गुरमित राम-रहीम के डेरा सच्चा सौदा की पंथ भक्ति की आंधी न केवल हरियाणा में चल रही थी, बल्कि इसने बिहार के कई जिलों को भी अपनी जद में ले रखा है. सहरसा, मधेपुरा, घोड़ासान व सीतामढ़ी जैसे जिलों में गुरमित राम-रहीम के अनुयायियों की बड़ी तादाद है. गुरमित राम-रहीम को दो साध्वियों संग दुष्कर्म के आरोप में जब गिरफ्तार किया गया और हरियाण के सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा में सघन छापामारी हुई, तो यहां के अनुयायियों में भी रोष देखने को मिला.
हरियाणा में भले ही आलीशान डेरा हो. लेकिन बिहार के कोसी प्रमंडल मुख्यालय सहरसा जिले के कहरा प्रखंड अंतर्गत दिवारी मौजा के महादलित टोला में स्थित गुरमीत राम-रहीम का डेरा उसके अनुयायियों से भरा रहता है. इसके अलावा गुरमित राम-रहीम के अनुयायी बिहार के कई जिलों में भी डेरा बनाकर अरदास करते रहते हैं. गुरमित राम-रहीम के गिरफ्तार होने से पहले तक इन डेरों में स्थानीय संसाधन से भंडारे एवं सत्संग का आयोजन होता रहा है. सहरसा जिले के कहरा प्रखंड क्षेत्र के दिवारी, कांप व बसौना में करीब साढ़े चार सौ से अधिक महिला-पुरुष बाबा गुरमीत के अनुयायी हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां डेरे में हमेशा लोग ‘मिलता है सच्चा सुख केवल गुरुवर राम-रहीम तुम्हारी चरणों में‘ गाते रहते थे. लेकिन हरियाणा के सिरसा में छापेमारी और गुरमीत राम रहीम की गिरफ्तारी के बाद यहां बिल्कुल सन्नाटा पसरा हुआ है. यहां कुछ बाबा के अनुयायी मिले, जो अब भी मानते हैं कि बाबा निर्दोष है और उसे जानबुझकर फंसाया गया है. मधुसूदन यादव, सुमन कुमार, महेंद्र राम, विजय यादव, नुनु देवी, रंजन देवी आदि लोगों ने चौथी दुनिया से बातचीत में कहा कि बाबा को राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया है. हम सबों को पूर्ण विश्वास है कि वे जल्द से जल्द न्यायालय द्वारा निर्दोष साबित हो जाएंगे.
गौर करने वाली बात ये है कि बिहार में डेरा सच्चा सौदा की स्थापना और इसका प्रचार-प्रसार बहुत पुराना है. जिस आदमी ने यहां डेरे की शुरुआत की, वो गुरमीत रामरहिम नहीं, बल्कि डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही मुर्शिद-ए-कामिल शाह सतनाम जी महाराज का शिष्य था. सहरसा के कहरा प्रखंड के बसौना में डेरा की स्थापना गुरमीत राम रहीम के जन्मोत्सव के अवसर पर 15 अगस्त 2012 को हुई थी. हालांकि यहां के लोगों ने बताया कि यहां गत 40 सालों से अरदास आयोजित किया जाता रहा है. इस डेरा के कर्ता-धर्ता दिवारी गांव निवासी मधुसूदन यादव करीब 40 साल पहले अपने पुत्र कैलाश यादव के साथ मजदूरी करने हरियाणा गए थे. वहां वे डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही मुर्शिद-ए-कामिल शाह सतनाम जी महाराज के सम्पर्क में आए और उनसे बहुत प्रभावित हुए. गांव लौटने के बाद भी वे डेरा की भक्ति में डूबे रहे. मधुसुदन यादव ने बाकी गांव वालों के मन में भी डेरा सच्चा सौदा प्रति आदर जगाने का काम किया और लोग भी बाबा के भक्त बनते गए. मधुसुदन यादव के बेटा कैलाश का सिरसा स्थित डेरा आना-जाना लगा रहता है. वो वहां से जारी की जाने वाली खबरों और आदेशों को यहां के भक्तों को बताता है. पंचकुला की तरह बसौना स्थित डेरा में भी शाह सतनाम जी महाराज के पवित्र अवतार दिवस के अवसर पर 25 जनवरी को सर्व धर्म संगम का आयोजन होता रहा है. हर महीने के प्रथम रविवार को यहां सत्संग का आयोजन भी होता है. लेकिन बाबा की गिरफ्तारी के बाद से सब बंद है. जब से गुरमीत राम-रहीम और हनीप्रीत पर कानूनी शिकंजों का दौर चला है, तभी से इस डेरा में भी बाबा के भक्त निराश हैं और अभी डेरा से जुड़े सभी काम बंद पड़े हैं.