dmभाजपा के मिशन 2019 को पलीता लगता दिखाई दे रहा है और पलीता लगाने का काम भी अपने ही लोग कर रहे हैं. सरकार में शामिल लोगों की इन कारगुजारियों से न केवल विपक्षी दलों को इन्हें घेरने का भरपूर मौका मिला है, बल्कि आमजन के बीच भी इनकी छवि को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल (एस) के छानबे विधायक राहुल प्रकाश कोल पर जमीन कब्जा करने का आरोप लगा है. जिसमें बीच बचाव के लिए आला अधिकारी भी सामने आते नजर आ रहे हैं. मजे की बात है कि मिर्जापुर जिलाधिकारी विमल कुमार दुबे ने अपनी अधूरी जांच में विधायक को क्लीन चिट दे दिया. अब यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि विधायक द्वारा हुए फर्जीवाड़े में आखिरकार इतनी जल्दी क्लीन चिट कैसे मिल गई? अब इसी मामले में तहसीलदार ने आरोपी विधायक को नोटिस थमाकर मामले को और भी रोचक बना दिया है.

मिर्जापुर के छानबे विधानसभा क्षेत्र से पहली बार चुनकर विधानसभा पहुंचे राहुल प्रकाश कोल जिले के मड़िहान थाना क्षेत्र के पटेहरा गांव के निवासी हैं. उनपर उनके ही गांव निवासी उमाशंकर यादव ने अपनी जमीन पर कब्जा कर उस पर बिल्डिंग बनाने का आरोप लगाया है. उमाशंकर यादव का आरोप है कि विधायक राहुल प्रकाश कोल कुबरी पटेहरा में जिस 2 बिस्वा 7 धूर जमीन पर बिल्डिंग बनवा रहे हैं, वह उनकी मां श्रीमती जनासी देवी, पत्नी बुझावन के नाम है.

उमाशंकर ने दावा किया है कि जब वे इस मामले की शिकायत लेकर मड़िहान थाने गए और शिकायत की तो वहां उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. यही नहीं विधायक के प्रभाव के चलते लेखपाल-कानूनगोे सहित अधिकारियों ने भी आंखें मूंद ली. उमाशंकर ने विधायक पर जान से मारने की धमकी देने का भी आरोप लगाया है. उनका कहना है कि विधायक ने धमकी दी थी कि जमीन के आसपास भी फटके तो जान से मार देंगे. उमाशंकर यादव ने विधायक पर यह भी आरोप लगाया है कि उन्होंने पास की ग्राम पंचायत की जमीन पर भी कब्जा किया हुआ है और उस पर दुकान बनवा रहे हैं. उमाशंकर यादव का कहना है कि उन्हें जब प्रशासन से सहयोग नहीं मिला, तो वे इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी के नेताओं से मिले.

उमाशंकर यादव ने जब समाजवादी पार्टी के नेताओं के सामने अपना दुखड़ा रोया, तो जैसे सपा के हाथ सरकार के खिलाफ एक बड़ा मुद्दा मिल गया. समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष आशीष यादव ने उमाशंकर यादव के पक्ष में खड़े होकर उन्हें प्रशासन से न्याय दिलाने की अपील की. आशीष यादव ने अधिकारियों से मांग की कि इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई की जाय, वरना सपा कार्यकर्ता उमाशंकर यादव को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन करेंगे. सपा जिलाध्यक्ष ने समाजवादी पार्टी के अपने स्थानीय कार्यालय लोहिया ट्रस्ट में मीडिया को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि सपा मजबूती के साथ पीड़ित की लड़ाई लड़ेगी. उन्होंने आरोप लगाया है कि सत्ता के बल पर भाजपाई व अपना दल के नेता गरीबों की जमीन हथियाने का काम कर रहे हैं.

