दुनिया की
बुनियाद उठाई जाएगी
वो सुबह हमीं से आएगी ।
संसार के सारे मेहनतकश
खेतों से , मिलों से निकलेंगे
बेघर ,बेदर , बेबस इंसा
तारीक बिलों से निकलेंगे
दुनिया अमन और खुशहाली के
फूलों से सजाई जाएगी
वो सुबह हमीं से आएगी।
इन्कलाब जिन्दाबाद ।
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