डॉ सुरेश खैरनार
आज विजया दशमी याने दशहरे का दिवस है! सर्व प्रथम सभी को दशहरे की हार्दिक शुभकानाएं !
आजसे 95 साल पहले के दशहरे के दिन नागपूर के मोहिते वाडा मे पाच -दस स्वयंसेवको को लेकर डॉ केशव बलिराम हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक मंडल के नाम से शाखा की शुरुआत की है ! जिसका आज का नाम राष्ट्रिय स्वंय सेवक संघ है ! मोहिते वाडा मे पाँच दस लोगों को लेकर शुरू किया संघ परिवार की आज जीवन के हर क्षेत्र में अपनी इकाईयाँ है और कम्सेकम एक करोड से भी अधिक संख्या में कमिटेड स्वंयंमसेवक है ! देश के कई प्रदेशो मे उनकी 70 साल पहले शुरू की गई रजनितिक ईकाई पहले जनसंघ और 1982 से भारतीय जनता पार्टी के नाम से आज देश की सत्ताधारी दल की हैसीयत में पूर्ण बहुमत से है !
हम सभी धर्मनिरपेक्ष,पुरोगमी लोगों को भले अच्छा नहीं लगता है ! लेकिन यह वास्तव है ! और 70 सालो में कोई गरीब,दलित हो या आदिवासी,मजदुर,पिछड़ा वर्ग के लोगों के किसी भी सवाल को लेकर एक दिन भी आंदोलन करने का उनका कोई भी रेकोर्ड नहीं है उल्टा शत प्रतिशत गरीब,पिछड़ा,दलित हो या आदिवासी या महिला विरोधी होने के बावजूद सिर्फ और सिर्फ आस्था के नाम पर राजनीति करने वाले आज आधी से भी आबादी आधा पेट खाना नसीब नहीं है और जिसमे सभी दलित,आदिवासियो और पिछड़ा वर्ग के लोगों की आबादी 85 प्रतिशत होने के बावजूद घोर सांप्रदायिक राजनीति और राम के नाम पर आज भारत जैसे विभिन्न जाती धर्म के देश मे सत्ता तक पहुंच गये यह भारत के सभी धर्मनिरपेक्षता तथा हमारे देश के संविधान के उद्घोषणा के पक्षधर लोगों की भी हार है !
1965 या 66 के विजया दशमी के दिन मै संघ के शिंदखेडा जि धुलिया,महाराष्ट्र की शाखा से निकाला गया स्वंयमसेवक हूँ ! वजह थी कि मेरे कुछ मुस्लीम मित्र भी शाखा मे आना चाहते थे तो मैने मेरी शाखा के चालक को पुछा कि मेरे कुछ मित्र मुझे बार बार शाखा में आने का आग्रह कर रहे हैं तो उसने पूछा कि उसमे पूछना कि क्या जरूरत है अपने को संघ शक्ति बढ़ाना है तो उन्हे अवश्य ले आवो !
दुसरे दिन जब मैं 8-10 मेरे हम उम्र 13-14 के होँगे गाव छोटा सा ही था तो कौन है यह सब मालुम था तो शाखा चालक ने जैसे ही देखा कि मुसलमान है! तो उसने कहा कि संघ के वरिष्ठ लोगों से बात करनी होगी!
तो स्थानीय स्तर पर के वरिष्ठ लोगों ने कहा कि अभि दशहरा के दिन अपने खानदेश के बौद्धिक प्रमुख श्री नाना ढोबल जी प्रमुख अतिथी के रूप में आ रहे हैं तो उनसे पूछकर बताते है !
तो विजया दशमी याने संघ के स्थापना के 40 वे या 41 वे साल पूरे होने का दिन था ! तय कार्यक्रम के अनुसार श्री नाना ढोबले आये थे और सन्घ के प्रचार प्रसार के उद्देश्य से लेकर बहुत कुछ बोला था
और उनके उदबोधन के पस्चात प्रश्न-ऊत्तर का सत्र था तो सबसे पहले मैने अपना हाथ ऊपर उठाया तो मुझे बोलने के लिए सभा संचालक ने कहा और मैने कहा कि आप ने आपके बौद्धिक मे संघ शक्ति के विस्तार पर काफी विस्तार से कहा है और मै गत कई दिनों से लगातार कोशिश कर रहा हूँ कि मेरे कुछ मित्र जो शाखा में आना चाहते हैं तो शाखा संचालक और स्थानीय वरिष्ठ लोगों ने मुझे कहा था कि आप विजया दशमी के दिन आ रहे हैं तो आपसे पूछकर बतायेंगे !
