सोशल मीडिया पर हुई ट्रोलिंग के बाद सब्यसाची ने अपना मंगलसूत्र का विज्ञापन वापस ले लिया है। दरअसल मंगलसूत्र के विज्ञापन के लिए सब्यसाची ने अर्ध नग्न मॉडल का उपयोग किया था, जिसके बाद मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मुखर्जी के विज्ञापन पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने सब्यसाची को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था, जिसके बाद रविवार देर रात सब्यसाची ने अपना यह विवादित विज्ञापन हटा लिया।
दोबारा दी धमकी
अब नरोत्तम मिश्रा ने एक बयान में कहा है कि मेरे पोस्ट के बाद सब्यसाची मुखर्जी ने अपना आपत्तिजनक विज्ञापन वापस ले लिया है। अगर वह ऐसा दोबारा करते हैं तो सीधे कार्रवाई की जाएगी, उन्हें कोई चेतावनी नहीं दी जाएगी। उनसे और उनके जैसे लोगों से हमारी अपील है कि लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचाएं।
Sabyasachi Mukherjee has withdrawn the objectionable advertisement after my post. If he repeats such a thing,then direct action will be taken,no warning will be given. Appeal to him & those like him to not hurt sentiments of people: Madhya Pradesh Home Minister Dr Narottam Mishra pic.twitter.com/XkFPXw3pna
— ANI (@ANI) November 1, 2021
मॉडल के इंटिमेंट ड्रेस पहनने पर हुआ विवाद
सब्यसाची ने चार दिन पहले एक ज्वेलरी कलेक्शन सेट लॉन्च किया था। उन्होंने इस कलेक्शन को ‘द रॉयल बंगाल टाइगर आइकन’ नाम दिया है। पूरा विवाद इस सेट के एक मंगलसूत्र के विज्ञापन पर है। इस मंगलसूत्र को कंपनी ने ‘द रॉयल बंगाल मंगलसूत्र 1.2’ नाम दिया है। इस विज्ञापन का फोटो सामने आते ही विवाद खड़ा हो गया।
दरअसल, विज्ञापन में एक महिला और पुरुष को दिखाया गया है। महिला ने विज्ञापन में काले रंग की इंटिमेट ड्रेस के साथ मंगलसूत्र पहना हुआ है। विज्ञापन सोशल मीडिया पर सामने आते ही लोग बोलने लगे कि ये मंगलसूत्र का ऐड कहां से दिख रहा है? विज्ञापन कर रही महिला का नाम वर्षिता तटावर्ती है। वहीं, पुरुष मॉडल का नाम प्रतेयिक जैन है।
हिंदू संगठनों ने किया विरोध
सब्यसाची के इस विवादित विज्ञापन के सामने आते ही हिंदू संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। इस विज्ञापन को लेकर लोगों में गुस्सा देखा जा रहा है। उनका कहना है कि जब भी कोई हिंदू त्योहार आता है, उसी दौरान सभी की क्रिएटिविटी क्यों सामने आती है? संगठनों का कहना है कि ये विज्ञापन हिंदू रीति-रिवाज पर हमला है। शादी जैसे पवित्र रिश्ते को भी ये कंपनियां खराब और धूमिल करने में जुटी हैं।
पहले भी हो चुके हैं ऐसे विवाद
पिछले महीने भी फैब इंडिया के एक विज्ञापन पर बवाल हुआ था। जिसमें बिग बजार ने दिवाली को जश्न-ए-रिवाज बताया था। उस दौरान लोगों ने कहा था कि हिंदू त्योहारों का नाम ही क्यों हर बार बदला जाता है। अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े में करवाचौथ के एक विज्ञापन को लेकर डाबर को माफी मांगनी पड़ी थी।