इस मामले को लेकर जब मिर्जापुर जिलाधिकारी तक शिकायत पहुंची, तो उसके बाद स्थानीय कानूनगो विजय कांत पांडे और लेखपाल कुंवर के साथ 6 सदस्यीय टीम विवादित जमीन की पैमाइस व नाप करने पिछले दिनों गांव पहुंची. इस दौरान आरोपी विधायक के पिता पूर्व सांसद पकौड़ी कोल भी मौके पर मौजूद थे. लेकिन वहां पर टीम नाप करने के बजाय शिकायतकर्ता उमाशंकर से ही 124 के तहत आवेदन देने की गुजारिश करती हुई दिखाई दी. जब उमाशंकर और उनके परिवार के लोगों ने टीम से जमीन की पैमाइस करने को कहा, तो टीम वहां से भाग खड़ी हुई. इसके बाद जिलाधिकारी द्वारा इस मामले में अपना दल विधायक को क्लीन चिट दे दिया गया.

इसे लेकर उगंलियां उठाई जानी लगी हैं कि आखिरकार इतनी तेजी और तत्परता से कैसे विधायक को क्लीन चिट दे दिया गया. जिलाधिकारी द्वारा विधायक को दी गई क्लीन चिट पर कई सवाल उठ रहे हैं. लोगों का आरोप है कि अधिकारियों ने सत्ता के दबाव में आकर विधायक को क्लीन चिट दे दिया है. 4 जनवरी 2017 को इस मामले से सम्बंधित एक विडियो वायरल हुआ, जो इस मामले की पोल खोलने का काम कर रहा है. इस मामले में जब हमने विधायक राहुल कोल का पक्ष जानने की कोशिश की, तो उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया और न ही उन्होंने फोन रिसीव किया.

विधायक समेत दो को नोटिस

जिलाधिकारी द्वारा विधायक को दी गई क्लीन चिट के बाद एक तरफ जहां मामला गर्माने लगा, वहीं दूसरी तरफ जिलाधिकारी का दांव तब उल्टा पड़ गया, जब इसी मामले में तहसीलदार ने विधायक समेत दो लोगों को नोटिस जारी कर दिया. दरअसल, यह मामला सामने आया ग्राम सभा की जमीन पर कब्जे की कोशिश के रूप में. लालगंज-कलवारी मार्ग पर पटेहरा गांव स्थित सड़क किनारे छह बिस्वा नवीन परती के नाम से ग्राम सभा की जमीन है. कीमती जमीन हथियाने के लिए में गांव निवासी उमाशंकर यादव व अपना दल विधायक राहुल प्रकाश कोल में होड़ मची हुई थी. जमीन पर कब्जा करने के चक्कर में दोनों पक्षों में ठनीठना शुरू हो गया था. मामला स्थानीय अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री दरबार तक पहुंच गया. किन्तु सत्ताधारी विधायक का मामला होने के कारण जिले के आला अफसरों ने भी इससे मुंह मोड़ लिया.

गौर करने वाली बात यह है कि इस मामले में एक पक्ष ने खुद को पीड़ित के रूप में प्रस्तुत किया और ग्राम सभा की जमीन को खुद की जमीन बताया. हालांकि इस मामले के प्रकाश में आने के बाद विधायक का फर्जीवाड़ा भी सामने आ गया. विपक्षी समाजवादी पार्टी के नेताओं ने भी इस मामले का खूब भुनाया. पहले तो जिलाधिकारी ने जल्दबाजी में जांच कराकर विधायक को क्लीन चिट दे दिया, लेकिन जब मामले ने तूल पकड़ा और सपा नेताओं ने आंदोलन की धमकी दी, तो फिर से प्रशासन हरकत में आया और तहसीलदार ने अपने स्तर से कार्रवाई शुरू की. विवादित जमीन का सीमांकन करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा तहसीलदार के नेतृत्व में आधा दर्जन लेखपाल समेत राजस्व निरीक्षक की टीम गठित की गई.