ऊसी समय सभा संचालक श्री नाना ढोबले जी के कान मे कुछ बोले और नाना ढोबले जी ने मुझे कहा की तुम अपने स्थान पर बैठ जाओ मैने कहा कि मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया ? तो उन्होने कहा कि सन्घके वरिष्ठ जब कहते हैं तो उनका कहना सन्घ के अनुशाशन का पालन करना भी आपका कर्तव्य है और यही कारण है कि आप को बैठने के लिए कहा गया है !
तो मैने कहा मै इतने दिनों से यह बात पुछ रहा है और और स्थानीय स्तर के लोगो ने आपके आने की सूचना देकर मुझे इतने दिनों से रोका गया और अभि आप खुद आये हैं सन्घ के प्रचार प्रसार की बात भी आपने अपने संबोधन में कही तो मै भी अपनी शाखा में कुछ मित्र लाने के लिए ही पुछ रहा हूँ और आप मेरे सवाल का जवाब देने के बजाय मुझे ही सन्घ के अनुशाशन बता रहे हैं !
तो वह आगबबूला हो कर बोले कि तुम सन्घ के अनुशाशन का भंग कर रहे हो इसलिए तुह्मे सभागृह छोड़ने की शिक्षा दे रहे हैं ! मैने कहा कि जिस सन्घ के वरिष्ठतम लोग भी मेरे सवाल का जवाब देने की जगह मुझे ही शिक्षा के तौर पर सभागृह से निकल जाने के लिए कह रहे हैं मैं ऐसे सन्घ के शाखा से ही निकल रहा हूँ !
फिर मुझे किसि ने कहा कि गाव के बाहर पस्चिम दिशा मे एक हरिजन छात्रावास के मैदान में भी एक शाखा चल रही है लेकिन ऊनका झंडा भगवा नहीं है! तिरंगा और उसमे कुछ मशीन का चक्र और कुदाल फावड़े है !
मुझे तो क्या मेरे अपमान के बाद भगवे रंग की जगह दूनिया का कोई भी रंग चलने वाले थे ! पन्द्रह से भी कम उम्र के बच्चे को कौन-सी फिलोसफी मालुम होती है ?
हा सिर्फ अपमान करने वाले लोगों को सबक सिखाने के लिए विशेष रूप से मैने कहा कि मुझे उस शाखा में जाना है तो मै उसी दिन उस तिरंगा झंडा वाले शाखा में गया तो वह शाखा चलनेवाले वरिष्ठ साथी श्री प्रभाकर पाटिल ने पूछा कि तुम तो सन्घ के शाखा में जाते हो ना ? तो मैने कहा मै जाता था लेकिन आज ऊन लोगों ने दशहरे के कार्यक्रम में मुझे इस कारण निकल जाने के लिए कहा तो पाटील जी ने पूछा तुम्हारे मुसलमान मित्र कहा है? तो मैने कहा कि मै क्या उनको इस शाखा में ला सकता हूँ ?
तो वह बोले तुम तो देख रहे हो ये 80% बच्चे इसी हॉस्टल के दलित बच्चे है और यह लडकियो से कोई मराठा है तो कोई तेली,कुण्बी,माली है! यह शाखा सभी को लेकर चलती है और इस तरह मेरा राष्ट्र सेवा दल के साथ 55 साल पहले सन्घ के शाखा से निष्कासित कर ने के कारण प्रवेश हुआ !
उसके पहले नाही सन्घ के किसी किताब से परिचय हुआ था और नाही राष्ट्र सेवा दल के साहित्य पढकर मै सेवा दल के साथ आया था सिर्फ और सिर्फ अपमानित होने के कारण आहत होकर आया था ! और मुझे कहा मालुम था की वह गाव समाजवादी पार्टी के लोगों के दबदबे का गाव है ! ठाणसींग जिभाऊ राजपूत नाम के फायरब्राण्ड नेता थे ! जो उस समय सरपंच थे और 1977 मे शिंदखेडा विधान सभा से विधायक भी बने थे! फिर क्या हमने उनकी मदद से शिंदखेडा की सन्घ के शाखा को ही बंद कर दिया ! और ऊसी जगह पर मुसलमान बहुल इलाका होने के कारण 80% मुस्लीम लड़को की शाखा शुरु कर दी थी !
संघ की पुरानी शाखा में सभी लडके गुजराथी ,मारवाडी सेठ साहूकारो के और ब्राह्मणों के बच्चे जाते थे मेरे जैसे मराठा समाज के बच्चे को वह भी मेरे भूगोल के बी बी पाटिल नाम के शिक्षक के बार बार आग्रह के कारण मैं जाना शुरू किया था!और मेरा अपना मानना है कि बचपन में खेल कूद कथा कहानी गाने जैसे माध्यमो से ही छोटे बच्चे आकर्षित किये जाते हैं !
और उसके बाद फिर हिंदू-मुस्लमान और अन्य सही गलत बातो से उम्र के 10 साल से अगर कोई लगातार अपनी शाखाओं को चलाता है और उसे आज 95 साल पूरे हो रहे हैं तो कोई नरेंद्र मोदी भले वह तेली जाती से हो,कोई आदित्यनाथ भले वह ठाकुर और नाथ संप्रदाय के गोरखपुर के पीठ का प्रमुख हो जो पीठ आज से एक हजार साल से भी अधिक समय जातिवाद के खिलाफ और धार्मिक सौहार्द का काम करने के लिए विशेष रूप से बनाया गया हो! महात्मा बश्वेश्वर ने भी 11 वी शति मे खुद ब्राह्मण समाज के होने के बावजूद जनेऊ तोड़कर जाती व्यवस्था के खिलाफ अलख जगाने वाले लिंगायत पंथ के वर्तमान मुख्यमंत्री येदुरप्पा यह सब सन्घ के शाखा के पैदायशी होने के कारण घोर सांप्रदायिक घोर जातिवादी और महिला विरोधी आदिवासियो के भी विरोधी होते हैं!और पुंजीपतीयो के दलाल किसान,मजदूर और गरिबो के विरोधी लोग तैयार करने का कारखाना याने आज की तारीख में 95 साल पूरे करने वाला संघ परिवार दिन दोगुना रात चौगुना प्रगती कैसे कर रहा है? यही सवाल आज मेरे मन मे बारबार आ रहा है !
ख्रिचन लोगों से कितना भी तिरस्कार संघ परिवार करता हो लेकिन उसने मिशनरी झील का अनुकरण करने का काम किया है और अब आदिवासियो में वनवासी सेवा आश्रम!दलित पिछडी जाति के लिए समरसता मंच जैसे वेल्फेयर के काम करने वाली इकाईया बनाकर काम कर रहे हैं और इस काम को कई लोग अच्छा काम समझ कर मदद करते हैं !
मै एक बार मुम्बई में एक मध्य वर्ग के खाते-पीते घर में ठहरा हुआ था तो सुबह सुबह कुछ सफेद पोश लोग काटा तराजू लेकर आये थे और इस मित्र के घर मे जितने भी अखब़ार की जमा रद्दी थी तौलकर लेकर उनको रद्दीका उस समय का जो भी रेट था उसकी रसीद फाड़कर चले गये और मैने रसीद उठाकर देखा तो वह वनवासी सेवा आश्रम की रसीद थी ! मित्र सर्वोदय के प्रभाव वाले! मैने पूछा कि ये क्या है? तो वह बोले आखिर इनका भी काम आदिवासियो में ही है और उनके कुछ प्रोडक्ट भी बेचने के लिए आते है तो वह भी हम लेते हैं ! मैने कहा कि लेकिन वह संघ परिवार के लोगों द्वारा चलाए जा रही गतिविधि है और यही कारण है कि फादर स्टेन और उनके दोनो बच्चो को जीप के भीतर जिंदा जला दिया है ! और यह वनवासी सेवा आश्रम कभी भी जमिन,विस्थापन के खिलाफ चल रहे आन्दोलन में नहीं रहते हैं उल्टा उसके विरुद्ध होते है ! तुम गाँधी-विनोबा के साहित्य के मर्म बताने वाले भाष्यकार! इस तरह फासिस्ट और यह शब्द विनोबा जी ने गाँधी हत्या के बाद मार्च 1948 की सेवाग्राम की बैठक में प्रथम बार कहा है और तुम मुझसे ज्यादा विनोबा का साहित्य पढे हुये मित्र की इतनी बड़ी गफ़लत कैसी होती है ? और इसी डहानू,पालघर,तलासरी मे सन्घ के पहले से सर्वोदय मंडल के लोग काम कर रहे हैं तुम उन्हे क्यो नही मदद कर रहे हो ? तो वह बोले ये लोग मेरे घर आते हैं ! सर्वोदय या आदिवासी मुक्ति संघटना के लोग कहा आते है ? और यह मित्र बिल्कुल भी सांप्रदायिक राजनीति को पसंद नहीं करते ! लेकिन जाने अनजाने में इस तरह के मदद करने की गलती करते हैं !