6 जनवरी 2018 को तहसीलदार रामजीत मौर्य की टीम द्वारा दोनों पक्षों के समक्ष पटेहरा स्थित विवादित जमीन का सीमांकन किया गया. जमीन की नापी में नेतृत्व कर रहे तहसीलदार ने बताया कि दोनों पक्ष ग्रामसभा की सार्वजनिक जमीन पर अनाधिकार कब्जा कर रहे हैं. सीमांकन के दौरान विधायक का मकान भी ग्राम सभा की जमीन में आ गया. नजरी नक्शा व लेखपाल की रिपोर्ट के अनुसार दोनों लोगों को 122-बी का नोटिस जारी किया गया है. उन्होंने बताया कि सीमांकन के समय मौके पर स्थानीय पुलिस बल व राजस्व निरीक्षक सिरसी प्रमोद यादव, क्षेत्रीय लेखपाल कुंवर सरोज, सौरभ श्रीवास्तव, राधेश्याम यादव मौजूद थे, जिन्होंने जमीन की पैमाइस कराकर पत्थर गड़वाने का काम किया.

क्षेत्रीय लेखपाल की रिपोर्ट पर, ग्राम सभा की इस बेशकीमती जमीन पर अनाधिकार कब्जा करने के आरोप में सत्ताधारी पार्टी अपना दल के विधायक समेत दो लोगों को नोटिस जारी कर दिया गया है. इस कार्रवाई के बाद जब विधायक को लगा कि मामला उलझता जा रहा है और यह उनकी सियासत के लिए गले की हड्‌डी बन जाएगा, तो उन्होंने पीछे हटना ही मुनासिब समझा. 8 जनवरी को आरोपी विधायक के पिता पूर्व सांसद सोनभद्र, पकौड़ी कोल ने दस रुपए के स्टाम्प पेपर के साथ मड़िहान तहसीलदार को शपथ पत्र सौंपा, जिसमें उन्होंने ग्राम सभा की जमीन से कब्जा हटाने के लिए एक सप्ताह की मोहलत मांगी है. उन्होंने शपथ पत्र में लिखा है कि एक सप्ताह के अंदर वे ग्राम सभा की जमीन से स्वयं कब्जा हटा लेंगें.

विधायक के पिता द्वारा दिए गए शपथ पत्र से यह बात तो साफ हो गई है कि विधायक ने ग्राम सभा की जमीन पर अवैध कब्जा किया था. इतना ही नहीं, सीमांकन में यह पता चलना भी विधायक की राजनीतिक मंशा पर सवाल खड़े करता है कि मकान का कुछ हिस्सा भी ग्राम सभा की जमीन पर है. यह घटना सरकार के दावों पर तो सवाल खड़ी करती ही है, यह भी दिखाती है कि कैसे पूरा सिस्टम ही सत्ताधारी लोगों के अपराधों पर पर्दा डालने में जुट जाता है. गौर करने वाली बात यह भी है कि इस पूरे मामले में न तो भाजपा के कोई नेता कुछ बोल रहे हैं और न ही अपना दल के लोग.

सत्ताधारी पार्टी के सभी लोग इससे जुड़े सवालों से बचते नजर आ रहे हैं. यह भी महत्वपूर्ण है कि ग्राम सभा की जमीन पर कब्जे के आरोपी विधायक जिले की सांसद तथा केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल के खासमखास माने जाते हैं. राजनीतिक गलियारों में अब इस बात की चर्चा है कि आरोप साबित होने के बाद क्या अनुप्रिया पटेल अपने विधायक पर कार्रवाई करेंगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी भ्रष्टाचार और अपराधमुक्त प्रदेश बनाने को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन क्या वे अब अपने गठबंधन दल के विधायक पर कार्रवाई करने का साहस जुटाएंगे, जिसने न सिर्फ ग्राम सभा की जमीन पर कब्जा कर लिया, बल्कि अपने रसूख का प्रयोग करते हुए इस मामले में जिलाधिकारी से क्लीन चिट भी पा लिया.

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