4 जून 1941 को राष्ट्र सेवा दल की स्थापना सिर्फ और सिर्फ संघ को चेक करने के लिए विशेष रूप से की है और यह बात मुझे राष्ट्र सेवा दल के पहले अध्यक्ष (उस समय दल प्रमुख बोलते थे!) श्री एस एम जोशी जी ने आपात्काल में मै उन के साथ विदर्भ क्षेत्र के प्रवास में साथ दिया था उस समय गपशप मे मुझे बोले कि अरे 1925 को दशहरे के दिन शुरू किये गये सन्घ के पंद्रह वर्ष की अवधि में हमारे सभी मित्रो को ध्यान में आया (साने गुरुजी,नाना साहब गोरे,शिरुभाऊ लिमये,अण्णा साहब सहस्रबुद्धे,राव साहब पटवर्धन,अच्चुत पटवर्धन,भाऊ साहब रानडे) की हमारे अपने खुद के घर के बच्चे भी संघ की शाखा में जा रहे हैं ! तो तुरंत हम सभी ने मिलकर सोचा कि बिल्कुल सन्घ के शाखा पद्दती पर लेकिन लडकियो से लेकर हिंदू-मुसलमान,दलित हो या आदिवासी या बहुजन समाज के बच्चे-बच्चियों को लेकर एक पर्यायी संघटना की स्थापना करनी चाहिए और यही कारण है कि मुझे ही पहले प्रमुख की जिम्मेदारी का निर्वाह करना पड़ा है !
जब एतिहासिक भुमिका यह हैं तो आज राष्ट्र सेवा दल को संघ मुक्त भारत के घोषणा मे इतना संकोच क्यो हो रहा है ? जब मैं एप्रिल 2017 को अध्यक्षता का पद पर आसीन होने के बाद वाले भाषण में प्रथम बार सभा से बोला की मुझे अध्यक्ष पद पर आसीन होने का सबसे मुख्य बात संघ मुक्त भारत और मेरी इस घोषणा को इस सभा में बैठे हुए एक भी साथी का विरोध है तो मै यह पद पर आसीन होने के पहले ही छोडने की घोषणा करता हूँ ! और मुझे खुशी है कि उस समय की सभा में एक भी साथिने मेरी संघ मुक्त भारत के घोषणा का विरोध नहीं किया है ! इस बात की मुझे बेहद खुशी है ! और इसी कारण मै लगभग भारत के हर कोने में जानकारी देने के लिए कम्सेकम पाँच लाख किलोमीटर से भी अधिक दूरी जो जो वाहन मिला मैने यात्रा की और राष्ट्र सेवा दल के बारे परिचय दिया और उसके बाद उसके फॉलोअप के पहले ही मुझे पद छोड़ना पड़ा लेकिन मेरे स्थान पर मुझसे कई गुना सक्षम और बौद्धिक शक्ति वाले मित्र डॉ गणेश देवी अध्यक्ष पद पर आसीन होने के कारण मुझे लगता है कि वह मेरा अधूरा छुटा हुआ काम पुरा करेंगे यह विश्वास है ! ईसलिये मैने उनसे 10 जून 2019 को विशेष रूप से हर तरह की मदद करने में पहल करूँगा क्योकिं वर्तमान देश दुनिया की स्तिथी को देखते हुए हम अपने व्यक्तिगत अहम मे फ़ासीवादी विचारधारा को अप्रत्यक्ष रूप से बनाने या बढ़ने देने की गलती कर सकते हैं इसलिये आज भारत में सन्घ के पर्यायी राष्ट्र सेवा दल की स्थापना को आने वाले 2021 मे 80 साल पूरे हो रहे हैं इसलिए हमने कुछ संकल्प के साथ मैदान मे उतरना होगा और मै अपने वैयक्तिक स्तर पर यह संकल्प दोहरा रहा हूँ कि मेरी क्षमता नुसार मै संघ मुक्त भारत के काम में हर संभव कोशिश जारी रखने की कसम खा रहा हूँ !
डॉ सुरेश खैरनार 25 अक्तूबर विजया दशमी 2020,नागपुर